NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
बागपत में कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों के पोस्टर लगाए, नागरिक समाज नाराज़
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में प्रशासन ने कोरोना से संक्रमित तबलीग़ी जमात के दो मरीज़ों के पोस्टर विभिन्न सार्वजनिक स्‍थानों पर चिपकाए हैं।
असद रिज़वी
13 Apr 2020
बागपत
पीड़ितों के अधिकार और निजता का उल्लंघन न हो, साथ ही उनकी सुरक्षा भी ख़तरे में न पड़े, इसलिए हमने जानबूझकर ये पोस्टर धुंधले (Blur) कर दिए हैं। न्यूज़क्लिक

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बिहार से आए दो जमातियों में कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि होने के बाद हड़कंप मच गया है। दोनों जमातियों को क्वारंटाइन कर दिया गया है, लेकिन बागपत पुलिस और प्रशासन ने जिले के विभिन्न सार्वजनिक स्‍थानों पर कोरोनाग्रस्त इस दोनों तबलीग़ी जमातियों के तस्वीर समेत पोस्टर चस्पा कर दिए हैं। इन पोस्टरों में अपील की गई है कि इनके चेहरे पहचान लें और इन दोनों जमातियों के सम्पर्क में आए हैं तो स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क करें।

गौरतलब है कि यह पोस्टर ऐसे समय में लगाए गए हैं जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन में शामिल लोगों के होर्डिंग लगाने को लेकर प्रदेश में विवाद चल रहा है और मामला अदालत में विचाराधीन है। ऐसे में कोरोना संक्रमित मरीज़ों का पोस्टर लगाने पर नागरिक समाज सवाल उठा रहा है। नागरिक समाज यह प्रश्न कर रहा है कि क्या यह कोरोना वायरस के रोगियों के निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है? क्या तस्वीर लगाने से तबलीग़ी जमात के इन मरीज़ों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं होता है?

आपको बता दें कि पुलिस ने पोस्टर में बताया है कि दोनों मरीज़ तबलीग़ी जमात से हैं। दोनों
निज़ामुद्दीन (दिल्ली) से आकर बागपत के क्षेत्र बड़ौत में स्थित फूसवाली मस्जिद में एक रात के लिए रुके थे। इस दौरान मस्जिद में उनकी बहुत लोगों से मुलाकात भी हुई थी। इसके बाद दोनों बड़ौत क्षेत्र के ओसिक्का गांव में जाकर ठहरे थे।

इसे लेकर प्रशासन ने सर्तकता दिखाई है और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ओसिक्का गांव में जाकर निरीक्षण किया है। इस दौरान गांव को सेनिटाइज भी किया गया है।

हालांकि नागरिक समाज ने पोस्टर लगाने पर आपत्ति जताई है। मानव अधिकार जन निगरानी समिति के लेनिन रघुवंशी कहते हैं, 'तबलीग़ी जमात के नाम पर धर्म विशेष के लोगों की प्रतिष्ठा से खिलवाड़ किया जा रहा है। इस तरह के कृत्य से लगता है कि सरकार कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में गम्भीर नहीं है।'

पुलिस विभाग से जुड़े लोग भी रोगियों की तस्वीर लगाने को निजता के अधिकार का उल्लंघन मानते हैं। पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी कहते हैं, 'बागपत पुलिस ने तबलीग़ी जमात के रोगियों के तस्वीर वाले पोस्टर प्रकाशित करके उनके जीवन को खतरे में डाल दिया है। यह निजता के अधिकार के विरुद्ध है और मॉब लिंचिंग की सम्भावना को भी बढ़ाता है। देश में कई जगहों से जमात के लोगों पर हमले की खबरें भी आई हैं।'

वहीं, सामाजिक संगठन रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव के अनुसार तबलीग़ी जमात के लोगों के पोस्टर लगाकर यह दिखाया गया है कि विशेष धर्म के लोग दूसरे दर्जे के नागरिक है। वो आगे कहते हैं कि क्या केवल इन लोगों से ही कोरोना का संक्रमण फैलेगा? अगर लगाना है तो सभी कोरोना पॉजिटिव रोगियों के पोस्टर और तस्वीरें लगाई जाना चाहिए।

दूसरी ओर कानून के जानकार भी इसको भारतीय संविधान और कानून के खिलाफ मानते हैं। अधिवक्ता अमित सूर्यवंशी कहते हैं कि तस्वीर वाले पोस्टर भारतीय दण्ड संहिता और दण्ड प्रक्रिया संहिता दोनों के विरुद्ध हैं। यह सब राजनीति है। संविधान-क़ानून सभी नागरिकों को बराबर से देखता है।

वो आगे कहते हैं, 'महामारी के लिए कानून हैं जिनका उल्लंघन करने पर सजा भी हो सकती है लेकिन उसमें भी किसी तरह के पोस्टर, बैनर या तस्वीर लगाने का प्रावधान नहीं है।'

हालांकि बागपत पुलिस का कहना है कि पोस्टर इसलिए लगाए हैं ताकि लोगों को मालूम हो कि कौन कोरोना का रोगी है और उनसे मिलने वाले स्वयं अपने उपचार के लिए सामने आयें।

जब पोस्टर से पर लिखे बड़ौत कोरोना प्रभारी के मोबाइल नंबर पर सम्पर्क किया तो उप निरीक्षक कैलाश नाथ से बातचीत हुई।

उन्होंने बताया, 'जिन दोनों की तस्वीर प्रकाशित की है वह किसी मामले में अभियुक्त नहीं है। दोनों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। पोस्टर का मकसद इनके संपर्क में आने वालों को उपचार के लिए सतर्क करना है।'

वही, जब बड़ौत के थानाध्यक्ष अजय शर्मा ने सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि पोस्टर में छपे लोग अभी क्वारंटाइन में हैं। सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर इसलिए ताकि लोगों को बताया जा सके कि इन दोनों के संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति अपनी बीमारी को नहीं छिपाए।

उन्होंने कहा कि हमने पोस्टर के माध्यम यह संदेश दिया है कि अगर इनसे मिलने वाला कोई बीमारी को छिपाएगा तो उसके विरुद्ध क़ानूनी करवाई की जाएगी। इन दोनों से बड़ी संख्या में लोग मिले थे।

आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रविवार तक बागपत में 07 कोरोना पॉजिटिव मामले आ चुके हैं।

Coronavirus
COVID-19
UttarPradesh
Tablighi Jamaat
Corona Patient Hoardings
yogi sarkar
Baghpat District
Yogi Adityanath
UP police
Religion Politics
Politics of Hate
communalhate
Hate politics
Coronavirus Epidemic

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License