NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
नाटो शिखर वार्ता के ख़िलाफ़ ब्रसेल्स में विरोध प्रदर्शन
साम्राज्यवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ब्रसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन का उद्देश्य कोविड-19 महामारी के बीच रूस और चीन के साथ एक नया शीत युद्ध शुरू करना है।
पीपल्स डिस्पैच
15 Jun 2021
नाटो शिखर वार्ता के ख़िलाफ़ ब्रसेल्स में विरोध प्रदर्शन

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) की शिखर सम्मेलन की बैठक से पहले सैकड़ों साम्राज्यवाद-विरोधी और पीस एक्टिविस्ट ने बेल्जियम में प्रदर्शन किया। नाटो शिखर सम्मेलन की बैठक 14 जून को बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में शुरू हुई। इंटल ग्लोबलाइज़ सॉलिडेरिटी इनिशिएटिव, इंटरनेशनल वीक ऑफ एंटी-इंपीरियलिस्ट स्ट्रगल, वर्कर्स पार्टी ऑफ़ बेल्जियम(पीटीबी/पीवीडीए) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बेल्जियम(पीसीबी-सीपीबी) सहित विभिन्न राजनीतिक संगठनों और शांति समूहों ने इस नाटो विरोधी कार्रवाई का आह्वान किया था।

ब्रुसेल्स में चल रही नाटो की बैठक युद्ध गठबंधन के राष्ट्राध्यक्षों की ये 31वीं औपचारिक बैठक है। प्रदर्शनकारियों ने COVID-19 महामारी के बीच इस बैठक के किए जाने की निंदा की और रूस व चीन के साथ नया शीत युद्ध शुरू करने के लिए टकराव की अपनी नीति को आगे बढ़ाने के लिए नाटो की आलोचना की।

नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर ने इस बैठक को यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बीच बॉन्ड के स्थायी प्रतिनिधित्व के रूप में नाटो को मजबूत करने के लिए एक अद्वितीय अवसर के रूप में माना है।

इंटरनेशनल पीपुल्स असेंबली के यूरोपीय सचिवालय ने आरोप लगाया कि नाटो शिखर सम्मेलन का उद्देश्य अमेरिका और यूरोप के बीच ट्रान्साटलांटिक साझेदारी को पुनः ताजा करना और मजबूत करना है और रूस व चीन जैसे कथित बाहरी दुश्मनों को लेकर चर्चा पर ध्यान केंद्रित करके उनके बीच भारी आंतरिक व बाहरी विरोधाभासों को छिपाना है।

नाटो शिखर सम्मेलन के विरोध से पहले पीटीबी के सांसद नबील बुकीली ने बेल्जियम के प्रधानमंत्री से पूछा कि वह इस खतरनाक और परेशान करने वाले वैश्विक संदर्भ में क्या विकल्प चुनेंगे जहां, आर्थिक और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए, चीन के खिलाफ अमेरिका शीत युद्ध शुरू कर रहा है।

इंटल ग्लोबलाइज़ सॉलिडेरिटी इनिशिएटिव ने आरोप लगाया कि COVID-19 संकट के बीच और नाटो के दबाव में बेल्जियम ने युद्ध उद्योग पर लगभग 5 बिलियन यूरो (6.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर) खर्च किए। इनिशिएटिव ने आगे कहा, "हम एफ-35 जैसी सबसे अधिक महंगी युद्ध मशीनों में निवेश नहीं करना चाहते हैं, हम क्लेने ब्रोगेल बेस पर परमाणु हथियार नहीं चाहते हैं, हम रूस और चीन के साथ शीत युद्ध नहीं चाहते हैं।"

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बेल्जियम (पीसीबी-सीपीबी) ने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने, बेल्जियम के क्लेने ब्रोगेल एयर बेस को नष्ट करने और नाटो के साम्राज्यवादी मिशनों में शामिल सभी बेल्जियम सैनिकों की वापसी की अपनी मांग दोहराई।

NATO
North Atlantic Treaty Organization
COVID-19
Jens Stoltenberg
Anti-NATO Protest
Belgium

Related Stories

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव

90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात

महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 

यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत

खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License