NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
प्रस्तावित तंबाकू बिल को लेकर कार्यकर्ताओं की चेतावनी-यह बिल बीड़ी सेक्टर को दिवालिया कर देगा! 
ट्रेड यूनियनों के अनुमान के मुताबिक,देश में तक़रीबन 85 लाख बीड़ी श्रमिक हैं,जो इस प्रस्तावित संशोधनों से सीधे-सीधे प्रभावित होंगे।
पृथ्वीराज रूपावत
23 Jan 2021
तंबाकू

हैदराबाद: बीड़ी क्षेत्र में बढ़ते संकट से चिंतित ट्रेड यूनियनों ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण विनियमन और विज्ञापन निषेध) संशोधन विधेयक,2020 के मसौदे पर आपत्ति जतायी है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस मसौदा विधेयक को सार्वजनिक कर दिया है और 31 जनवरी तक इस पर टिप्पणी मांगी है।

श्रमिकों के मुताबिक़, ये नये बदलाव बीड़ी क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे।

सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) से जुड़े तेलंगाना बीड़ी और सिगार कामगार यूनियन की एस.रमा ने कहा कि इन नये संशोधनों से आख़िरकार लाखों बीड़ी श्रमिकों की मज़दूरी और उनके रोज़गार पर असर पड़ेगा। उन्होंने बताया,“2003 के बाद से केंद्र सरकार की तंबाकू सम्बन्धी नीतियों ने बीड़ी क्षेत्र को गंभीर संकट में पहले ही धकेल दिया था। बीड़ी पर 28% वस्तु और सेवा कर (GST) लगाने और बीड़ी के पैकेट पर चेतावनी के संकेतों के आकार में बढ़ोत्तरी से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी पैदा हुई है।”

ट्रेड यूनियनों के अनुमान के मुताबिक़,देश में तक़रीबन 85 लाख बीड़ी श्रमिक हैं।

रमा ने बताया,“उत्तर तेलंगाना में बीड़ी क्षेत्र पर 8 लाख परिवार निर्भर हैं। इससे पहले, बीड़ी श्रमिकों को महीने में 26 दिन का काम मिल जाया करता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद कार्यदिवस घटकर 10-12 दिन रह गया है।” उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ऐसे क़ानूनों के ज़रिये बीड़ी क्षेत्र से जुड़े लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी की अनदेखी कर रही है। उन्होंने मांग की,"अगर सरकार बीड़ी उत्पादन को कम करना चाहती है, तो उसे बीड़ी श्रमिकों के लिए वैकल्पिक रोज़गार के मौक़े देने होंगे।"

इस मसौदा विधेयक में पिछले क़ानून में 32 संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं। इन संशोधनों में दुकानों के पास विज्ञापनों पर प्रतिबंध, खुदरा बीड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध, बीडियों और सिगरेट के विज्ञापनों पर लगने वाले जुर्माने में 1,000 रुपये से 50,000 रुपये तक की बढ़ोतरी, तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए लाइसेंस की ज़रूरत, 21 वर्ष से कम आयु के लोगों को बीड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध,तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी नहीं छापे जाने पर 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना और 7 साल तक की जेल और अन्य संशोधनों के बीच निषिद्ध क्षेत्रों में बीड़ी बेचने पर सज़ा के तौर पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना।

वारंगल के एक बीड़ी कार्यकर्ता,प्रवीण ने बताया,“जुर्माने के बढ़ाये जाने से बीड़ी बेचने वालों और धूम्रपान करने वालों,दोनों पर ही असर पड़ेगा। तंबाकू उत्पाद या बीड़ी बेचने का लाइसेंस लेना आसान नहीं रह जायेगा। प्रतिबंधित क्षेत्रों में बीड़ी बेचने को लेकर प्रस्तावित सज़ा का प्रावधान एक ख़तरनाक प्रावधान है। यदि इसे लागू किया जाता है, तो बीड़ी बेचने वाली लगभग 70% से 80% दुकानें बंद हो जायेंगी।”  उन्होंने आगे बताया कि खुदरा बीड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध लग जाने से कई छोटे पैमाने के विक्रेता बेरोज़गार हो जायेंगे।

तेलंगाना प्रगतिशीला बीड़ी वर्कर्स यूनियन के वी.कृष्णा ने कहा कि नये संशोधन बीड़ी क्षेत्र को दिवालिया बना देंगे। उन्होंने दलील दी,“विज्ञापनों पर प्रतिबंधों का प्रस्ताव,बीड़ी विक्रेताओं पर लगने वाले जुर्माने में वृद्धि करके यह बिल पहले से संघर्ष कर रहे बीड़ी क्षेत्र की हालत को और ख़राब कर देगा। अगर सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता है, तो वह शराब की बिक्री को क्यों प्रोत्साहित कर रही है।” इस बिल को लेकर उनका आरोप है,“यह बिल आख़िरकार तंबाकू उत्पादों के काले बाज़ार को ही प्रोत्साहित करता है। इतना ही नहीं, अगर बीड़ी क्षेत्र में गिरावट आती है, तो बड़े कॉरपोरेट की सिगरेट कंपनियां भारी मुनाफ़ा बनायेंगी।”

कोविड-19 महामारी के प्रकोप के साथ लगाये गये लॉकडाउन के दौरान तेलंगाना की बीड़ी कंपनियों ने लाखों बीड़ी श्रमिकों को कथित तौर पर वेतन का भुगतान नहीं किया था।

रमा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं,“ट्रेड यूनियन भाजपा सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं। सरकार श्रम संहिता के विरोध से आंखे मूंद रही है और न्यूनतम मज़दूरी की मांग पर भी विचार नहीं कर रही है। इस नये बिल के साथ ही अब बीड़ी क्षेत्र के सामने एक और ख़तरा पैदा होने जा रहा है। ”

उन्होंने यह भी कहा कि तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अन्य सूबे में बीड़ी श्रमिकों के संघ संयुक्त रूप से केंद्रीय मंत्रालय को बिल पर अपनी आपत्तियां भेजेंगे।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करे

Proposed Tobacco Bill Will Bankrupt Beedi Sector, Warn Activists

Beedi Sector
Tobacco Products
Cigarette and Tobacco Products Bill
Ministry of Health
Telangana Beedi Workers

Related Stories


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License