NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन में सफ़ाई कर्मचारियों का आंदोलन जारी
कर्मचारी, सफ़ाई कामगार यूनियन (एस.के.यू.) के बैनर तले 24 अगस्त से सविनय अवज्ञा आंदोलन चला रहे हैं, जिसके तहत वे वेतन न दिए जाने और ठेकेदार द्वारा किए जा रहे शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 Aug 2020
इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन में सफ़ाई कर्मचारियों का आंदोलन जारी

इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन (IGDTUW) में कार्यरत सफ़ाई कर्मचारी पिछले कई दिनों से अपने बकाया वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सभी कर्मचारी, सफ़ाई कामगार यूनियन (एस.के.यू.) के बैनर तले 24 अगस्त से सविनय अवज्ञा आंदोलन चला रहे हैं, जिसके तहत वे वेतन न दिए जाने और ठेकेदार द्वारा किए जा रहे शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। परन्तु प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है।

 प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि सफ़ाई कर्मचारियों के शोषण पर दिल्ली सरकार द्वारा चालित विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार चुप्पी साधे हुए है। यह कर्मचारी पिछले कई सालों से  विश्वविद्यालय में काम कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में कार्यरत सफ़ाई कर्मचारी वर्तमान में भारी आर्थिक तंगी का शिकार हैं क्योंकि कर्मचारियों को लगभग 3 महीने से उनका वेतन नहीं दिया गया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि कई कर्मचारी के पास अपने मकान का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं है। इसलिए मजबूरन सभी कर्मचारी 24 अगस्त से प्रशासन के सामने “सविनय अवज्ञा” (Civil Disobedience) पर बैठे हुए हैं।

इनमें से कई कर्मचारियों को लॉकडाउन की सैलरी या तो दी ही नहीं गई है या आधी-अधूरी सैलरी सुपरवाइज़र द्वारा “बाई हैन्ड” दी गई है, जिसका कोई आधिकारिक रिकार्ड नहीं है। सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान सभी स्थायी और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के सख्त आदेश के बावजूद यह सब हो रहा है।

सरकार इस महामारी में सफ़ाई कर्मचारियों को कोरोना योद्धा बता रही है परन्तु हक़ीक़त यह है कि इन कर्मचारियों का न वेतन मिल रहा है और न ही कोई सुरक्षा मिल रही है। इस महामारी के समय भी उन्हें उनका वेतन नहीं दिया जा रहा है।  

आपको बता दे ये विश्वविद्यालय दिल्ली सरकार के अधीन है, जो कर्मचारियों के हितैषी होने का दावा करती है। लेकिन ज़मीन पर उनकी संस्थाए ही लगतार मज़दूर के ख़िलाफ़ कार्य कर रही है। यह कोई अकेला मामला नहीं है जहाँ सफ़ाई कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। बल्कि इस विश्वविद्यालय से सटे अंम्बेडकर विश्वविद्यालय है वहां भी कर्मचारियों को इस तरह की समस्याओं का समाना करना पड़ता है और वो भी समय समय पर इसको लेकर आंदोलन कर चुके है। इसी तरह नगर निगम में सफ़ाई कर्मचारी भी है उन्हें भी समय पर वेतन नहीं मिलता है।  

IMG-20200825-WA0053.jpg
मज़दूर नेता कहते है कि इन मज़दूरों की मूल समस्या ठेकाकरण है जबकि इनका काम स्थायी स्वरूप का है फिर भी इन्हे ठेकदार के नीचे रखा जाता है और इन्हें इनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। ठेकदार अपनी मर्जी से इन्हे वेतन देता है और इन्हें किसी भी अन्य तरह की सुरक्षा से वंचित रखता है।

​​​​​इस मामले में भी ऐसा ही लग रहा है। कर्मचारियों ने बताया की ठेकेदार द्वारा सफ़ाई कर्मचारियों को दिल्ली सरकार द्वारा नियत न्यूनतम मजदूरी 14,000 भी नहीं दी जा रही है। कुछ कर्मचारियों को 11,200 रुपये और कुछ कर्मचारियों को 8000 से 10000 रुपये दिए जा रहे हैं। यही नहीं सफ़ाई कर्मचारियों को ई.एस.आई जैसी मूलभूत स्वास्थ्य सुरक्षा सुविधा भी नहीं दी जा रही है।

सफ़ाई कामगार यूनियन के नेता हरीश गौतम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सफ़ाई कर्मचारियों के शोषण का आलम यह है कि कर्मचारियों से मालढुलाई, शिफ्टिंग, विश्वविद्यालय की सफ़ाई के बाद काम के लिए कहीं और भेज देना जैसे काम जो सफ़ाई के काम में नहीं आते उनसे जबरन करवाए जाते हैं। लेकिन इस तरह के तमाम शोषण का लगातार जारी रहना विश्वविद्यालय प्रशासन और ठेकेदार कंपनी के गठजोड़ को दिखाता है|
आगे उन्होंने कहा कि आंदोलनरत सफ़ाई कर्मचारियों ने अनेक बार विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने अपनी मांगे रखी लेकिन अभी तक उनका समाधान नहीं किया गया है। यही कारण है कि मजबूरी में कर्मचारियों को आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ा।

कर्मचारियों की मांग है कि सभी कर्मचारियों को विश्वविद्यालय जो कि उनका “प्रधान नियोक्ता” है, द्वारा 3 महीने का बकाया वेतन जल्द से जल्द दिया जाए। सभी को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाए और सभी कर्मचारियों की स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए ई.एस.आई. और प्रोविडेंट फंड की सुविधा तथा कोरोना को देखते हुए सभी कर्मचारियों को ग्लव्स, सैनिटाइज़र, मास्क इत्यादि मुहैया करवाए जाएं। कर्मचारियों और उनके यूनियन ने अपना आंदोलन तब तक जारी रखने का निर्णय लिया है जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मान ली जाती हैं।

 

SKU
Sanitation Workers
SANITATION WORKER PROTEST
delayed payment of sanitation workers
Contractual Sanitation Workers
Delhi
delhi government
IGDTUW Indira Gandhi Delhi Technical University for Women

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

महानगरों में बढ़ती ईंधन की क़ीमतों के ख़िलाफ़ ऑटो और कैब चालक दूसरे दिन भी हड़ताल पर

दिल्ली: बर्ख़ास्त किए गए आंगनवाड़ी कर्मियों की बहाली के लिए सीटू की यूनियन ने किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License