NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्रशांत भूषण ने अवमानना का दोषी ठहराने के फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की
प्रशांत भूषण ने न्यायालय की रजिस्ट्री में अवमानना के मामले में सज़ा के रूप में एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना अदा करने के बाद 14 अगस्त के फ़ैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर की।
भाषा
15 Sep 2020
प्रशांत भूषण

नयी दिल्ली: एक्टिविस्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति दो ट्विट के कारण अवमानना का दोषी ठहराने के शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिये सोमवार को न्यायालय में याचिका दायर की।

प्रशांत भूषण ने न्यायालय की रजिस्ट्री में अवमानना के मामले में सजा के रूप में एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना अदा करने के बाद 14 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर की। पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि उन्हें दोषी ठहराने वाले निर्णय में कानून और तथ्यों की नजर में अनेक त्रुटियां हैं।

भूषण ने कहा कि 31 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिये वह अलग से याचिका दायर करेंगे इसी फैसले के तहत न्यायालय ने उन पर सजा के तौर पर एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था।

न्यायालय ने भूषण को 15 सितंबर तक जुर्माने की राशि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश दिया था और स्पष्ट किया था कि ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की साधारण कैद की सजा भुगतनी होगी और तीन साल तक वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा।

पुनर्विचार याचिका में भूषण ने कहा कि दोषी ठहराना और सजा देना आपराधिक प्रक्रिया के दो स्वतंत्र चरण हैं और इस न्यायालय ने पहले दोषसिद्धी का फैसला सुनाने और सजा के लिये अलग सुनवाई करने की कार्यवाही अपना कर सही किया था।

पुनर्विचार याचिका में कहा गया है, ‘‘अत: याचिकाकर्ता प्रत्येक फैसले के लिये अलग अलग पुनर्विचार याचिका दायर करने का हकदार है और इस न्यायालय के पुनर्विचार के अधिकार पर लागू होने वाला कोई भी सांविधानिक या विधायी कानून इस अधिकार को सीमित नहीं करता है।

अधिवक्ता कामिनी जायसवाल के माध्यम से दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत आपराधिक अवमानना की कार्यवाही की विशिष्ठ प्रकृति को देखते हुये याचिका विचारार्थ स्वीकार करने और मेरिट पर इसकी सुनवाई खुले न्यायालय में करायी जानी चाहिए।

भूषण ने 14 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुये कहा है कि उन्होंने 26 जुलाई को प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था जिसमे अपने खिलाफ लंबित अवमानना की कार्यवाही और पुनर्विचार याचिका पर उस पीठ द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए जिसका हिस्सा न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा नहीं हों।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा दो सितंबर को सेवानिवृत्त हो गये हैं।

भूषण ने कहा कि उन्होंने 26 जुलाई के पत्र में स्पष्ट लिखा था कि इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मिश्रा को नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने मौखिक रूप से ही पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले पर उस समय आरोप लगाया था जब उन्होंने (भूषण) न्यायाधीश विशेष द्वारा हितों के टकराव की वजह से इसकी सुनवाई नहीं करने के बारे में उल्लेख किया था।

भूषण का कहना है कि 26 जुलाई के पत्र के बावजूद इस पत्र के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी और न्यायमूर्ति मिश्रा ने इसकी सुनवाई करके फैसला सुनाया जो अपने आप में इस प्रकरण की फिर से सुनवाई का पर्याप्त आधार है।

prashant bhushan
Supreme Court
Prashant Bhushan Tweets

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License