NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
ब्रिटेन में मानवाधिकार संगठनों, विपक्षी दलों ने ओवरसीज़ ऑपरेशनल बिल का विरोध किया
कंज़र्वेटिव पार्टी सरकार द्वारा अगले महीने ब्रिटेन की संसद में विवादास्पद ओवरसीज़ ऑपरेशन बिल पेश किया जाएगा।
पीपल्स डिस्पैच
28 Aug 2020
ब्रिटेन

ब्रिटेन में मानवाधिकार समूह यूनाइटेड किंगडम की संसद में एक प्रस्तावित बिल के विरोध में सामने आए जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि विदेशों में तैनाती के दौरान मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन में शामिल सशस्त्र बलों को उनके कथित अपराध से मुक्ति मिलेगी। कन्जर्वेटिव पार्टी की सरकार द्वारा इस विवादास्पद ओवरसीज ऑपरेशन बिल को अगले महीने ब्रिटेन की संसद में पेश किया जाएगा।

मानवाधिकार समूहों और विपक्षी लेबर पार्टी ने कहा है कि इस बिल के प्रावधान इराक और अफगानिस्तान सहित विदेशी देशों में तैनात ब्रिटिश सैनिकों के ख़िलाफ़ अत्याचार और युद्ध अपराधों पर मुक़दमा चलाने पर रोक लगाते हैं।

लेबर पार्टी के सांसद और शैडो डिफेंस मिनिस्टर मंत्री जॉन हेली ने डिफेंस मिनिस्टर बेन वालेस को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्हें इस बिल को पेश करने से रोकने के लिए कहा गया है। हेली का कहना है कि प्रस्तावित बिल जेनेवा कन्वेंशन और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार अधिकारों सहित अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों को नज़रअंदाज़ करता है।

इस साल मई महीने में औपचारिक तौर पर पेश करने के लिए ये बिल प्रकाशित किया गया था। इस बिल को सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के चुनावी वादों में से एक को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है और सशस्त्र बलों को "कष्टकर क़ानूनी दावों" से बचाने का वादा किया था।

ये प्रस्तावित बिल उन सभी सैनिकों को आंशिक रूप से माफी प्रदान करेगा जो कथित तौर पर नागरिकों के अपहरण, अत्याचार, हत्याओं और अन्य प्रकार के उत्पीड़न में शामिल होते हैं, उनके खिलाफ मामलों में कथित अपराध की तारीख से पांच साल बाद दायर किया जाता है या यदि चल रहे मामले की जांच पांच साल में पूरी नहीं होती है।

यातना और अन्य युद्ध अपराधों सहित विभिन्न प्रकार के मानव अधिकारों के उल्लंघन को लेकर हर साल दुनिया के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले ब्रिटिश सैनिकों के ख़िलाफ़ हज़ारों शिकायतें और क़ानूनी कार्रवाई की जाती है। साल 2003 के अमेरिकी हमले के बाद से इराक में तैनात ब्रिटिश सेनाओं के ख़िलाफ़ स्थानीय इराकियों द्वारा बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं। मिड्ल ईस्ट आई में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार इराक में सेवारत ब्रिटिश सैनिकों के ख़िलाफ़ मामले 2017 के बाद बढ़ गए हैं।

UK
Human rights groups in Britain
Labour Party
2003 US led invasion

Related Stories

युद्ध के प्रचारक क्यों बनते रहे हैं पश्चिमी लोकतांत्रिक देश?

दुनिया को गौर करना चाहिए कि बाइडेन की प्रेसीडेंसी ढलान पर है

क्यों जूलियन असांज पर अमानवीय मुक़दमा हम सबके लिए अन्याय है

यूके ने अफ़ग़ानिस्तान के नए खेल में बढ़ाया पहला क़दम

वैक्सीन को मान्यता देने में हो रही उलझन से वैश्विक हवाई यात्रा पर पड़ रहा असर

आकुस के बहाने अमेरिका चीन ही नहीं, दुनिया को डाल रहा ख़तरे में

रिपोर्ट के मुताबिक सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की जलवायु योजनायें पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा कर पाने में विफल रही हैं 

चीन ने यूएस, यूके और ऑस्ट्रेलिया के बीच त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन को "शीत युद्ध मानसिकता और वैचारिक पूर्वाग्रह" का प्रदर्शन बताया

शरणार्थियों और शरण चाहने वालों के लिए असंवेदनशील नीतियों को लेकर यूके के गृह विभाग की आलोचना

ओमान तट के पास तेल टैंकर पर हमले में शामिल होने के इज़रायली आरोपों से ईरान का इनकार


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License