NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
निमहांस के बर्ख़ास्त किये गए कर्मचारी जुलाई से हैं हड़ताल पर
19 कर्मचारियों को इसलिये बर्ख़ास्त कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने अस्पताल प्रशासन से कोविड कर्फ़्यू के दौरान रात को घर जाने की व्यवस्था करने की मांग की थी।
रोसम्मा थॉमस
07 Sep 2021
निमहांस के बर्ख़ास्त किये गए कर्मचारी जुलाई से हैं हड़ताल पर

जुलाई के महीने से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेन्टल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज़(निमहांस), बंगलुरू के सामने 19 असिस्टेंट जिनमें कई महिलाएं और दलित शामिल हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। यह कर्मचारी जिन्हें रेडियोलॉजी विभाग द्वारा देर रात घर जाने की व्यवस्था करने की मांग करने की वजह से बर्ख़ास्त कर दिया गया था, वह दोबारा बहाली की मांग कर रहे हैं।

जुलाई में शहर में कोविड प्रसार को रोकने के लिए रात का कर्फ़्यू लगाया गया था, ऐसे में दूसरी शिफ़्ट के कर्मचारियों के काम का समय शाम 7:30 की जगह रात 9:30 तक बढ़ा दिया गया था। रात 9 बजे के बाद आवाजाही बंद होने की वजह महिला कर्मचारियों को रात में घर जाने में परेशानी होती थी।

निमहांस का दावा है कि कर्मचारियों को अस्पताल ने बहाल नहीं किया था बल्कि यह कॉन्ट्रैक्ट पर थे जिन्हें एक निजी ठेकेदार श्री विनायक इंटरप्राइज़ेज़ द्वारा काम मिला था। निमहांस द्वारा 1 सितंबर को जारी प्रेस रिलीज़ के अनुसार, "16 कर्मचारी निमहांस के कर्मचारी नहीं हैं। उन्हें यह दावा कर के कि वह निमहांस के कर्मचारी हैं, हमारे नाम का ग़लत इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं है।"


हालांकि प्रदर्शनकारियों का दावा है कि उनमें से कई कर्मचारी निमहांस द्वारा ही बहाल किये गए थे, यहाँ तक कि वह 2017 में जब निजी ठेकेदार को रखा गया था उससे पहले से भी वहाँ काम कर रहे थे। रत्ना जो निमहांस के साथ 1998 से काम कर रही हैं, उन्होंने कहा, "निमहांस के साथ इतने सालों से काम करने के बाद इंस्टिट्यूट यह कैसे कह सकता है कि हमें ठेकेदार ने रखा था? ठेकेदार आते जाते रहते हैं, पर हम यहीं रहते हैं।"

एम बसवराजू, निमहांस प्रगतिपड़ा वर्कर्स यूनियन के जनरल सेक्रेटरी कहते हैं,"9 बजे के बाद से यातायात सेवा बंद थी। वह कर्मचारियों को यातायात की मांग करने के लिये कैसे बर्ख़ास्त कर सकते हैं? यह ग़ैरक़ानूनी और अनैतिक है।"

निमहांस के बयान के जवाब में यूनियन ने एक प्रेस रिलीज़ जारी की। यूनियन ने कहा, "निमहांस ने दावा किया है कि सभी 16 कर्मचारी बाहरी ठेका कंपनी श्री विनायक इंटरप्राइज़ेज़ के हैं। कर्मचारी किसी इंसान के नहीं होते। इससे निमहांस की सामंती विचारधारा ज़ाहिर होती है, जो मज़दूरों को संपत्ति की तरह देखता है।"

