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विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में दिखा CAA/NRC का विरोध, कहीं मेडल तो कहीं डिग्री लेने से इंकार
हाल ही में पुडुचेरी यूनिवर्सिटी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने दीक्षांत समारोह में अपना मेडल और डिग्री ना लेकर विरोध दर्ज करवाया है।
सोनिया यादव
26 Dec 2019
convocation

देश भर में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध हो रहा है और छात्र इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस कानून के विरोध की गूंज विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में भी सुनाई दे रही है। हाल ही में पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी, पश्चिम बंगाल की जाधवपुर यूनिवर्सिटी और वाराणसी की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कार्यक्रम में अपना मेडल और डिग्री ना लेकर विरोध दर्ज करवाया है।

पश्चिम बंगाल की जाधवपुर यूनिवर्सिटी में 24 दिसंबर मंगलवार को दीक्षांत समारोह का आयोजन था। मुख्य अतिथि राज्यपाल जगदीप धनखड़ थे। इंटरनेशनल रिलेशन की छात्रा देबोस्मिता चौधरी मंच पर पहुंची, उन्होंने मेडल और डिग्री प्राप्त की। इसके बाद नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सीएए की प्रति वहीं मंच पर फाड़ दी। इस दौरान कुलपति, उपकुलपति और रजिस्ट्रार भी मौजूद थे। छात्रा ने चिल्लाते हुए कहा 'हम कागज नहीं दिखाएंगे। इंकलाब जिंदाबाद' और फिर वह नीचे उतर आईं।
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छात्रा देबोस्मिता चौधरी ने मीडिया से कहा, 'यह मेरा विरोध करने का तरीका है, सीएए की प्रति फाड़कर मैं विश्वविद्यालय का अनादर नहीं कर रही हूं। अपने पसंदीदा संस्थान से डिग्री लेकर मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं। क्योंकि नागरिकता संशोधन कानून देश के सच्चे नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए बाध्य करता है। मैंने सीएए के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए ऐसा किया है।'

यूनिवर्सिटी के एक अन्य छात्र ए दास ने बताया कि उनके बैच के करीब 25 छात्र अपनी डिग्री लेने के लिए मंच पर नहीं गए। उनका नाम पुकारा गया, लेकिन उन्होंने अपनी डिग्री नहीं ली। इसका कारण नागरिकता संशोधन कानून है और छात्र उसका विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के काफिले को इस दौरान विरोध का सामना भी करना पड़ा। यूनिवर्सिटी के छात्रों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और नारे लगाए।

इससे पहले 23 दिसंबर सोमवार को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) का 101वां दीक्षांत समारोह था। इसे संकाय स्तर पर भी आयोजित किया गया था। सभी छात्रों को डिग्रियां बांटी जा रही थी। इसी बीच नागरिकता कानून का विरोध दिखाई दिया। हिस्ट्री ऑफ आर्ट्स के छात्र रजत सिंह मंच पर गए लेकिन उन्होंने डिग्री नहीं ली। उन्होंने सीएए के विरोध को लेकर बनारस में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ अपनी डिग्री लेने से मना कर दिया।
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रजत ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, 'मेरे कई साथियों को हमारे साथ ही यहां डिग्री लेनी थी लेकिन वह जेल में हैं। उन्हें नागरिकता कानून के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के दौरान पकड़ा गया। उन पर गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। विश्वविद्यालय उनकी रिहाई के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है। ऐसे में मैं सब जानते-समझते मैं कैसे डिग्री ले सकता हूं। हमारी मांग है कि गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को रिहा किया जाए।'

रजत ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बीएचयू के छात्रों को डराने के लिए फर्जी मुकदमे लगाए हैं। छात्रों ने कोई राष्ट्रविरोधी नारा नहीं लगाया है ना ही कोई हिंसा हुई है। प्रदर्शन में शामिल छात्रों का नारा था, ‘हम देश बचाने निकले हैं, आओ हमारे साथ चलो'।

बता दें कि पुलिस ने 19 दिसंबर को बनारस के बोनियाबाग इलाके से करीब 70 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिस में करीब 16 बीएचयू के छात्र हैं। छात्रों पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने, उपद्रव करने की कोशिश समेत कुल आठ गंभीर धाराएं लगाई हैं। जबकि बीएचयू के छात्रों का कहना है कि हमारे पास प्रदर्शन के तमाम वीडियो और सबुत हैं जो ये साबित करते हैं कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और इसमें किसी प्रकार की कोई हिंसा नहीं हुई थी।
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गिरफ्तार छात्रों की एकजुटता में बीएचयू के समान विचारधारा वाले छात्रों ने संयुक्त रूप से बीएचयू परिसर में विश्वनाथ मंदिर में बीएचयू के संस्थापक महामना पं मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा के पास अपनी डिग्री, पगड़ी और अंगवस्त्रम रखकर छात्रों की गिरफ्तारी का विरोध किया और सर्वसम्मति से गिरफ्तार छात्रों की रिहाई की मांग की।

गौरतलब है कि बीएचयू और इससे जुड़े कॉलेजों के 51 शिक्षकों ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध किया है। उन्होंने सभी के हस्ताक्षर वाली प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस कानून को आईडिया ऑफ इंडिया और स्वाधीनता आंदोलन के विचारों के खिलाफ बताया। शिक्षकों ने प्रदर्शन करने वाले नागरिकों से अपील किया कि शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रतिरोध दर्ज कराएं। इसके साथ ही शिक्षकों ने पुलिस द्वारा की जा रही हिंसा और दमन को भी गलत बताया और उसकी निंदा की।

इसी कड़ी में पुडुचेरी यूनिवर्सिटी की रबीहा अब्दुर्रहीम ने गोल्ड मेडल लेने से इनकार कर दिया। रबीहा ने आरोप लगाया है कि उन्हें दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोका गया क्योंकि प्रशासन को इस बात का अंदेशा था कि वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने नारे लगा सकती हैं या पुरस्कार लेने से मना कर सकती हैं।
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हालांकि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा कि हॉल के अंदर उसे नहीं आने देने का कोई सवाल ही नहीं था। हमें नहीं पता कि रबीहा को बाहर जाने के लिए क्यों कहा गया।

इस संबंध में रबीहा अब्दुर्रहीम ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है- मैंने सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के सपोर्ट में मेडल लेने से इनकार किया है। देशभर में छात्रों के साथ जो रहा है उसके विरोध में मैं अपना गोल्ड मेडल रिजेक्ट करती हूं। मैं उन सभी छात्रों के साथ हूं जो सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने मुझे बाहर कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि मैं ऐसा करूंगी।'

गौरतलब है कि देश के सभी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में सीएए और एनआरसी को लेकर छात्र ज़ोरदार विरोध कर रहे हैं, पुलिस की लाठियां खा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं। इसके बावजूद छात्रों का हौसला बुलंद है और वो लगातार में अपने अलग-अलग तरीकों से सीएए के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।

Protest against CAA
NRC
Universities Convocations
BHU
Pondicherry University
Jadhavpur University
Banaras Hindu University
nrc and citizenship act

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