NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राहत: प्रवासी मज़दूरों, छात्रों और पर्यटकों को शर्तों के साथ घर लौटने की मिली इजाज़त
सीपीएम समेत विपक्षी दलों ने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए इसे देरी से लिया गया फ़ैसला बताया। साथ ही परिवहन की ज़िम्मेदारी राज्यों पर डालने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना भी की।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Apr 2020
migrants
Image courtesy: India Today

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान फंसे लोगों को शर्तों के साथ घर जाने की इजाज़त दे दी है। इसकी व्यवस्था संबंधित राज्य करेंगे। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन में फंसे लोगों के मूवमेंट के लिए 15 अप्रैल को जारी अपनी गाइडलाइंस के क्लॉज 17 के सब क्लॉज 4 में बदलाव किया है। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूर, तीर्थयात्री, टूरिस्ट, स्टूडेंट् और दूसरे लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं। इन लोगों को शर्तों के साथ अपने गांव-घर जाने की अनुमति दी जाएगी।

बुधवार को दिशानिर्देश के मुताबिक अलग अलग राज्यों मे फंसे मज़दूर, छात्र, तीर्थयात्री, पर्यटक सड़क मार्ग से अपने घर लौट सकते हैं। लेकिन इसके लिए राज्यों के बीच आपसी सहमति होनी चाहिए और नोडल अधिकारी के जरिए ऐसे यात्रियों और समूहों को एक राज्य से भेजा जाएगा और दूसरे राज्य में उन्हें प्रवेश दिया जाएगा। इसके तहत वापसी के दौरान दो जगह पर स्क्रीनिंग की प्रक्रिया से गुजरना होगा और 14 दिन क्वारंटीन में भी रहना होगा।

WhatsApp Image 2020-04-29 at 11.38.27 PM.jpeg

WhatsApp Image 2020-04-29 at 11.38.26 PM_0.jpeg

गौरतलब है कि 24 मार्च को अचानक लॉकडाउन की घोषणा के बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक दूसरे राज्यों में फंस गए थे और उनकी घर वापसी एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। लोग पैदल भी घरों की ओर चल पड़े थे।

दिल्ली, गुजरात, केरल व महाराष्ट्र में मज़दूरों के हिंसक प्रदर्शन की घटनाएं भी सामने आने लगी थी। वहीं कोटा में फंसे छात्रों के अभिभावक भी उन्हें वापस लाने के लिए दबाव बना रहे थे।

क्या है प्रक्रिया?

गृहमंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्यों को नोडल अधिकारियों को नियुक्त करना होगा। इसके साथ वापसी चाहने वाले सभी लोगों का पंजीकरण भी करना होगा। यानी वापस आने वालों की पूरी जानकारी रखी जाएगी।

वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के पहले सभी की स्क्रीनिंग की जाएगी और जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं होंगे, सिर्फ उन्हें ही इजाज़त दी जाएगी। वापसी के दौरान बीच में आने वाले राज्यों को इन बसों को निकलने की सुविधा देने को भी कहा गया है।

वापसी के बाद प्रवासियों का एक बार फिर से स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। इसके बावजूद उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन में रहना होगा। गृहमंत्रालय ने इन सभी के मोबाइल में आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करने को कहा है ताकि क्वारंटीन के दौरान उनपर नजर रखी जा सके।

इस दौरान स्थानीय स्वास्थ्य कर्मी इन सभी के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करते रहेंगे। दिशानिर्देश मे केवल बस का उल्लेख किया गया है। यानी निजी वाहनों से जाने पर रोक रह सकती है। दरअसल बस में जहां सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाएगा वहीं प्रत्येक व्यक्ति पर भी नजर होगी।

देरी से दी गई राहत: येचुरी

दूसरी ओर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रवासी मजदूरों को उनकी परेशानियों के बाद अपने घर लौटने की अनुमति देने और उनके परिवहन की जिम्मेदारी राज्यों पर डालने के लिए बुधवार को सरकार पर निशाना साधा।

येचुरी ने एक ट्वीट में कहा ‘भूख सहित विभिन्न समस्याओं से प्रवासी मजदूरों के परेशान हो जाने के बाद अंतत: केंद्र ने उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी। लेकिन यह कैसे होगा? अब यह संबंधित राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे बसों की व्यवस्था करें, इसका खर्च उठाएं और स्वास्थ्य संबंधी सभी सावधानी बरतें।’

उन्होंने कहा, "केंद्र एक पैसा खर्च नहीं करेगा या उन्हें उनका बकाया देगा, जबकि मोदी सरकार 'मेहुल भाई' जैसे लोगों द्वारा लूटे गए हजारों करोड़ के ऋण को बट्टे खाते में डाल देती है। इस सरकार ने सांठगांठ वाले पूंजीपतियों द्वारा लिए गए 68,000 करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया लेकिन राज्यों को भुगतान करने के लिए कोई पैसा नहीं है?"

