NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
उत्पीड़न
मज़दूर-किसान
भारत
पटना: त्योहार पर ग़रीबों को किया बेघर, मेट्रो के लिए झुग्गियां उजाड़ीं
बिहार की राजधानी पटना में कंकड़बाग के पास वर्षों से मौजूद झुग्गी-झोपड़ी पर ज़िला प्रशासन ने एक बार फिर तोड़फोड़ की और उनके सामान को नष्ट कर दिया। यहां पर करीब 250 झुग्गियां थीं।
एम.ओबैद
03 Nov 2021
पटना: त्योहार पर ग़रीबों को किया बेघर, मेट्रो के लिए झुग्गियां उजाड़ीं

मेट्रो निर्माण कार्य के चलते पटना में कंकड़बाग के पास वर्षों से मौजूद झुग्गी-झोपड़ी पर एक बार फिर कार्रवाई करते हुए 30 अक्टूबर को जिला प्रशासन ने तोड़फोड़ की और उनके सामान को नष्ट कर दिया। यहां पर करीब 250 झोपड़ियां थीं। त्योहार के मौसम झुग्गीवासी बच्चे व महिलाओं सहित सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं। उनको अब ये चिंता सता रही है कि सर्दी के मौसम में उनके बच्चे सड़कों पर खुले आसमान के नीचे कैसे रहेंगे।

30 अक्टूबर को प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई के बाद भाकपा-माले विधायक महबूब आलम ने पीड़ित झुग्गीवासियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया इस मुद्दे पर सरकार से जल्द बात की जाएगी।

इस मौके पर महबूब आलम ने कहा कि पटना शहर के गरीब झुग्गीवासियों को नीतीश सरकार पुनर्वास करने के बजाय पटना से ही खदेड़कर बाहर करने में लगी है। उन्होंने कहा कि "नीतीश कुमार गरीबों को ही गंदगी समझते है जबकि गरीबों के श्रम के बल पर राजधानी पटना चकाचौंध और साफ सुथरा रहता है, गरीब ही शहर की गंदगी साफ कर पटना को साफ सुथरा बनाते हैं। नीतीश सरकार और खास तौर से भाजपा की निगाह पटना की कीमती जमीन पर है और गरीबों को बेदखल कर इन जमीनों को बड़े मॉल मालिकों के हवाले करना चाहती है। पटना जिला प्रसाशन पर एकतरफा रवैया अपना रही है। प्रसाशन बड़े जमीन माफियाओं के पक्ष में काम कर रही है।" उन्होंने सरकार से सवाल किया कि गरीब झुग्गीवासियों के पुनर्वास का इनके पास कोई स्कीम क्यों नहीं है? साथ ही उन्होंने उजाड़े गए गरीब झुग्गीवासियों के पुनर्वास को मुद्दा बना सरकार और प्रसाशन को घेरने का आह्वान किया और भरोसा दिया कि उनके इस आंदोलन को माले अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार गरीबों की लाश पर स्मार्ट सिटी बनाना बंद करे।

एक्टू नेता रणविजय कुमार ने बातचीत में कहा कि 5 अक्टूबर को पकड़ी-मलाही में मेट्रो निर्माण के लिए गरीबों की झुग्गी-झोपड़ियों को जबरन हटाने गयी पुलिस ने लाठीचार्ज किया था जिसमें कई लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। घायल मजदूर राजेश ठाकुर की इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। उन्होंने आरोपी पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने और पीड़ित के परिवार को 10 लाख रूपये का मुआवजा देने व सरकारी नौकरी देने की मांग की है। 

सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार बताते है, "मेट्रो परियोजना के चलते कंकड़बाग इलाके में पकड़ी-मलाही चौक के पास पटना प्रशासन ने 30 अक्टूबर को तीसरी बार गरीबों की झुग्गी-झोपड़ी को नष्ट कर दिया। इससे पहले भी यहां तोड़-फोड़ की गई थी। इस क्षेत्र में करीब 250 झोपड़ियां थी। गरीब लोग अपनी मेहनत की बदौलत करीब 30-40 वर्ष पहले इस क्षेत्र को समतल करके रहने लायक बनाया था लेकिन आज जब प्रशासन को इस जमीन की जरूरत पड़ी तो इन गरीबों के घरों को प्रशासन ने तोड़ दिया और उनको बेघर कर दिया। इनके पास वोटर कार्ड, आधार कार्ड व राशन कार्ड समेत अन्य दस्तावेज हैं। वे चुनावों में मतदान करते हैं लेकिन इनके प्रतिनिधियों, सरकार और प्रशासन की ओर से अब तक इनके पुनर्वास का काम नहीं किया गया है। ठंड का मौसम आ गया लेकिन वे सड़कों किनारे तंबू डालकर रहने को मजबूर हैं। उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे व महिलाएं हैं।" 

