NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एल्गार परिषद मामले में पुणे के न्यायाधीश का क्षेत्राधिकार होने के कागजात पेश करिए :उच्च न्यायालय
न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार को इस बारे में कागजात या रिकार्ड दिखाने को कहा कि सत्र न्यायाधीश के. डी. वडाने के पास एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में अधिवक्ता सुधा भारद्वाज और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ पुणे पुलिस के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का क्षेत्राधिकार था। अदालत इस मामले में अब 15 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 Jul 2021
बंबई उच्च न्यायालय

बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार को इस बारे में कागजात या रिकार्ड दिखाने को कहा कि सत्र न्यायाधीश के. डी. वडाने के पास एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में अधिवक्ता सुधा भारद्वाज और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ पुणे पुलिस के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का क्षेत्राधिकार था।

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा पेश किये गये रिकार्ड का भारद्वाज के दावों से मिलान हो जाने के बाद यह निर्देश दिया।

दरअसल, भारद्वाज ने दावा किया था कि न्यायाधीश वडाने विशेष न्यायाधीश नहीं हैं।

पीठ ने भारद्वाज के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी द्वारा किये गये दावे का जिक्र किया।

चौधरी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जमानत का अनुरोध किया था। इस हफ्ते की शुरूआत में चौधरी ने उच्च न्यायालय से कहा था न्यायाधीश वडाने एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश है। लेकिन उन्होंने एक विशेष न्यायाधीश के तौर पर कार्य किया और भारद्वाज तथा अन्य आठ को 2018 में पुणे पुलिस की हिरासत में सौंप दिया था।

चौधरी ने कहा था कि न्यायाधीश वडाने ने मामले में पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र का भी संज्ञान लिया था जबकि ऐसा अधिकार क्षेत्र में नहीं था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह इस बात की पुष्टि न्यायालय की रजिस्ट्री से करना चाहता है।

पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि रजिस्ट्री के रिकार्ड याचिका में दी गई दलील से मेल खा गये हैं। इसके बाद चौधरी ने कहा कि चूंकि भारद्वाज और अन्य को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपित किया गया है, इसलिए सिर्फ एक निर्धारित विशेष अदालत ही उनके मामले का संज्ञान ले सकता था।

उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह को भारद्वाज के दावों पर जवाब देने का निर्देश दिया है।

अदालत इस मामले में अब 15 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा।

भारद्वाज को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें पुणे पुलिस ने सितंबर 2018 में अपनी हिरासत में लिया था। इसके बाद जनवरी, 2020 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली।

जबकि यह पूरा मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि इससे शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा भड़की।

पुणे पुलिस ने दावा किया कि सम्मेलन माओवादियों द्वारा समर्थित था।

आपको बता दें कि इसी मामले में देश के कई बुद्धजीवियों, पत्रकारों, लेखकों सहित समाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी हुई है।  हालांकि, किसी भी मामले में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। इसमें आनन्द तेलतुम्बड़े के अतिरिक्त, सुधा भारद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले वरवरा राव, रोना विल्सन, गौतम नवलखा, जैसे बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। हालाँकि स्टेन स्वामी की कुछ दिनों पूर्व ही पुलिस हिरासत में ही मौत हो गई है।  उनकी मौत के बाद से जाँच एजेंसी और सरकार दोनों के रैवैये को लेकर देश और दुनिया में आलोचना हो रही है।  यह सभी आरोपी, आम लोगों के सम्मानपूर्वक जीने के हक के पक्ष में, कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्षशील रहे हैं। ये लोग स्वास्थ्य-शिक्षा मुफ्त मिले, इसके लिए निजीकरण का विरोध करते रहे हैं और उन आदिवासियों के साथ खड़े हुए जिनकी जीविका के संसाधन को छीन कर पूंजीपतियों के हवाले किया जाता रहा है। इसलिए ये लोग शासक वर्ग के आंखों के किरकिरी बने हुए थे।

