NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
कानून
कृषि
मज़दूर-किसान
समाज
भारत
राजनीति
'मरने के लिए तैयार, लेकिन डिगेंगे नहीं’ : गिरफ़्तार किसानों के परिवार विरोध को जारी रखने को लेकर प्रतिबद्ध
गणतंत्र दिवस परेड के बाद दिल्ली में गिरफ़्तार किए गए सात लोगों के परिवारों का कहना है कि उनके बेटों ने पूर्व निर्धारित परेड रूट पर चलते हुए ही शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया था।
सागरिका किस्सू
10 Feb 2021
Farmer Protest

23 जनवरी को 48 साल के बूटा सिंह तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ टिकरी में चल रहे किसानों के विरोध स्थल से लौट आए थे। उसी दिन उनका छोटा बेटा, 23 साल का गुरपिंदर सिंह पंजाब के बठिंडा ज़िले के बंगी निहाल सिंह गांव से अपने सात अन्य पड़ोसियों के साथ गणतंत्र दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली में शामिल होने के लिए शाम को निकलने की तैयारी कर रहे थे। 26 जनवरी को भड़की हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की तरफ़ से गिरफ़्तार किए गए 122 लोगों में शुमार गुरपिंदर अब तिहाड़ जेल में हैं।

गणतंत्र दिवस पर चल रही शांतिपूर्ण रैली उस समय हिंसक हो गयी थी, जब प्रदर्शनकारियों का एक हिस्सा अनुमोदित रूट से न जाकर किसी और रूट से आगे बढ़ गया था और लाल क़िले में दाखिल हो गया था। नतीजतन सुरक्षा कर्मियों के साथ उनकी झड़पें हो गईं थीं।

अपने गांव से गिरफ़्तार किए गए इन सात लोगों में गुरपिंदर सबसे छोटे हैं। उसके निडर पिता, बूटा सिंह ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। उन्होंने कहा, “हम कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हैं और एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। मेरे बेटे ने कोई अपराध नहीं किया है। उसने तय रूट का उल्लंघन नहीं किया था। उसने लाल क़िले में प्रवेश नहीं किया था। तो फिर हम क्यों डरें?”

जिन्हें उस गांव से गिरफ़्तार किया गया है, उनमें शामिल नौजवान हैं- 30 साल के सिमरजीत सिंह; 32 साल के जसगीर सिंह; 30 साल के संदीप सिंह; 42 साल के माखन सिंह; 23 साल के गुरपिंदर सिंह; 32 साल के वीरेंदर सिंह; 45 साल के लखवीर सिंह।

बूटा सिंह और उनके 30 साल के बड़े बेटे, गुलविंदर सिंह, दोनों बारी-बारी से महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए पहले से ही दिल्ली की सीमा पर जाते रहे थे। उनके बाद गुरपिंदर उस विरोध में शामिल होने गये थे।

नौजवान गुरपिंदर दो साल पहले सैन्य सेवा के लिए ज़रूरी पात्रता परीक्षा पास नहीं पाने के बाद अपने परिवार के खेती के व्यवसाय में आ गये थे। उनके बचपन के दोस्त, सिमरनजीत ने न्यूज़क्लिक को बताया, "वह हमेशा से एक फ़ौज़ी बनना चाहता था, लेकिन दो बार दौड़ परीक्षण में सफल नहीं हो पाया। उसके बाद, वह बहुत परेशान रहने  लगा था और कई दिनों तक तो किसी से बात तक नहीं की थी।”

गणतंत्र दिवस की झड़पों के बाद 40 से ज़्यादा किसान यूनियनों के संयुक्त मोर्चा, संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया था कि तक़रीबन 100 प्रदर्शनकारी लापता हो गये हैं। एक दिन बाद, दिल्ली पुलिस ने हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में गिरफ़्तार लोगों की एक सूची प्रकाशित की थी।

23 जनवरी को बंगी निहाल सिंह गांव से ट्रैक्टर रैली में शामिल होने के लिये गये आठ लोगों में से रावल सिंह नाम का एक शख़्स बच निकलने में कामयाब रहे थे और बाक़ी सात की गिरफ़्तारी को लेकर उनके परिवारों को सूचित करने के लिए वह पंजाब पहुंच गये थे।

रावल ने न्यूज़क्लिक को बताया कि जब वह नांगलोई पुलिस स्टेशन के पास पूर्व-अनुमोदित रूट का अनुसरण करते हुए टिकरी सीमा लौट रहे थे, तो उनके दोस्तों को "धोखे से" गिरफ़्तार कर लिया गया था।

रावल ने बताया, “हम सभी को पुलिस स्टेशन के अंदर बुलाया गया था, लेकिन मैं अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों की देखभाल करने के लिए बाहर रह गया। कुछ समय बाद मुझे बताया गया कि मेरे दोस्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। मैं हैरान था, कुछ परिवारों को कॉल किया और दूसरों को सूचित करने के लिए पंजाब वापस चला गया।”

‘शांतिपूर्ण प्रतदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी’

रावल ने दिल्ली पुलिस पर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार करने और उनके ख़िलाफ़ ‘दंगा करने’ के आरोप लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल किया, “दिल्ली पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को दंगाइयों के तौर पर गिरफ़्तार कर के एक धारणा बना रही है। मैं और मेरे पड़ोसी यूनियनों की तरफ़ से तय किये गये अनुमोदित रूट का अनुसरण करते हुए लौट रहे थे। फिर, उन्हें गिरफ़्तार क्यों किया गया?”

