NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
बड़ी फार्मा कंपनियों का असली चेहरा: अधिकतम आय, न्यूनतम ज़वाबदेही
महामारी ने एक बार फिर पूंजीवाद का असली चेहरा सबके सामने ला दिया है, जहां मुनाफ़ा ही मुख्य प्रेरक होता है और बढ़ती असमानता की कोई फिक्र नहीं की जाती।
रिचा चिंतन
25 Aug 2021
Pharma
प्रतीकात्मक चित्र

कोविड-19 महामारी के कामग़ार वर्ग के जीवन और उनकी आजीविका पर भयावह प्रभाव का इस दौर में फार्मा कंपनियों के ऊंचे मुनाफ़े से विरोधभास बेहद गहरा है।

इस महामारी में इन कंपनियों के राजस्व में आए बेहद उछाल और वैक्सीन, दवाओं व डॉयग्नोस्टिक सुविधाओं का एक निश्चित बाज़ार मिलने के बावजूद फार्मा लॉबी, वैश्विक स्तर प्रस्तावित नई कर व्यवस्था का विरोध कर रही है। पिछले महीने 130 देशों ने अमेरिका के आह्वान पर कॉरपोरेट कर को वैश्विक स्तर पर न्यूनतम 15 फ़ीसदी करने पर सहमति जताई थी।

इन बड़ी फार्मा कंपनियों को बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश और अलग-अलग देशों से नई वैक्सीनों के शोध व विकास और खरीद करारों का वायदा मिला, जिससे इनका बाज़ार ज़ोखिम बहुत हद तक कम हो चुका है। इससे सबके ऊपर फार्मा कंपनियों ने बहुत मुनाफ़ा कमाया और अब कर देने से इंकार कर रही हैं।

फार्मा कंपनियों का बेइंतहा मुनाफ़ा

2021 के शुरुआती 6 महीनों में, 2020 की इसी अवधि की तुलना में, ज़्यादातर बड़ी फार्मा कंपनियों के राजस्व में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है। सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा वैक्सीन और बीमारी से संबंधित डॉयग्नोस्टिक सुविधाएं बनाने वाली कंपनियों ने कमाया।

नीचे बार चार्ट संख्या-1 2020 और 2021 में बड़ी कंपनियों के राजस्व की तुलना को बताती है। सिर्फ़ 11 साल पहले बनाई गई मॉडर्ना के राजस्व में आसमान की तेजी से 8,300% बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इसी तरह नोवोवैक्स (1810%), फाइज़र (68%), एस्ट्राजेनेका (23%) और जॉनसन एंड जॉनसन (17%) ने भी बड़ा उछाल पाने में कामयाबी पाई। इन सभी कंपनियों को वैक्सीन और डॉयग्नोस्टिक सुविधाओं के चलते इतना ज्यादा मुनाफ़ा हुआ है।

chart

वैश्विक कर समझौते के खिलाफ़ फार्मा कंपनियों की लॉबी

हालांकि अमेरिकी सरकार को 130 देशों का समर्थन मिल चुका है, लेकिन इस समझौते के होने पर अब भी आशंकाएं बनी हुई हैं। अमेरिकी कांग्रेस में इस मुद्दे को रखा जाना बाकी है और रिपब्लिकन किसी भी तरह की कर वृद्धि का विरोध करेंगे। इस समझौते के तहत, कॉरपोरेट टैक्स में जो बढ़ोत्तरी की जा रही है, वह वैश्विक कंपनियों पर लगाए जाने वाले कर की व्यवस्था में पूरे बदलाव का सिर्फ़ एक आयाम है।

"द इंडिपेंडेंट कमीशन फॉर द रिफॉर्म ऑफ़ इंटरनेशनल कॉरपोरेट टेक्सेशन" ने वैश्विक स्तर पर न्यूनतम 25 फ़ीसदी कॉरपोरेट कर का सुझाव दिया था। नागरिक समाज कार्यकर्ता और अर्थशास्त्री भी ऊंचे कॉरपोरेट कर की वकालत कर रहे हैं।

हाल में जारी की गई एक प्रेस रिलीज़ में ऑक्सफोम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि 15 फ़ीसदी की कॉरपोरेट कर दर बहुत कम है और यह आयरलैंड, स्विट्जरलैंड व सिंगापुर जैसे "टैक्स हैवन" द्वारा ली जाने वाली दर के बहुत पास है। गैब्रिएला बुशेर ने कहा, "इससे कॉरपोरेट कर में कमी की नुकसानदेह प्रतिस्पर्धा ख़त्म होगी और टैक्स हैवन का उपयोग कम होगा।"

