NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
भारत
राजनीति
सज्जाद लोन ने ‘विश्वास की कमी’ का हवाला देते हुए ख़ुद को गुपकर गठबंधन से अलग किया
मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने से पूर्व एक अलगाववादी नेता लोन, जिन्होंने 2014 विधान सभाओं के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपने समर्थन का इज़हार किया था, ने कहा कि उन्होंने पीएजीडी को ‘तलाक’ दिया है, न कि इसके उद्देश्यों के प्रति।
अनीस ज़रगर
20 Jan 2021
Gupkar alliance
मात्र प्रतिनिधित्व हेतु

श्रीनगर: सज्जाद लोन के नेतृत्व वाली जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स कांफ्रेंस (जेकेपीसी) ने मंगलवार को पीपल्स अलायन्स फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) से, जो कि कश्मीर में मुख्यधारा में शामिल दलों का एक समूह है, से खुद को अलग कर लिया है। ज्ञातव्य हो कि पीएजीडी का गठन पिछले साल इस क्षेत्र की विशेष स्थिति को फिर से बहाल करने के लिए किया गया था। 

पीएजीडी अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला के नाम लिखे एक पत्र में लोन ने आरोप लगाया है कि इसके “साझीदारों के बीच में विश्वास को तोड़ा” गया था, जिसके बारे में उनकी पार्टी का मानना है कि अब यह “उपचार से परे” है।

लोन के पत्र में कहा गया है “हमारी पार्टी में बहुसंख्यक दृष्टिकोण इस पक्ष में है कि हमें इस गठबंधन से खुद को सौहार्दपूर्ण ढंग से अलग कर लेना चाहिए, बजाय कि हम स्थितियों के बिगड़ जाने का इंतजार करते रहें। और मैं इस बात की पुष्टि करता हूँ कि अब से हम पीएजीडी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।”

पार्टी ने गठबंधन के साथ अपने संबंधों को तब समाप्त करने का फैसला लिया जब इसके कई नेताओं ने आरोप लगाया कि हालिया आयोजी जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) सहित अन्य घटक दलों ने भी पीएजीडी के आधिकारिक तौर पर तय किये गए उम्मीदवारों के खिलाफ अपने डमी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था।

लोन ने कहा है “हमें इस बात का पूरा यकीन है कि पीएजीडी के खिलाफ जो वोट पड़े उनमें से ज्यादातर वोट पीएजीडी में शामिल घटक दलों के डमी उम्मीदवारों के द्वारा पीएजीडी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ डाले गये थे।

जेकेपीसी प्रमुख का कहना था कि आम लोग इस तथ्य से भलीभांति परिचित थे कि गठबंधन में शामिल दलों ने एक दूसरे के खिलाफ ही उम्मीदवारों को खड़ा किया था, और वे इसको लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं: “यदि हम डीडीसी सीट जैसे सामान्य मुद्दे पर पीएजीडी नेतृत्व पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, तो हम वृहत्तर मुद्दों पर उनका कैसे भरोसा कर सकते हैं।”

इसके साथ ही जेकेपीसी नेता ने यह भी कहा कि “पीएजीडी के पक्ष में और खिलाफ हुए मतदान में इस प्रकार की चुनिन्दा वोटिंग करने का कुल नतीजा इस बेहद खराब वोट प्रतिशत में नजर आता है” जिसके बारे में उल्लेख करते हुए उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर के लोग इसके “हकदार” नहीं हैं।

लोन: एक पूर्व पीडीपी-भाजपा सहयोगी 

53 वर्षीय सज्जाद लोन, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी-भारतीय जनता पार्टी वाली गठबंधन सरकार में 2015-2018 के शासनकाल में एक मंत्री के तौर पर बने हुए थे। एक प्रमुख राजनीतिक शख्सियत अब्दुल गनी लोन के बेटे के तौर पर, जिनकी मई 2002 में हत्या कर दी गई थी, उन्होंने राज्य की मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने से पहले एक अलगाववादी राजनीतिज्ञ के तौर पर अपनी पारी की शुरुआत की थी। बाद में 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था। लेकिन मुख्यधारा में शामिल होने से पूर्व ही सैय्यद अली जीलानी सहित कई अलगावादियों ने लोन पर 2002 चुनावों में डमी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में खड़ा करने का आरोप लगाया था।  

नवंबर और दिसंबर के बीच इस क्षेत्र में में हुए डीडीसी चुनावों में अधिकांश सीटों पर गठबंधन की जीत के एक महीने के भीतर ही यह घटनाक्रम देखने में आ रहा है। कांग्रेस सहित पीएजीडी में शामिल तमाम दलों ने इस क्षेत्र में भाजपा और उसके सहयोगियों के विरुद्ध इन चुनावों को सीटों को आपस में साझा करने के आधार पर लड़ा था। 

इस क्षेत्र में कुल 280 सीटों पर हुए हुए चुनावों में से गठबंधन ने कुल 110 सीटों पर जीत दर्ज की, जिनमें से अधिकतर सीटें कश्मीर घाटी से थीं।

पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती की 14 महीनों की लंबी हिरासत से रिहाई के कुछ दिनों के बाद ही पीएजीडी को गठित किया गया था, जिन्हें 5 अगस्त, 2019 के दिन अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद से ही बंदी बनाकर रखा गया था। इस संयुक्त गठबंधन के हिस्से के तौर पर मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं में महबूबा मुफ़्ती, फारुख अब्दुल्ला, सज्जाद लोन, सीपीआई (एम) नेता एम वाई तारिगामी, एएनसी के उपाध्यक्ष मुज़फ्फर अहमद शाह एवं जेकेपीएम नेता जावेद मुस्तफा मीर इत्यादि प्रमुख थे।