दिल्ली सरकार की ओर से प्रकाशित सूची के मुताबिक़ 109 प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया है। इन लोगों के ख़िलाफ़ लगाये गये आरोप हैं: धारा 147 (दंगा करने की सज़ा), धारा 148 (घातक हथियार से लैस,दंगा करना), धारा 149 और धारा 189 (लोक सेवक को उनके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), इसके अलावे कई दूसरी धारायें। हालांकि,किसानों के यूनियनों का दावा है कि 200 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी लापता हैं।

बंगी निहाल सिंह गांव में किसान एकता के झंडे दोपहर की हवा में हर जगह फड़फड़ाते देखे जा सकते हैं,ये झंडे घरों की खिड़कियों के बाहरी हिस्सों, कारों के बोनट के निकले हुए हिस्सों, दोपहिया वाहनों के शीशे स्टैंड पर लगाये गये हैं।

पिछले साल कृषि क़ानूनों को पारित किये जाने के बाद भारतीय किसान यूनियन (सिद्दूपुर) के 32 साल के ग्रामीण जसगीर सिंह की तरफ़ से इन क़ानूनों के बारे में लोगों को शिक्षित करने की घोषणा स्थानीय गुरुद्वारा से की गयी थी। ग्रामीणों के मुताबिक़, जसगीर हाल ही में प्रमुख बन गया था और किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर ले जाने की सहूलियतें मुहैया कराने को लेकर सक्रिय था।

जसगीर के घर में गिरफ़्तार लोगों के परिवार भविष्य की योजनाओं और क़ानूनी रास्ता अख़्तियार करने को लेकर एक बैठक के लिए इकट्ठे हुए थे। कुछ ही दूरी पर जसगीर के सात साल के बेटे-सुखदेव को ट्रॉली वाले खिलौने में रेत भरते हुए और एक रस्सी के सहारे उसे खींचते हुए देखा जा सकता था, बीच-बीच में ‘वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फतह’ की आवाज़ लगाते हुए भी उसे सुना जा सकता था।

जसगीर की पत्नी,कुलविंदर कौर ने बताया, “वह पूछ रहा है कि उसके पिता कहां हैं। हमने झूठ बोला है कि वह अब भी काले क़ानून के ख़िलाफ़ किसानों के विरोध स्थल पर हैं। तब से वह अपने पिता की नक़ल कर रहा है।”

न्यूज़क्लिक ने गिरफ़्तार लोगों के परिवार के सदस्यों से मुलाक़ात की,उन्होंने प्रदर्शनकारियों के उस हिस्से की निंदा की,जो लाल क़िले में दाखिल हुए थे और बताया कि उनके बेटे पूर्व-निर्धारित रूट का ही अनुसरण कर रहे थे। कौर ने बताया, “हम दिल्ली जायेंगे और वकीलों से मिलेंगे। यूनियन ने मदद का हाथ बढ़ाया है और मुख्यमंत्री (अमरिंदर सिंह) ने भी हमें वकील मुहैया कराये हैं। लेकिन,हम वकीलों से मिलना चाहते हैं और क़ानूनी आधार  को समझना चाहते हैं।”

जब न्यूज़क्लिक का रिपोर्टर गिरफ़्तार किये गये लोगों के परिवारों से बात कर रहा था, तो गिरफ़्तार लोगों में से एक- 32 साल के वीरेंदर सिंह की दादी जसविंदर कौर (बदला हुआ नाम) के अंतिम संस्कार के सिलसिले में गुरुद्वारा से घोषणा की जा रही थी। ग्रामीणों ने अफ़सोस जताया कि बुज़ुर्ग महिला अपने पोते का चेहरा देखे बग़ैर इस दुनिया से रुख़सत हो गयी।" बेटे दी दर्द नी मार दीया (अपने पोते के दर्द ने उसे मार डाला)।"

जसगीर सिंह की ग़ैर-मौजूदगी में गुरुद्वारा से घोषणाओं की ज़िम्मेदारी ग्रामीणों की तरफ़ से पूरी की जा रही है। उनके मुताबिक़, हर सात दिनों के बाद प्रदर्शनकारी किसानों की तरफ़ से दिल्ली की सीमाओं पर ज़रूरी वस्तुओं के सिलसिले में एक घोषणा की जाती है।

