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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भी 'आयुष्मान भारत' का बुरा हाल : कार्ड होते हुए भी इलाज नहीं
लगातार मिल रही रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अस्पतालों द्वारा आयुष्मान कार्डधारी मरीजों का इलाज करने से इंकार किया जा रहा है।
रिज़वाना तबस्सुम
02 Dec 2019
ayushman yojna
Image courtesy:Social Media

आयुष्मान भारत योजना का ऐलान करते हुए पीएम मोदी और उनकी पूरी टीम ने दावा किया था कि अब देश में गरीब से गरीब लोग भी सरकारी तो सरकारी, किसी भी मंहगे प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करा सकेंगे और वह भी बिल्कुल मुफ्त। लेकिन जब इस योजना की जमीनी हकीकत पर नज़र डालते हैं तो सच्चाई कुछ और ही निकलकर आती है। ये हालत कहीं और की नहीं बल्कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की है।

मोदी के संसदीय इलाके में आयुष्मान कार्ड का हाल जानने से पहले आयुष्मान कार्ड से परिचित हो लेते हैं। आयुष्मान कार्ड मात्र तीस रुपए में बनवा कर आप 5 लाख रुपए तक का मुफ्त में इलाज करा सकते हैं। यह कार्ड कोई मामूली कार्ड नहीं है। इस कार्ड का नाम है गोल्डन कार्ड जो आयुष्मान भारत स्कीम से जुड़ा है। गोल्डन कार्ड दो जगहों पर बनेंगे। अस्पताल (जो अस्पताल आयुष्मान योजना से जुड़ा होगा) में और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएसएसी) पर। सीएससी गांवों में आसानी से मिल जाते है। कुछ गाँव में ग्राम प्रधान भी अपने गाँव वालों का आयुष्मान कार्ड बनाने में मदद कर रहे हैं। आपको बता दें कि, आयुष्मान कार्ड केवल उन्हीं लोगों का बनेगा जिनका नाम बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) सूची में होगा।

वाराणसी के राजतालाब के नरेंद्र का आयुष्मान कार्ड बना हुआ है। ये पास के ही निजी अस्पताल में जब इलाज के लिए गए तो फ्री में इलाज नहीं हुआ। करीब पाँच हज़ार रुपए इन्हें अपने पास से देना पड़ा। इसी तरह कपसेठी के महंगू को सांस की तकलीफ थी। सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए गए। इलाज तो हो गया। उनके पास कार्ड होने की वजह से अस्पताल में भर्ती होने का खर्च भी नहीं लगा लेकिन इसके दवा का खर्च परिजनों को वहन करना पड़ा।

इसके बारे में वाराणसी के सीएमओ वीबी सिंह कहते हैं कि, 'इलाज होना चाहिए और सरकारी अस्पताल में तो बिना आयुष्मान कार्ड के ही इलाज हो जाता है। सीएमओ आगे कहते हैं कि, 'इस समय कहीं-कहीं यह भी संज्ञान में आ रहा है कि कुछ कार्ड इल्लीगल (अवैध) तरीके से बन गए हैं। इसलिए कोई शक हो तो सीएमओ ऑफिस में आकर चेक करा लें कि कार्ड लीगल है या इल्लीगल ( वैध या अवैध)।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी यह भी कहते हैं कि ऐसा होता नहीं नहीं है कि कार्ड पर इलाज ना हुआ हो, कभी कभी लोगों के बहकावे में बरगलाकर गलत कार्ड बन गए हैं, मैंने एफ़आईआर भी करा दी है। सीएमओ कहते हैं कि पीड़ित को मेरे ऑफिस में आकर कार्ड चेक कराना चाहिए, अगर फ्रॉड कार्ड हुआ तो उसके लिए हम एफ़आईआर भी कराएंगे।

आयुष्मान कार्ड के बारे में बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता कहते हैं कि, 'इस जिले में इतने लोगों के आयुष्मान कार्ड बने हुए हैं लेकिन 90% लोग वो हैं जो उस कार्ड के लायक नहीं है। जो गरीब हैं जिन्हें बहुत ज्यादा जरूरत है कार्ड की उसका कार्ड ही नहीं बना हुआ है, क्योंकि उनका सूची (बीपीएल) में नाम ही नहीं है। राजकुमार कहते हैं कि, 'कार्ड जिनके पास हैं वो इलाज कराने में भी सक्षम हैं, लेकिन जो सक्षम नहीं हैं उनका क्या हो। सरकार को चाहिए कि एक बार सर्वे करा ले ताकि पात्र लोगों का आयुष्मान कार्ड बन सके।

जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुसार, अब तक वाराणसी में 176000 आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं, जो ऑनलाइन हैं और पूरी तरह वैरिफाइड हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुसार, केवल उन्हीं लोगों का कार्ड बन सकता हैं जिनका सूची (बीपीएल) में नाम होगा। अगर कोई और है जो आयुष्मान कार्ड बनवाना चाहता है और उसका सूची में नाम नहीं है तो उसका नहीं बन पाएगा।

राज्य के दूसरे जिले का हाल

ये सिर्फ वाराणसी की हालत नहीं है। लगातार मिल रही रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अस्पतालों द्वारा आयुष्मान कार्डधारी मरीजों का इलाज करने से इंकार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मरीज के पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अस्पताल द्वारा इलाज करने से इंकार करने की बात सामने आई है। मरीज के पास आयुष्मान कार्ड देखते ही डॉक्टर इलाज छोड़ उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दे रहे हैं। अस्पतालों की बेरहमी का शिकार हुए ऐसे ही एक मरीज कर्मवीर (45) ने बताय़ा कि उसे यह कहकर वापस लौटा दिया गया कि यहां उसका इलाज नहीं हो पाएगा।

लगातार मिल रही है फर्जीवाड़े की खबर

इन सबके आलवा आयुष्मान योजना में लगातार फर्जीवाड़े की खबर आ रही है। अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से आयुष्मान में फर्जीवाड़े की खबर आई थी। गाजीपुर के बाद मंगलवार को आजमगढ़ में भी एक आयुष्मान मित्र व उसके सहयोगी को हिरासत में लिया गया। गाजीपुर में बीते सोमवार को आईबी की टीम द्वारा बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करने के बाद जिले में भी हड़कंप मच गया था।

क्या है आयुष्मान भारत योजना

मालूम हो कि, 'मोदीकेयर के नाम से मशहूर आयुष्मान भारत योजना बीते साल 25 सितंबर से शुरू हुई है। केंद्र सरकार आयुष्मान योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों या 50 करोड़ लोगों को सालाना 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करा रही है। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा शुरू किये गए स्वास्थ्य सुरक्षा योजना ओबामाकेयर की तर्ज पर देश की आयुष्मान भारत योजना को मोदीकेयर भी कहा जाता है। 

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