5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से पीएजीडी के गठन को इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा था। नेताओं द्वारा बयान जारी किये जा रहे थे जिसमें “अनुच्छेद 370 और 35ए, जम्मू-कश्मीर के संविधान और राज्य की पुनर्बहाली” किये जाने को लेकर अपनी-अपनी वचनबद्धता को व्यक्त किया जा रहा था। इसके साथ ही इस बात का भी दावा किया जा रहा था कि जम्मू और कश्मीर का किसी भी प्रकार का विभाजन उनके लिए “अस्वीकार्य” है।

हालाँकि लोन के पत्र में कहा गया है कि वे “इस गठबंधन से खुद को अलग कर रहे हैं, न कि इसके उद्येश्यों से।”

लोन के अनुसार “हम उन उद्येश्यों के प्रति अपनी वचनबद्धता का पालन करना जारी रखेंगे जिसे हमने इस गठबंधन को बनाये जाते समय निर्धारित किया था। और पीएजीडी नेतृत्व इस बारे में आश्वस्त रहे कि हम उन सभी मुद्दों पर अपने समर्थन को जारी रखेंगे जो इन घोषित उद्देश्यों के दायरे में आते हैं।”

वर्तमान घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने गुपकर गठबंधन को “अवसरवादियों का एक दल” करार दिया है। ठाकुर के अनुसार “जिन लोगों ने इस गिरोह के गठन का काम किया था, उन्होंने अनुच्छेद 370 की पुनर्वापसी के वादे के नाम पर वोट दिए जाने की माँग की थी और वह उन्हें मिला, लेकिन बाद में जाकर उन्हें अहसास हुआ कि ऐसा होना असंभव है। हकीकत तो यह है कि 370 तो अब धरती के 370 मीटर नीचे दफन हो चुकी है... अब जो लोग इस हकीकत से वाकिफ हो चुके हैं, उन्होंने एक-एक करके इस गिरोह को छोड़ना शुरू कर दिया है...”

Gupkar Alliance
Sajad Lone
Article 370
BJP-PDP
Jammu and Kashmir

Related Stories

मुद्दा: जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का प्रस्ताव आख़िर क्यों है विवादास्पद

“भारत के सबसे लोकतांत्रिक नेता” के नेतृत्व में सबसे अलोकतांत्रिक कानून-निर्माण पर एक नज़र

अफ़ग़ान की नई स्थिति के बीच कई कश्मीरी दल चुनावों की तैयारियों में मशगूल

हालिया गठित स्पेशल टास्क फ़ोर्स द्वारा संदिग्ध ‘राष्ट्र-विरोधी’ कर्मचारियों को एकांगी तौर पर निष्काषित करना क्यों समस्याग्रस्त है


बाकी खबरें

  • SFI PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    SFI ने किया चक्का जाम, अब होगी "सड़क पर कक्षा": एसएफआई
    09 Feb 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय को फिर से खोलने के लिए SFI ने प्रदर्शन किया, इस दौरान छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं का विरोध किया। साथ ही सड़क पर कक्षा लगाकर प्रशासन को चुनौत दी।
  • PTI
    समीना खान
    चुनावी घोषणापत्र: न जनता गंभीरता से लेती है, न राजनीतिक पार्टियां
    09 Feb 2022
    घोषणापत्र सत्ताधारी पार्टी का प्रश्नपत्र होता है और सत्ताकाल उसका परीक्षाकाल। इस दस्तावेज़ के ज़रिए पार्टी अपनी ओर से जनता को दी जाने वाली सुविधाओं का जिक्र करती है और जनता उनके आधार पर चुनाव करती है।…
  • हर्षवर्धन
    जन्मदिन विशेष : क्रांतिकारी शिव वर्मा की कहानी
    09 Feb 2022
    शिव वर्मा के माध्यम से ही आज हम भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु, भगवती चरण वोहरा, जतिन दास और महाबीर सिंह आदि की कमानियों से परिचित हुए हैं। यह लेख उस लेखक की एक छोटी सी कहानी है जिसके बारे…
  • budget
    संतोष वर्मा, अनिशा अनुस्तूपा
    ग्रामीण विकास का बजट क्या उम्मीदों पर खरा उतरेगा?
    09 Feb 2022
    कोविड-19 महामारी से पैदा हुए ग्रामीण संकट को कम करने के लिए ख़र्च में वृद्धि होनी चाहिए थी, लेकिन महामारी के बाद के बजट में प्रचलित प्रवृत्ति इस अपेक्षा के मामले में खरा नहीं उतरती है
  • Election
    एम.ओबैद
    यूपी चुनावः प्रचार और भाषणों में स्थानीय मुद्दों को नहीं मिल रही जगह, भाजपा वोटर भी नाराज़
    09 Feb 2022
    ऐसे बहुत से स्थानीय मुद्दे हैं जिनको लेकर लोग नाराज हैं इनमें चाहे रोजगार की कमी का मामला हो, उद्योग की अनदेखी करने का या सड़क, बिजली, पानी, महिला सुरक्षा, शिक्षा का मामला हो। इन मुद्दों पर चर्चा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License