गिरफ़्तार किये गये 42 साल के माखन सिंह के पिता बिंदर सिंह ने कहा, “घोषणा के बाद, ग्रामीण ज़रूरी वस्तुओं के साथ गुरुद्वारा में इकट्ठे होते हैं और इन चीज़ों को गांवों से जाने वाले लोगों की टोलियों पर लोड करते हैं। इन काले क़ानूनों ने हमें सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर दिया है।”

माखन सिंह की बेटी इस समय कक्षा 10 वीं में पढ़ रही है और वह आईएएस अधिकारी बनना चाहती है। उसके दादा, बिंदर ने बताया, “वह एक टॉपर है। हमेशा 90% स्कोर करती हैं। वह अफ़सर ज़रूर बनेगी।”

जिस दिन न्यूज़क्लिक ने गांव का दौरा किया, उसी दिन सात आदमी पहले ही एक सप्ताह के लिए दिल्ली की सीमाओं के लिए रवाना हो चुके थे, इन सात लोगों में से दो लोग गिरफ़्तार किये गये नौजवानों के भाई थे और वे विरोध प्रदर्शन में अनुदान देने के लिए साग, दूध और लकड़ी अपने साथ लेकर गये थे।

गिरफ़्तार लोगों के परिवारों ने कहा कि इस गिरफ़्तारी से कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लड़ने के उनके संकल्प को और मज़बूती मिली है।

गिरफ़्तार सिमरनजीत सिंह के भाई,मनदीप सिंह ने बताया,“इस गिरफ़्तारी की ख़बर फ़ैलने के बाद दिल्ली के लिए और कई लोग रवाना हो रहे हैं। हम मरने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपने रास्ते से डिगेंगे नहीं।”

सिमरनजीत की शादी तीन महीने पहले ही हुई थी और दिल्ली की सीमाओं की उनकी यह पहली यात्रा थी। उनकी नवविवाहिता पत्नी, मनप्रीत सिंह ने अपनी आंखें नीचे रखते हुए बताया, “काम करन वास्ते गये सी, अपना हक़ मांगन गये सी (वह काम के लिए गये थे, वह अपने अधिकार मांगने गये थे)।”

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बीकेयू (एकता उग्रहान) के वरिष्ठ प्रमुख, झंडा सिंह ने कहा, “हमने शुरू से ही लाल क़िले की घटना की निंदा की है, फिर भी पुलिस ने उन शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को गिफ़्तार कर लिया, जिन्होंने तय रूट का अनुसरण किया था और कई अन्य लोग तो अब भी लापता हैं। इन प्रदर्शनकारियों के परिवार तनाव में हैं। हम तो यह पूछना चाहते हैं कि जब हर जगह बड़े पैमाने पर बैरिकेडिंग थी, तो लाल क़िले में यह बैरिकेडिंग क्यों नहीं थी?” उन्होंने कहा, "हम सरकार से कुछ नहीं चाहते, बस इन क़ानूनों को निरस्त करें और हमें छोड़ दें।


बाकी खबरें

  • BJP
    अनिल जैन
    खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं
    01 May 2022
    राजस्थान में वसुंधरा खेमा उनके चेहरे पर अगला चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है, तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इसके खिलाफ है। ऐसी ही खींचतान महाराष्ट्र में भी…
  • ipta
    रवि शंकर दुबे
    समाज में सौहार्द की नई अलख जगा रही है इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा
    01 May 2022
    देश में फैली नफ़रत और धार्मिक उन्माद के ख़िलाफ़ भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) मोहब्बत बांटने निकला है। देशभर के गावों और शहरों में घूम कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं।
  • प्रेम कुमार
    प्रधानमंत्री जी! पहले 4 करोड़ अंडरट्रायल कैदियों को न्याय जरूरी है! 
    01 May 2022
    4 करोड़ मामले ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं तो न्याय व्यवस्था की पोल खुल जाती है। हाईकोर्ट में 40 लाख दीवानी मामले और 16 लाख आपराधिक मामले जुड़कर 56 लाख हो जाते हैं जो लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट की…
  • आज का कार्टून
    दिन-तारीख़ कई, लेकिन सबसे ख़ास एक मई
    01 May 2022
    कार्टूनिस्ट इरफ़ान की नज़र में एक मई का मतलब।
  • राज वाल्मीकि
    ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना
    01 May 2022
    “मालिक हम से दस से बारह घंटे काम लेता है। मशीन पर खड़े होकर काम करना पड़ता है। मेरे घुटनों में दर्द रहने लगा है। आठ घंटे की मजदूरी के आठ-नौ हजार रुपये तनखा देता है। चार घंटे ओवर टाइम करनी पड़ती है तब…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License