संघ की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, निमहांस के 650 संविदा कर्मचारियों में से, कुछ तो 20 से अधिक वर्षों से संस्थान में कार्यरत हैं। वे मुख्य कार्य करते हैं, जिसमें रोगियों की देखभाल करना, विशेष रूप से आईसीयू में, उन्हें शिफ्ट करने में मदद करना और बेचैन रोगियों के प्रबंधन में चिकित्सा कर्मचारियों की सहायता करना शामिल है। फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में, उन्होंने मानसिक बीमारियों वाले कोविड रोगियों के बीच भी काम किया है।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “हाउसकीपिंग भी स्वच्छता कार्य के लिए एक व्यंजना है, जो एक जाति-निर्धारित पेशा है। "संविदा कर्मचारी" या "आउटसोर्स कर्मचारी" के रूप में चिह्नित दलित कर्मचारी बेहद असुरक्षित हैं। यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि ठेके पर काम बंधुआ मजदूरी का एक उन्नत संस्करण है। इसमें आगे लिखा है कि महिला श्रमिकों, विशेष रूप से दलितों के साथ उनके अधिकारों के लिए खड़े होने पर तिरस्कार का व्यवहार किया जाता है।

विज्ञप्ति में कहा गया है, "यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय महत्व का संस्थान निमहांस एक आदर्श नियोक्ता के रूप में कार्य करने में विफल रहा है और इसके बजाय अनुचित श्रम प्रथाओं में लिप्त है।"

20 नवंबर, 2019 को कर्नाटक सरकार की एक अधिसूचना में कहा गया है कि मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले ने कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 66 आईबी को रद्द कर दिया, (जिसमें यह प्रावधान था कि कोई भी महिला किसी कारखाने में सुबह 6 बजे से सुबह 6 बजे के बीच काम नहीं करेगी। शाम 7 बजे) ने कारखानों के लिए महिलाओं को रात की पाली में काम करना संभव बना दिया था। उस अधिसूचना के बिंदु संख्या 14 में लिखा है: "नियोक्ता रात की पाली के लिए महिला श्रमिकों को उनके निवास से और वापस जाने के लिए परिवहन सुविधा प्रदान करेगा।"

निमहांस मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान शिक्षा के लिए एक शीर्ष केंद्र है जिसकी शुरूआत 1847 में बैंगलोर ल्यूनाटिक असायलम की स्थापना के साथ हुई थी, जिसे 1925 में एक मानसिक अस्पताल के रूप में फिर से शुरू किया गया था। 1974 में, अस्पताल को निमहांस के रूप में स्थापित किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2015 के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि हर पांच में से एक भारतीय अपने जीवन में कभी न कभी अवसाद का शिकार होता है। भारत दुनिया के "सबसे उदास" देशों में छठे स्थान पर है।

लेखिका एक फ़्रीलांस पत्रकार हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Sacked NIMHANS Employees Protesting Since July

NIMHANS
labour rights
Employees
Factories Act
Bengaluru
Protest
COVID
Coronavirus

Related Stories

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज

दिल्ली: लेडी हार्डिंग अस्पताल के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, छंटनी के ख़िलाफ़ निकाला कैंडल मार्च

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

स्कीम वर्कर्स संसद मार्च: लड़ाई मूलभूत अधिकारों के लिए है


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: मुझे गर्व करने से अधिक नफ़रत करना आता है
    01 May 2022
    जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। ….मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    मई दिवस ज़िंदाबाद : कविताएं मेहनतकशों के नाम
    01 May 2022
    मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।
  • इंद्रजीत सिंह
    मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश
    01 May 2022
    इस बार इस दिन की दो विशेष बातें उल्लेखनीय हैं। पहली यह कि  इस बार मई दिवस किसान आंदोलन की उस बेमिसाल जीत की पृष्ठभूमि में आया है जो किसान संगठनों की व्यापक एकता और देश के मज़दूर वर्ग की एकजुटता की…
  • भाषा
    अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश
    30 Apr 2022
    प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के…
  • भाषा
    जनरल मनोज पांडे ने थलसेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभाला
    30 Apr 2022
    उप थलसेना प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे चुके जनरल पांडे बल की इंजीनियर कोर से सेना प्रमुख बनने वाले पहले अधिकारी बन गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License