NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कटाक्ष :  गद्दीधारी नेताओं के बहिष्कार को सेडीशन बनाओ
जो गद्दीधारी नेताओं के लिए डेमोक्रेसी से करे प्यार, उनका बहिष्कार करने वालों को कड़ी सजा दिलाने से कैसे करे इंकार...।
राजेंद्र शर्मा
21 Mar 2021
कटाक्ष :  गद्दीधारी नेताओं के बहिष्कार को सेडीशन बनाओ

हम तो सोच रहे थे कि स्वीडन वाले अगर भारत को बदनाम करने का षडयंत्र नहीं भी कर रहे हों, तब भी मामले को बढ़ा-चढ़ाकर जरूर रिपोर्ट कर रहे होंगे। वर्ना यह कैसे हो सकता था कि न्यू इंडिया बनते-बनते इंडिया डेमोक्रेसी से चुनावी तानाशाही बन गया और देश की पब्लिक को खबर ही नहीं हुई। बेशक, हमारे मन में तब कुछ खटका जरूर हुआ था जब विदेश मंत्री को बाकायदा बयान जारी कर, चुनावी तानाशाही की खबर को विदेशी षडयंत्र बताना तो दूर, फेक न्यूज तक कहना मंजूर नहीं हुआ। फिर भी हमें लगा कि विदेशी षडयंत्र बता-बताकर बेचारा विदेश मंत्रालय भी थक गया होगा।

कभी विश्व मानवाधिकार संगठन तो कभी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट, कभी कनाडियाई प्रधानमंत्री, तो कभी ब्रिटिश संसद, कभी ग्रेटा थनबर्ग तो कभी फ्रीडम हाउस, एक विदेश मंत्री किस-किस का खंडन करे। पर अब पता चल रहा है कि स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट की बात न सिर्फ सही थी बल्कि मामला दरअस्ल बाहर वालों ने जो बताया, उससे भी आगे निकल चुका है। और यह कोई और नहीं, खुद सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग कह रहे हैं।

हरियाणा वाले खट्टर साहब ने तो बाकायदा एसेंबली में एलान ही कर दिया है कि डेमोक्रेसी की हत्या की जा चुकी है। माना कि उन्होंने डेमोक्रेसी की हत्या करने के लिए विपक्ष वालों को दोषी ठहराया है, पर जाहिर है कि हत्या तो हो चुकी है। और पूरे देश के लिए न सही, कम से कम हरियाणा के लिए तो खट्टर साहब के इस एलान को ऑफीशियल माना ही जाएगा। और सिर्फ हरियाणा में ही क्यों बगल में एक तरफ पंजाब और दूसरी ओर पश्चिमी यूपी में तो जरूर ही डेमोक्रेसी की हत्या हो चुकी है। जहां-जहां किसान और पब्लिक सत्ताधारी नेताओं का बॉयकाट कर रहे हैं, कम से कम वहां-वहां तो डेमोक्रेसी की हत्या हो ही चुकी है।

पर जरा ठहरिए। खट्टर साहब ने विपक्ष वालों पर अगर डेमोक्रेसी का मर्डर करने का आरोप लगाया है, तो उन्होंने साथ में इसका भी तो एलान किया है कि वे ऐसा नहीं होने देंगे। यानी मर्डर करने वाले बेशक मर्डर कर हैं, पर खट्टर साहब भी कोई हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठे हुए हैं। जाहिर है कि खट्टर साहब मर्डर करने की कोशिशों का मुकाबला कर रहे होंगे। अब खट्टर साहब ने ऐसेंबली में ठीक-ठीक यह तो नहीं बताया कि डेमोक्रेसी का मर्डर करने वालों को रोकने में वह कितने कामयाब रहे हैं और मर्डर करने वाले अपनी कोशिश में कितने कामयाब हुए हैं, फिर भी खट्टर साहब ने भी डेमोक्रेसी को मर्डर से थोड़ा-बहुत तो बचाया ही होगा। तो न मर्डर करने वालों की और न मर्डर रोकने वालों की, डेमोक्रेसी के हाफ मर्डर पर डन करते हैं।

