सियासत के सबसे बड़े सूबे में चुनावी हलचल अब तेज हो गई… सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी बिसाते बिछाने में लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कडी़ टक्कर देखने को मिल सकती है। ऐसे में दोनों ही सूबे एक-दूसरे के नेताओं को तोड़ने और खुद की पार्टी में जोड़ने में लगे हुए हैं।
फिलहाल लंबे वक्त से छाई कयासों की बदली को खत्म करते हुुए अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच करीब 45 मिनट की मुलाकात हुई। इस बीच बताया गया कि अखिलेश यादव खुद शिवपाल से मिलने उनके घर पहुंच और चाचा शिवपाल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इतना ही नहीं शिवपाल ने भावुक होकर अखिलेश यादव को गले भी लगाया। जिसके बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट कर बताया कि सपा और प्रसपा का गठबंधन तय हो गया है, यानी अब साफ़ है कि अखिलेश यादव की पार्टी को इससे और मजबूती मिलेगी।
लेकिन राजनीतिक में दो पार्टियों की नाव कहां तक जाएगी, ये सीटों के बंटवारे पर निर्भर होता हैं। ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी अपने चाचा शिवपाल की प्रगतिशील पार्टी को कितनी सीटों पर मना पाती है, जिसकी आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है।
खैर, मौजूदा दौर में अखिलेश की समाजवादी पार्टी ने पहले ही कई छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर रखा है, जिसमें ये पार्टियां शामिल हैं:
1. महान दल
2. जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट)
3. राष्ट्रीय लोक दल
4. सुभासपा
5. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी
6. अपना दल (कमेरावादी)
7. पोलिटिकल जस्टिस पार्टी
8. आम आदमी पार्टी ( जल्द गठबन्धन की घोषणा होगी)
9. कांशीराम बहुजन मूल समाज पार्टी ( आज घोषणा होगी)
10. लेबर एस पार्टी ( विलय किया)
11. भारतीय किसान सेना( विलय किया)
12. बसपा के बागी और लालजी वर्मा और राम अचल राजभर
अखिलेश की समाजवादी के साथ जुड़ी इन सभी पार्टियों में सबसे ज्यादा नजरें जयंत चौधरी की आरएलडी और राजभर की सुभासपा पर हैैं, क्योंकि दोनों ही नेता अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। बात आरएलडी की करें तो किसानों के मुद्दे ने अध्यक्ष जयंत चौधरी को पश्चिमी यूपी में नई संजीवनी दे दी है, जिसके जरिए वो यूपी में बीजेपी से घमासान करने को तैयार हैं। दूसरी ओर ओम प्रकाश राजभर भी राजभर समाज समेत पूर्वांचल में अच्छी पकड़ रखते हैं, इसके अलावा अखिलेश, राजा भैया की पार्टी के साथ तो गठबंधन कर ही चुके हैं। ऐसे में अब उनके चाचा शिवपाल का उनके पास वापस लौट आना, कार्यकर्ताओं में नया जोश तो भरेगा ही, साथी ही बीजेपी की चिंताए भी बढ़ा देगा।