NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
क़तर ने अपने श्रम क़ानूनों में महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की
इस घोषणा में नौकरी बदलने के लिए नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी और इसमें ग़ैर-भेदभावपूर्ण न्यूनतम वेतन शामिल है।
पीपल्स डिस्पैच
31 Aug 2020
क़तर

क़तर ने अपने सभी प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 क़तरी रिआल (लगभग 274 अमरीकी डॉलर) के ग़ैर-भेदभावपूर्ण न्यूनतम वेतन की घोषणा रविवार 30 अगस्त को की। क़तर के मिनिस्ट्री ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, डेवलपमेंट, लेबर एंड सोशल अफेयर (एडीएलएसए) ने भी देश की कुत्सित "कफाला" प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की।

मंत्रालय के अनुसार कर्मचारियों को अब नौकरी बदलने के लिए अपने नियोक्ताओं से "अनापत्ति प्रमाण पत्र" की आवश्यकता नहीं होगी। "कफला" या प्रायोजन प्रणाली के मौजूदा नियमों के अनुसार किसी कर्मचारी को अपने नियोक्ता की अनुमति के बिना अनुबंध की अवधि के दौरान अपनी नौकरी बदलने की अनुमति नहीं थी। अब, नोटिस की अवधि के बाद ये कर्मचारी अपनी इच्छानुसार नौकरी बदल सकता है।

रविवार की घोषणा से पहले क़तर में अपने प्रवासी श्रमिकों के लिए अस्थायी न्यूनतम वेतन 750 क़तरी रियाल (क्यूआर) था। क़तर पहला ऐसा खाड़ी देश बना गया है जिसने अपने सभी प्रवासी श्रमिकों को उनकी राष्ट्रीयता के बावजूद ग़ैर-भेदभावपूर्ण न्यूनतम वेतन की घोषणा की। कुवैत के बाद अब यह न्यूनतम वेतन पाने वाला दूसरा देश बन गया है।

इन घोषणाओं के अनुसार, नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के आवास और भोजन के लिए अतिरिक्त 800 क्यूआर (लगभग 219 यूएसडी) प्रति माह (आवास के लिए 500 और भोजन के लिए 300) का भुगतान करना होगा।

मंत्रालय ने समय-समय पर वेतन की समीक्षा और संशोधन के लिए एक राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन आयोग के गठन की घोषणा भी की।

ख़राब काम की परिस्थितियों और नियोक्ताओं द्वारा अन्य देशों के श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार के कारण कतर सुर्खियों में रहा है। क़तर में 2022 के फुटबॉल विश्व कप होना है। क़तर सरकार ने पहले कई सुधारों की घोषणा की थी। लेकिन एक्टिविस्ट ने तर्क दिया है कि वे सुधार केवल काग़ज़ पर हैं और उन्हें लागू करना बहुत मुश्किल है।

कई श्रमिक शिकायत करते रहे हैं कि COVID-19 के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को अपने नियोक्ताओं द्वारा उनके वेतन और अन्य देय राशि का भुगतान नहीं किया गया है।

आधिकारिक बयान में उन नियोक्ताओं के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की बात कही गई है जो अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान समय पर नहीं कर पाते हैं और उन लोगों के ख़िलाफ़ जुर्माना लगाने को कहा है जो उन्हें आवास प्रदान करने में विफल रहते हैं।

आधिकारिक गैजेट में इसके प्रकाशन के 6 महीने बाद यह प्रस्तावित क़ानून लागू होगा।

इस घोषणा का अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने स्वागत किया है जिसने इसे "क़तर के लिए श्रम सुधार के एजेंडे में मील का पत्थर" कहा है।

Qatar
labor laws
Reforms in labor laws
Migrant workers
Middle East
International news

Related Stories

दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना

जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप

अमेरिका में महिलाओं के हक़ पर हमला, गर्भपात अधिकार छीनने की तैयारी, उधर Energy War में घिरी दुनिया

रूस-यूक्रैन संघर्षः जंग ही चाहते हैं जंगखोर और श्रीलंका में विरोध हुआ धारदार

दुनिया भर की: सोमालिया पर मानवीय संवेदनाओं की अकाल मौत

कर्नाटक: मलूर में दो-तरफा पलायन बन रही है मज़दूरों की बेबसी की वजह

पुतिन को ‘दुष्ट' ठहराने के पश्चिमी दुराग्रह से किसी का भला नहीं होगा

यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर गंभीर गेहूं संकट का सामना करता मध्य पूर्व

कोविड -19 के टीके का उत्पादन, निर्यात और मुनाफ़ा

2022 बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के ‘राजनयिक बहिष्कार’ के पीछे का पाखंड


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License