पर एक बात हमारी समझ में नहीं आयी। किसानों-विसानों के मामले में तो मोदी जी ने खट्टर साहब से ज्यादा जोर न दिखाने के लिए कह दिया लगता है, पर डेमोक्रेसी का मर्डर करने वालों के साथ वह इतना सॉफ्टीपना क्यों दिखा रहे हैं। भला बताइए, यह जरूरत से ज्यादा सॉफ्टीपना नहीं तो और क्या है कि गांवों में लोग गद्दीधारी पार्टी के नेताओं को घुसने नहीं दे रहे हैं बल्कि उन्हें हर जगह से भगा रहे हैं और सरकार उनके पब्लिक को भाषण सुनाने के जनतांत्रिक अधिकार यानी डेमोक्रेसी के मर्डर को रोकने के लिए क्या कर रही है? फकत निंदा! जी हां, विपक्ष वाले तो डेमोक्रेसी की हत्या कर रहे हैं और खट्टर जी विधानसभा से इस हमले की सिर्फ और सिर्फ निंदा का प्रस्ताव पारित करा रहे हैं। और वह प्रस्ताव भी इतना गोल-मोल कि उसमें डेमोक्रेसी का मर्डर करने वाली पार्टियों का नाम लेना तो दूर, किसानों तक का नाम नहीं लिया गया है, जिन्हें भडक़ा कर न सिर्फ मर्डर कराया जा रहा है बल्कि बेचारे गद्दीधारियों को भगा-भगाकर, उनके ही हाथों से उन्हें टार्चर भी कराया जा रहा है। माना कि डेमोक्रेसी के मर्डर की निंदा के विधानसभा के प्रस्ताव में किसी राजनीतिक पार्टी के नेताओं के बहिष्कार की बात तक करने वालों की निंदा की गयी है और वर्तमान में ही नहीं भविष्य में ऐसी बात करने वालों की भी एडवांस में ही निंदा करने का एलान कर दिया गया है, फिर भी कहां मर्डर और कहां निंदा; छप्पन इंच की छाती वालों से इतने सॉफ्टीपने की उम्मीद तो किसी को भी नहीं थी।

खैर! अभी भी वक्त निकला नहीं है। वैसे भी यह मामला राज्यों पर छोडऩे वाला नहीं है। आज तीन राज्यों में किसानों के चक्कर में पब्लिक भगवा पार्टी और उसकी संगी पार्टियों के नेताओं को भगा रही है, कल तेरह राज्यों में भगाए जाएंगे और फिर देश भर में। इसे तो तीन राज्यों में ही रोकना पड़ेगा। लेकिन, सिर्फ निंदा प्रस्ताव पारित करने से तो यह होने वाला नहीं है। जो गद्दीधारी नेताओं के लिए डेमोक्रेसी से करे प्यार, उनका बहिष्कार करने वालों को कड़ी सजा दिलाने से कैसे करे इंकार। मोदी सरकार को पूरे देश के लिए ही ऐसा कड़ा कानून बनाना चाहिए, जिसके बाद किन्हीं किसानों-विसानों की गद्दीधारी नेताओं का बहिष्कार की हिम्मत ही नहीं हो। नेताओं के बहिष्कार को यूएपीए के तहत अपराध बनाया जाना चाहिए। बल्कि और भी बेहतर होगा कि गद्दीधारी नेताओं के बहिष्कार को सेडीशिन का मामला बना दिया जाए। गद्दीधारी जब राष्ट्र हैं तो उनका बहिष्कार, राष्ट्रद्रोह ही तो हुआ। राष्ट्रद्रोह के लिए सिर्फ निंदा--यह तो टू मच सॉफ्टनैस हो गयी भाई!

(इस व्यंग्य़ स्तंभ के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)  

sarcasm
democracy
Aisi Taisi Democracy
new india
new india reality
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License