सुधा भरद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले, वरवरा राव, रोना विल्सन भीमा कोरेंगांव केस में जून और सितम्बर, 2018 से ही महाराष्ट्र के जेलों में बंद हैं। जबकि उस केस के असली गुनाहगार संभाजी भिंडे और मिलिन्द एकबोटे बाहर हैं।

महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद केन्द्र सरकार ने इस केस को एनआईए के हाथों में सुपुर्द कर दिया था। 18 माह बाद लम्बी कानूनी प्रक्रिया झेलने के बाद 14 अप्रैल 2020, को गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुम्बड़े को एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा। तब से ही ये दोनों भी जेल में हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

Elgar Parishad case
Bombay High Court
maharastra government

Related Stories

एल्गार परिषद मामला: तीन साल बाद जेल से रिहा हुईं अधिवक्ता-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज

अदालत ने सुधा भारद्वाज को 50,000 रुपये के मुचलके पर जेल से रिहा करने की अनुमति दी

एल्गार परिषद मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सुधा भारद्वाज की ज़मानत के ख़िलाफ़ एनआईए की याचिका ख़ारिज की

एल्गार परिषद : बंबई उच्च न्यायालय ने वकील सुधा भारद्वाज को ज़मानत दी

गढ़चिरौलीः यह लहू किसका है

एमएसआरटीसी हड़ताल 27वें दिन भी जारी, कर्मचारियों की मांग निगम का राज्य सरकार में हो विलय!

"पॉक्सो मामले में सबसे ज़रूरी यौन अपराध की मंशा, न कि ‘स्किन टू स्किन’ टच!"

एमएसआरटीसी हड़ताल: अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को समिति गठित करने का निर्देश दिया

मैंने बम नहीं बाँटा था : वरवरा राव

क्रूज ड्रग्स पार्टी केस: बंबई उच्च न्यायालय ने आर्यन खान को दी जमानत


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    शहरों की बसावट पर सोचेंगे तो बुल्डोज़र सरकार की लोककल्याण विरोधी मंशा पर चलाने का मन करेगा!
    25 Apr 2022
    दिल्ली में 1797 अवैध कॉलोनियां हैं। इसमें सैनिक फार्म, छतरपुर, वसंत कुंज, सैदुलाजब जैसे 69 ऐसे इलाके भी हैं, जो अवैध हैं, जहां अच्छी खासी रसूखदार और अमीर लोगों की आबादी रहती है। क्या सरकार इन पर…
  • रश्मि सहगल
    RTI क़ानून, हिंदू-राष्ट्र और मनरेगा पर क्या कहती हैं अरुणा रॉय? 
    25 Apr 2022
    “मौजूदा सरकार संसद के ज़रिये ज़बरदस्त संशोधन करते हुए RTI क़ानून पर सीधा हमला करने में सफल रही है। इससे यह क़ानून कमज़ोर हुआ है।”
  • मुकुंद झा
    जहांगीरपुरी: दोनों समुदायों ने निकाली तिरंगा यात्रा, दिया शांति और सौहार्द का संदेश!
    25 Apr 2022
    “आज हम यही विश्वास पुनः दिलाने निकले हैं कि हम फिर से ईद और नवरात्रे, दीवाली, होली और मोहर्रम एक साथ मनाएंगे।"
  • रवि शंकर दुबे
    कांग्रेस और प्रशांत किशोर... क्या सोचते हैं राजनीति के जानकार?
    25 Apr 2022
    कांग्रेस को उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए प्रशांत किशोर को पार्टी में कोई पद दिया जा सकता है। इसको लेकर एक्सपर्ट्स क्या सोचते हैं।
  • विजय विनीत
    ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?
    25 Apr 2022
    "चंदौली के किसान डबल इंजन की सरकार के "वोकल फॉर लोकल" के नारे में फंसकर बर्बाद हो गए। अब तो यही लगता है कि हमारे पीएम सिर्फ झूठ बोलते हैं। हम बर्बाद हो चुके हैं और वो दुनिया भर में हमारी खुशहाली का…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License