NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सबरीमला : धार्मिक स्थानों पर महिलाओं से भेदभाव से जुड़े मुद्दों पर सवाल तय करेगा सुप्रीम कोर्ट
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह मामले में तय किए गए कानूनी प्रश्नों और समय सीमा के बारे में पक्षों को छह फरवरी को सूचना देगी।
भाषा
03 Feb 2020
supreme court

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह विभिन्न धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के खिलाफ धार्मिक भेदभावों पर कानूनी सवाल तैयार करेगा जिनका निर्णय नौ न्यायाधीशों की पीठ करेगी। सबरीमला मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान भेदभाव के अन्य बड़े मामले उठाए गए थे।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह मामले में तय किए गए कानूनी प्रश्नों और समय सीमा के बारे में पक्षों को छह फरवरी को सूचना देगी।

पीठ इस मुद्दे पर भी गौर करेगी कि क्या पुनर्विचार के लिए विषय को बड़ी पीठ को सौंपा जा सकता है।

इस पीठ में न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एम एम शांतनागौडर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत शामिल हैं। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरीमन, कपिल सिब्बल, श्याम दीवान और राकेश द्विवेदी ने कहा कि पुनर्विचार के अधिकार क्षेत्र के दायरे में आने वाले मुद्दों को वृहद पीठ को नहीं भेजा जा सकता।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि पुनर्विचार के मामले में, संभावनाएं बहुत सीमित होती हैं और अदालत बस इतना देख सकती है कि समीक्षा के तहत फैसले में कोई स्पष्ट गलती है या नहीं।सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन और रंजीत कुमार ने हालांकि दलील का विरोध किया और कहा कि सर्वोच्च अदालत मामले पर फैसले के दौरान उठे व्यापक मुद्दे को पुनर्विचार के लिये बड़ी पीठ को संदर्भित कर सकती है।

पीठ ने कहा कि वह सभी मुद्दों को देखेगी और उन सवालों को तय करेगी जिसका निर्णय नौ न्यायाधीशों की पीठ को करना है। उसने स्पष्ट किया कि वह केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर चर्चा नहीं कर रही है।

पीठ विभिन्न धर्मों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव से जुड़े बड़े कानूनी सवालों को तय किये जाने के मुद्दे पर कई वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुन रही है, जिस पर उसे फैसला करना है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं एफ एस नरीमन, कपिल सिब्बल, श्याम दीवान और राकेश द्विवेदी की ओर से विभिन्न धर्मों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव से जुड़े तथाकथित बड़े मुद्दो पर सुनवाई का विरोध किए जाने पर पीठ ने कहा, “सबरीमला पुनर्विचार मामला हमारे समक्ष नहीं है। हम सबरीमला पर फैसला नहीं कर रहे हैं। हमे बड़े सवालों पर निर्णय कर रहे हैं।”

पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 14 नवंबर को तीन के मुकाबले दो के बहुमत से मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा समुदाय में महिलाओं के खतना के चलन और अपने धर्म से बाहर किसी अन्य धर्म में विवाह करने वाली पारसी महिलाओं को अधिकार देने से इनकार करने जैसे मुद्दों से संबंधित याचिकाओं को सुनवाई के लिए वृहद पीठ को भेज दिया था।

सुनवाई की शुरुआत में, नरीमन ने कहा कि सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय 2018 में पहले ही फैसला दे चुका है और पुनर्विचार याचिका का भी निपटान हो चुका है इसलिए इस पर नये सिरे से निर्णय नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि वह नरीमन की आपत्ति को भी एक मुद्दे के तौर पर देखेगी।

नरीमन ने कहा कि शीर्ष अदालत अन्य मुद्दों को सबरीमला के साथ नहीं जोड़ सकती और वह पुनर्विचार में सवाल नहीं तय कर सकती और न नये मुद्दे ला सकती है। उन्होंने कहा, “ पुनर्विचार की संभावना बहुत सीमित हैं। इससे नया उदाहरण पेश होगा। आप पुनर्विचार के मामले में अन्य मुद्दों के बारे में कैसे सोच सकते हैं?”

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “नहीं। हम इन मुद्दों पर फैसला नहीं करेंगे। हम इन मामलों में शामिल सामग्रियों की सिर्फ व्याख्या करेंगे।” ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की तरफ से पेश हुए सिब्बल ने कहा कि भले ही मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत है लेकिन आवश्यक धार्मिक प्रार्थना का मुद्दा काफी व्यापक है जिस पर इस अदालत को फैसला देना है।

उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 और 26 (धर्म का मौलिक अधिकार) मौलिक अधिकारों का हिस्सा है जो राज्य की कार्रवाई के खिलाफ लागू करने योग्य हैं। सिब्बल ने कहा, “निकाह हलाला को खराब बताते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि बहुविवाह बेकार है। पीठ इस मुद्दे का कैसे फैसला करेगी।”

इस पर पीठ ने कहा, “इसी कारण से हमने नौ न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया है। इसलिए हम आपको सुन रहे हैं।” पीठ ने कहा कि वह सबरीमला में जिन सामग्रियों का उल्लेख किया गया था उसकी व्याख्या करेगी। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल 14 नवंबर को सात कानूनी सवाल रखे थे जिनको वृहद पीठ को देखना है।

इनमें संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धर्म की स्वतंत्रता के बीच परस्पर संबंध, “संवैधानिक नैतिकता” के भाव को वर्णित करने की जरूरत, खास धार्मिक प्रचलनों में अदालती जांच की हद, अनुच्छेद 25 के तहत हिंदुओं के वर्गों का अर्थ और यह सवाल शामिल था कि क्या अनुच्छेद 26 के तहत किसी वर्ग के “आवश्यक धार्मिक प्रचलनों” को स‍ंरक्षण मिला हुआ या नहीं।

जहां पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से धार्मिक मुद्दों को वृहद पीठ को सौंपने पर सहमति जताई वहीं सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले सितंबर 2018 के फैसले की समीक्षा संबंधी याचिकाओं पर बंटा हुआ फैसला दिया।

Supreme Court
Sabarlimala temple
Sabarimala protest
sabrimala temple issue
sabrimala and progressive people
Women and religion
Women and religious places
Justice Bobde
Fundamental Rights
Statutory ethics

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License