वहीं, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने लॉकडाउन के कारण देशभर में फंसे मजदूरों, विद्यार्थियों आदि को उनके घर पहुंचाने की अनुमति दिए जाने का स्वागत किया है। साथ ही कहा कि इन लोगों को घरों तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था पर्याप्त नहीं होगी। उन्होंने सुझाव दिया की प्रवासियों के लिए सैनिटाइज्ड ट्रेनें चलाई जाएं।

चिदंबरम ने ट्वीट किया, मैं प्रवासी मजदूरों और छात्रों की जांच कर बसों के जरिए राज्यों के बीच उनकी आवाजाही की अनुमति देने के सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं। कांग्रेस पार्टी अप्रैल मध्य से ही यह मांग कर रही है।'

अब जिम्मेदारी राज्यों पर!

केंद्रीय गृह मंत्रालय से ऐसे किसी फैसले की प्रतीक्षा लंबे समय से की जा रही थी। गौरतलब है कि जगह प्रवासी श्रमिक बेचैन हो रहे थे। बेहतर रहने और खाने की सुविधा न होने के चलते वे लगातार यह मांग भी कर रहे थे कि उन्हें उनके घर-गांव जाने दिया जाए। इनमें से कुछ तो लॉकडाउन के चलते कोई काम न होने के कारण अपने घर लौटना चाह रहे थे और कुछ फसल कटाई का काम करने के लिए। एक बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग थे जो भावनात्मक संबल के लिए अपने घर-गांव जाना चाह रहे थे।

ऐसे में जब जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अपने यहां के मजदूरों, छात्रों को लाना शुरू कर दिए तब दूसरे राज्यों में यह बेचैनी और भी बढ़ गई थी। हालांकि इसके बाद बड़ी जिम्मेदारी राज्यों पर है। अगर गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों में थोड़ी सी भी असावधानी बरती गई तो वह ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के प्रसार का कारण बन सकती है। ध्यान रहे कि अभी तक ग्रामीण इलाके संक्रमण से बचे हुए हैं।

साथ ही केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को यह चिंता करनी होगी कि अपने अपने घरों पर लौटने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट न खड़ा होने पाए। साथ ही उनके अपने कार्यस्थल पर वापस नहीं आने से कारोबारी गतिविधियों पर लगाम न लग जाए। कोरोना संक्रमण के दौर में यह दोनों ही स्थितियां खतरनाक होंगी। सरकार को इसकी भी रुपरेखा बनाकर रखनी होगी।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ )

migrants
Migrant workers
Lockdown
CPI
CPIM
Central Government
modi sarkar
Migrant students

Related Stories

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

जम्मू-कश्मीर के भीतर आरक्षित सीटों का एक संक्षिप्त इतिहास

दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज

जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'


बाकी खबरें

  • अनिल सिन्हा
    उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!
    12 Mar 2022
    हालात के समग्र विश्लेषण की जगह सरलीकरण का सहारा लेकर हम उत्तर प्रदेश में 2024 के पूर्वाभ्यास को नहीं समझ सकते हैं।
  • uttarakhand
    एम.ओबैद
    उत्तराखंडः 5 सीटें ऐसी जिन पर 1 हज़ार से कम वोटों से हुई हार-जीत
    12 Mar 2022
    प्रदेश की पांच ऐसी सीटें हैं जहां एक हज़ार से कम वोटों के अंतर से प्रत्याशियों की जीत-हार का फ़ैसला हुआ। आइए जानते हैं कि कौन सी हैं ये सीटें—
  • ITI
    सौरव कुमार
    बेंगलुरु: बर्ख़ास्तगी के विरोध में ITI कर्मचारियों का धरना जारी, 100 दिन पार 
    12 Mar 2022
    एक फैक्ट-फाइंडिंग पैनल के मुतबिक, पहली कोविड-19 लहर के बाद ही आईटीआई ने ठेके पर कार्यरत श्रमिकों को ‘कुशल’ से ‘अकुशल’ की श्रेणी में पदावनत कर दिया था।
  • Caste in UP elections
    अजय कुमार
    CSDS पोस्ट पोल सर्वे: भाजपा का जातिगत गठबंधन समाजवादी पार्टी से ज़्यादा कामयाब
    12 Mar 2022
    सीएसडीएस के उत्तर प्रदेश के सर्वे के मुताबिक भाजपा और भाजपा के सहयोगी दलों ने यादव और मुस्लिमों को छोड़कर प्रदेश की तकरीबन हर जाति से अच्छा खासा वोट हासिल किया है।
  • app based wokers
    संदीप चक्रवर्ती
    पश्चिम बंगाल: डिलीवरी बॉयज का शोषण करती ऐप कंपनियां, सरकारी हस्तक्षेप की ज़रूरत 
    12 Mar 2022
    "हम चाहते हैं कि हमारे वास्तविक नियोक्ता, फ्लिपकार्ट या ई-कार्ट हमें नियुक्ति पत्र दें और हर महीने के लिए हमारा एक निश्चित भुगतान तय किया जाए। सरकार ने जैसा ओला और उबर के मामले में हस्तक्षेप किया,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License