NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कला
संगीत
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
'कव्वाली यहां नहीं चलेगी'...क्यों नहीं चलेगी? क्योंकि योगी जी आने वाले हैं!
कला-संगीत और नृत्य में भी हदबंदी की जा रही है। उसे हिन्दू-मुसलमान में बांटने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा ही कुछ एक बार फिर हुआ है उत्तर प्रदेश में। इक़बाल और फ़ैज़ की नज़्मों के बाद अब निशाने पर आई है कव्वाली।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 Jan 2020
manjari chaturvedi

देश में अच्छे दिन आ गए हैं और इन अच्छे दिनोंं में सभी का स्वागत नहीं है। यहां तक की कला-संगीत का भी नहीं। कला-साहित्य, गीत -संगीत और नृत्य में भी हदबंदी की जा रही है। उसे हिन्दू-मुसलमान में बांटने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा ही कुछ एक बार फिर हुआ है उत्तर प्रदेश में। इक़बाल और फ़ैज़ की नज़्मों के बाद अब निशाने पर आई है कव्वाली।

'कव्वाली यहां नहीं चलेगी' यही कहना था उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के अधिकारियों का। लखनऊ घराने की मशहूर कथक नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी ने ये आरोप यूपी सरकार के अधिकारियों पर लगाया है। साथ ही मंजरी ने ये भी कहा कि वे अधिकारियों के कृत्य से बेहद आहत हैं।

क्या है पूरा मामला?

16 जनवरी, गुरुवार को राजधानी लखनऊ में सातवें काॅमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन इंडिया रीजन काॅन्फ्रेंस में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन था। इसमें लखनऊ घराने की मशहूर कथक नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी परफॉर्म कर रहीं थीं तभी मंजरी के अनुसार कुछ अधिकारी स्टेज पर आ गए और तुरंत कार्यक्रम को बंद करने की बात करने लगे। मंजरी का कहना है कि पहले उन्हें लगा कि शायद कोई तकनीकी समस्या है लेकिन जब उन्होंने इसकी वजह पूछी तो उन्हें कहा गया कि 'सीएम योगी को कार्यक्रम में आना है, यहां ‘कव्वाली’ नहीं चलेगी।' अधिकारियों के इस रवैये से बेहद आहत मंजरी ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया है।

इस कार्यक्रम में मौजूद भातखण्डे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय की कथक नृत्यांगना मृणालिनी ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, 'जब कव्वाली को बंद करने को कहा गया तब मंजरी ने स्टेज से ही माइक पर पूछा कि 'कव्वाली पर ‘आपत्ति क्यों’ है। ‘ये गंगा-जमुना तहजीब की पहचान है।’ इसके बावजूद अधिकारियों ने म्यूजिक कंसोल बंद करवा दिया और निराश होकर मंजरी वहां से चली गईं। ये सिर्फ कला का ही अपमान नहीं, कलाकार और संस्कृति का भी अपमान है।'

मृणालिनी आगे कहती हैं कि मंजरी चतुर्वेदी सूफी-कथक शैली की जानी मानी हस्ती हैं। वो दो दशक से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, उन्होंने दुनिया के 22 मुल्कों में 300 से परफॉर्मेंस दी हैं। उन्हें प्रस्तुति के लिए खुद यूपी सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया था, फिर उनकी कव्वाली की जगह ब्रज का कार्यक्रम करवाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।

हालांकि आयोजकों ने मंजरी के आरोपों को नकार दिया है। उनका कहना है कि कार्यक्रम को बीच में संस्था की मजबूरियों के चलते रोका गया। उन्होंने धार्मिक या भाषाई संकीर्णता की वजह से कार्यक्रम में बाधा के आरोपों को खारिज कर दिया है। फिलहाल इस मुद्दे पर सीएम ऑफिस की ओर से कोई प्रतिक्रया नहीं आई है।

गौरतलब है कि हाल ही में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे, लाज़िम है कि हम भी देखेंगे' को कुछ लोगों ने हिंदू विरोधी करार दे दिया था, आईआईटी कानपुर में जांच समिति बन गई। इससे पहले पीलीभीत में अल्लामा इक़बाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ’ स्कूल में गाये जाने पर प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया था।

Qawwali
UttarPradesh
Yogi Adityanath
hindu-muslim
Iqbal
Faiz Ahmed Faiz
Commonwealth Parliamentary Association India Region Conference
IIT kanpur
Social Media
Religion Politics

Related Stories

फ़ैज़: हम ने इस इश्क़ में क्या खोया है क्या सीखा है... आजिज़ी सीखी ग़रीबों की हिमायत सीखी

#metoo : जिन पर इल्ज़ाम लगे वो मर्द अब क्या कर रहे हैं?


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License