बल्कि फार्मा कंपनियां तर्क दे रही हैं कि कर की दर में किसी भी तरह की बढ़ोत्तरी से शोध और विकास पर होने वाले खर्च में कटौती हो सकती है, जिससे नई दवाओं और वैक्सीन की उपलब्धता प्रभावित होगी। फार्मा कंपनियों का इस महामारी में “अनुकरणीय” भूमिका का हवाला देते हुए फार्मा लॉबी कर की दर में बढ़ोत्तरी का विरोध कर रही हैं।

बड़ी फार्मा कंपनियों को मिला अप्रत्याशित निवेश

बड़ी फार्मा कंपनियां कोविड कार्ड खेल रही हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो साल में इन कंपनियों को कई सरकारों, बहुराष्ट्रीय संस्थानों और दानार्थ न्यासों ने नई वैक्सीन और दवाई बनाने में सहयोग किया है।

बार चार्ट नंबर 2 बताता है कि ज़्यादातर बड़ी फार्मा कंपनियों को वैक्सीन के शोध और विकास के लिए बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश मिला है।

chart

कुछ अनुमानों के मुताबिक ऊपर दिए आंकड़े कमतर हो सकते हैं। 2020 नवंबर में मेडिसिन सांस फ्रंटियर्स द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज़ में अनुमान लगाया गया था कि 6 वैक्सीन के निर्माण और क्लिनिकल ट्रायल के शोध और विकास के लिए 12 अरब डॉलर का इस्तेमाल किया गया था। यह पैसा एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन (1.7 अरब डॉलर से ज़्यादा), जॉनसन एंड जॉनसन/बॉयोलॉजिकलई (1.5 अरब डॉलर), फाइजर/बॉयोएनटेक (2.5 अरब डॉलर), ग्लेक्सो स्मिथ क्लाइन/सनोफी पासटियर (2.1 अरब डॉलर), नोवोवैक्स/सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (करीब़ 2 अरब डॉलर) और मॉडर्ना/लोंजा (2.48 अरब डॉलर) में खर्च किया गया था।

शोध और विकास के अलावा अग्रिम खरीद समझौते (APAs) भी फार्मास्यूटिकल कंपनियों और विभिन्न देशों के बीच हुए थे, ताकि वैक्सीन के निर्माण को तेज किया जा सके। इन समझौतों पर नियामक प्रशासन द्वारा अनुमति दिए जाने के पहले सहमति बनी थी। चूंकि वैक्सीन की सुरक्षा और कुशलता की जांच के पहले यह समझौते किए गए थे, ऐसे में यह एक अतिरिक्त प्रोत्साहन साबित हुआ, जिससे शोध और विकास में ख़तरा कम हुआ।

सामाजिक कार्यकर्ता वैक्सीन लाइसेंसिंग समझौतों, ट्रायल कीमत और आंकड़ों में पारदर्शिता की बात कर रहे हैं, क्योंकि ज़्यादातर कंपनियों ने इन्हें अब तक इन्हें सार्वजनिक नहीं किया है।

इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक वक्तव्य जारी करते हुए वैक्सीन की सफलता का श्रेय पूंजीवाद या ज़्यादा सटीक ढंग से कहें तो “लालच” को दिया था। लेकिन यूके की इंडस्ट्रियल स्ट्रेटजी काउंसिल ने जॉनसन के वक्तव्य से विरोधाभास रखते हुए सार्वजनिक निवेश से मिलने वाली मदद को मान्यता दी थी। परिषद ने कहा था, “ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन निर्माण प्रक्रिया के जोखिम को कम करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता सफलता के लिए बेहद अहम थी।”

पिछले दो सालों में महामारी ने एक बार फिर पूंजीवादी व्यवस्था का असली चेहरा सबके सामने लाने का काम किया है- जहां मुनाफ़ा ही मुख्य प्रेरक होता है और दुनियाभर में बढ़ती असमता पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें:- Big Pharma– Maximum Earnings, Minimum Responsibilities

पूंजीवाद
कॉर्पोरेट हित
कॉर्पोरेट जगत
कॉर्पोरेट टैक्स
फार्मा कंपनी
कोविड

Related Stories


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License