NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
सूडान में लगातार हो रही नस्लीय हत्या के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन
ट्रांजिशनल सरकार में प्रमुख पद प्राप्त करने वाले उमर अल-बशीर सरकार के लोगों ने कुख्यात मिलिशिया को ख़त्म करने में अड़ंगा लगा दिया।
पीपल्स डिस्पैच
12 Aug 2020
सूडान

दक्षिण दारफुर प्रांत से संबंध रखने वाले सूडान की राजधानी खार्तूम के निवासियों ने सोमवार 10 अगस्त को ट्रांजिशनल सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया।

दारफुर के लोगों की रक्षा करने में ट्रांजिशनल सरकार की विफलता के ख़िलाफ़ ये विरोध प्रदर्शन किया गया था। सरकार से संबद्ध मिलिशिया द्वारा हाल में किए गए कई हमलों के कारण इस क्षेत्र में कई लोग मारे गए और हज़ारों लोग विस्थापित हो गए हैं।

प्रधानमंत्री अब्दल्ला हमदोक के कार्यालय को सौंपे गए एक ज्ञापन में प्रदर्शनकारियों ने इस क्षेत्र में मिलिशिया के निरस्त्रीकरण और विस्थापितों के लिए राहत की मांग की। उमर अल-बशीर के बेदखल सरकार में इस क्षेत्र में मिलिशिया परवान चढ़ा था। उन्होंने ज़ोर दिया कि यह महत्वपूर्ण है कि कृषि के मौसम की शुरुआत में इस क्षेत्र में शांति बहाल की जाए।

इन प्रदर्शनकारी ने इसके अलावा "राजनीतिक क़ैदियों" की रिहाई की मांग की है जिनमें ज़्यादातर नागरिक जो प्रतिरोध समितियों का हिस्सा हैं जो कि स्थानीय स्तर पर संगठित होते हैं। इसने दिसंबर 2018 में शुरू होने वाले बड़े पैमाने पर विद्रोह को लेकर आधार तैयार किया था।

इन प्रतिरोध समितियों के सदस्यों को हिंसक झड़पों के बाद रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) द्वारा 29 जुलाई के बाद से कार्रवाई करते हुए गिरफ़्तार किया गया है।

आरएसएफ एक मिलिशिया है जो कि उमर अल-बशीर की अगुवाई में पूर्ववर्ती सरकार के अधीन जनजावीद अरब के आदिवासियों द्वारा तैयार किया गया। दारफुर और अन्य क्षेत्रों में नस्लीय हत्या करने के लिए इस मिलिशिया का इस्तेमाल किया गया था जहां बड़े पैमाने पर ग़ैर-अरब समूहों ने उनके नेतृत्व में तत्कालीन इस्लामवादी सरकार के अधीन आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव के ख़िलाफ़ विद्रोह करने के लिए संगठित किया था।

महीनों के निरंतर विरोध के बाद बशीर को बेदखल कर दिया गया है और नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों सहित आरोपों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) में मुकदमा चल रहा है।

सत्ता-साझा करने के समझौते के आधार पर बनी ट्रांजिशनल सरकार डिक्लेयरेशन ऑफ फ्रीडम एंड चेंज फोर्सेस (डीएफसीएफ) के बीच एक समझौते के रूप में गठित हुई। विरोध आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाला ये राजनीतिक गठबंधन जिसने बशीर को बाहर कर दिया। मिलिट्री जुंटा ने जिसने उनके निष्कासन के बाद कुछ समय के लिए सत्ता हासिल किया था उसने सशस्त्र विद्रोही समूहों से संपर्क किया और शांति वार्ता की शुरुआत की जो दिसंबर 2019 के बाद से अनिश्चित रूप से जारी है। हालांकि, पूर्ववर्ती सरकार के लोग वर्तमान सरकार में पदासीन हैं। वे कुछ स्पष्ट और मूल नियमों को लागू करना चाहते हैं जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण आरएसएफ का निरस्त्रीकरण है।

Sudan
Sudan Protest
Racism
Protest against racial killings
Abdalla Hamdok

Related Stories

सूडान में तख्तापलट के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन जारी, 3 महीने में 76 प्रदर्शनकारियों की मौत

सूडान : 10 लाख से ज़्यादा नागरिक तख़्तापलट के विरोध में सड़कों पर आए

अमेरिका में फ्लॉयड की बरसी पर रखा गया मौन, निकाली गईं रैलियां

अमेरिका में नस्लवाद-विरोध तेज़ होने के साथ प्रदर्शनकारियों पर हिंसा बढ़ी

नस्लवादियों के खिलाफ उठ खड़े होइए : स्कॉटलैंड यार्ड के भारतीय मूल के आतंक रोधी प्रमुख ने कहा

अमेरिकी बहुत ही चालाक हैं, हमें ट्विटर पर आंदोलन करना सिखा दिया और खुद सड़क पर निकले हैं

अमेरिका को जो चिंगारी जला रही है उसका बारूद सदियों से तैयार होते आ रहा है

अमेरिका में क्यों टूट जाती है इंसाफ़ की उम्मीद !

अमेरिका में नस्लभेद-विरोधी प्रदर्शन तेज़

CAA का जामिया के शाहीन बाग में विरोद्ध प्रदर्शन , निर्भया मामले की पुनर्विचार याचिका, सूडान सरकार


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License