उन्होंने कहा कि "पहली बार प्रशासन ने इस साल 3 सितंबर को उनकी झोपड़ियों को तोड़ दिया था। इस घटना के बाद हमलोगों ने पकड़ी-मलाही चौक के पास इनके पुनर्वास को लेकर दो दिनों का धरना दिया लेकिन प्रशासन की ओर से इनके वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। हमलोगों ने इस मामले को लेकर पटना डीएम से मुलाकात की थी। उन्होंने पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पास खाली पड़ी जमीन पर घर बनाने के वैकल्पिक व्यवस्था का आश्वासन भी दिया था जिसके बाद पटना सदर सीओ और स्थानीय एसडीएम के साथ उक्त भूमि का निरीक्षण भी किया गया। इन अधिकारियों ने इस भूमि पर अपनी सहमति दे दी और आश्वासन दिया कि इन गरीबों को हमलोग शहर से बाहर नहीं जाने देंगे। वे यहीं रह कर अपना काम करेंगे।

20 सितंबर को एक बार फिर प्रशासन पूरे दस्ते के साथ पहुंची थी और वहां से लोगों को बलपूर्वक हटाने लगी। इस दौरान राजेश ठाकुर नाम के एक व्यक्ति घायल हो गया और बाद में उसकी मौत हो गई। उसके तीन बच्चे हैं।"

मवेशी पालन करने वाले पीड़ित हाती नट जो पिछले 65 वर्ष से यहां पर झुग्गी में रह रहे थे वे बताते है, "पहले यहां पर गड्ढ़ा था। आसपास का कूड़ा लोग इसी में फेंकते थे। यहां तक कि मवेशी जब मर जाता था तो लोग इसी में फेंकते थे। पूरे इलाके में जंगल ही जंगल था। धीरे-धीरे हमलोगों ने इसकी सफाई की और इसको समतल करके यहां पर झोपड़ी बनाकर रहने लगे। हमलोग यहां पर करीब 65 बरस से रह रहे थे। प्रशासन जब हमलोगों की झोपड़ियों को तोड़ने लगी तो हम लोगों ने त्योहार तक के लिए समय मांगा था लेकिन उन लोगों ने नहीं सुना और घरों को तोड़ दिया। त्योहार का समय है और हमलोग सड़क किनारे पत्नी-बच्चों के साथ रह रहे हैं। प्रशासन ने शौचलय को बंद कर दिया जिससे महिलाओं और लड़िकयों को समस्या होती है। हमलोग तीन पीढ़ी से यहां रहे हैं।"

सुशीला देवी बात करते हुए भावुक हो जाती है और कहती है, "हमलोग का घर तोड़ दिया गया। प्रशासन ने पर्व-त्योहार के समय बेघर कर दिया है। बच्चे के साथ सड़क किनारे रह रहे हैं। रहने का कोई साधन नहीं है। पूरी जिंदगी हमलोगों की यहीं बीत गई। हमलोग के पास घर बनाने के लिए एक टुकड़ा भी जमीन नहीं है। अब यहां से हम कहां जाएं।"

Bihar
PATNA
Slum
Metro Work
Poor
smart city

Related Stories

पिता के यौन शोषण का शिकार हुई बिटिया, शुरुआत में पुलिस ने नहीं की कोई मदद, ख़ुद बनाना पड़ा वीडियो

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

यूपी से लेकर बिहार तक महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न की एक सी कहानी

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

बिहार: सहरसा में पंचायत का फरमान बेतुका, पैसे देकर रेप मामले को रफा-दफा करने की कोशिश!

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

बिहार शेल्टर होम कांड-2’: मामले को रफ़ा-दफ़ा करता प्रशासन, हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

बिहार शेल्टर होम कांड-2: युवती ने अधीक्षिका पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- होता है गंदा काम

शर्मनाक: वोट नहीं देने पर दलितों के साथ बर्बरता!

बिहारः पांच वर्ष की दलित बच्ची के साथ रेप, अस्पताल में भर्ती


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License