NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
फिर-फिर थैंक्यू मोदी जी!
कटाक्ष: अगला कृपा पर कृपा बरसाकर नहीं थक रहा है और हम थैंक्यू में भी सुस्ती दिखाएं, यह तो बड़ा अन्याय है भाई।
राजेंद्र शर्मा
06 Nov 2021
THANK YOU MODI
तस्वीर केवल प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए। साभार : गूगल

अब भाई किसी को ये थैंक्यू मोदी जी का सीरियल लग रहा है, तो वही सही। मोदी जी हैं ही इतने थैंक्यूएबल कि उनका थैंक्यू किए बिना कोई रह ही कैसे सकता है? वैसे भी कोई एक ही चीज के थैंक्यू की बात तो है नहीं, जो थैंक्यू करने वाला भी बोर हो जाए और सुनने वाला भी। मोदी जी की यही तो खासियत है: वह न कोई ड्रैस रिपीट करते हैं, चाहे कितनी ही महंगी हो और न कोई थैंक्यू रिपीट कराते हैं, चाहे कितना ही बड़ी कृपा के लिए थैक्यू क्यों न हो? वह तो अवढ़र दानी हैं, कृपा कर के भूल जाते हैं और अगली कृपा करने निकल जाते हैं, प्रजा ने ठीक से थैंक्यू किया तो भी ठीक और नहीं भी किया तो भी ठीक। पर हम प्रजा जन उर्फ पब्लिक की भी तो कोई जिम्मेदारी बनती है। मोदी जी की कृपा पर अपना अधिकार मानते हैं, तो हम अपने प्रजा होने के कर्तव्य का भी तो पालन करें। कृपा के लिए कम से कम थैंक्यू तो बोलें, जिससे मोदी जी को इसका संतोष तो हो कि उन्होंने डिजर्विंग पर कृपा की; उनकी कृपा बेकार नहीं जाएगी।

रही रोज-रोज थैंक्यू की बात, तो मोदी जी कृपा भी तो रोज-रोज कर रहे हैं। पहले मुफ्त नोटबंदी। फिर मुफ्त सर्जिकल स्ट्राइक, जमीन से। फिर मुफ्त सर्जिकल स्ट्राइक, आसमान से। इसी बीच, कूड़े-कचरे से आजादी। फिर आजादी की गुहार लगाने वालों से आजादी। फिर कश्मीर की असली आजादी। फिर शाहीन बाग से आजादी। बीच-बीच में सरकार की उद्योग-धंधों से आजादी। धन्नासेठों की टैक्स-वैक्स से और नागपुरियों की कानून के दखल से आजादी। कोरोना से बचाने के लिए लॉकडाउन के जरिए काम-काज से आजादी। इलाज-विलाज, आक्सीजन-वॉक्सीजन की जरूरत से आजादी। फिर मुफ्त राशन। फिर टीका भी मुफ्त। और अब पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी कमी। और छपते-छपते टाइप की खबर--तीर्थस्थलों के विकास से भारत के गौरव की वापसी; वगैरह, वगैरह।

अगला कृपा पर कृपा बरसाकर नहीं थक रहा है और हम थैंक्यू में भी सुस्ती दिखाएं, यह तो बड़ा अन्याय है भाई। रही बात सीरियल की तो यह तो जमाना ही सीरियल का है। कृपा का सीरियल जब तक चल रहा है, प्रजा थैंक्यू के सीरियल में कंजूसी क्यों करे?

हम तो कहते हैं कि फिलहाल थैंक्यू मोदी जी सीरियल साप्ताहिक सही, पर यूंही हिट रहा तो प्रजा को जल्दी ही उसे डेली सोप कराने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए। एक अदद थैंक्यू हर सुबह, आरती टाइम पर! जहां छत्तीस करोड़ देवता मंजूर हैं, छत्तीस करोड़ प्लस वन करने से हिंदुत्व का छकड़ा उलट तो नहीं ही जाएगा।

पर जो होना चाहिए, वह हो कहां रहा है? बाकी की छोडि़ए, मोदी जी ने एक अरब टीके लगाने का रिकार्ड बनाया और वह भी मुफ्त, मगर पब्लिक ने उन्हें बदले में क्या दिया? एक थैंक्यू मोदी जी कहलवाने के लिए बेचारे भगवाइयों को क्या-क्या नहीं करना पड़ा। पोस्टकार्ड छपवाकर बांटने पड़े। अखबारों में पूरे-पूरे पन्ने  के कई-कई विज्ञापन देने पड़े। टीवी पर प्रचार करना पड़ा। मंत्रियों-सांसदों को देश भर में घूम-घूमकर प्रजा को उसका कर्तव्य याद दिलाना पड़ा। तब भी क्या हुआ। एक सौ तीस करोड़ थैंक्यू के स्वरकंपों से उठने वाली ध्वनि तरंगों से वाइरस नष्ट होना तो दूर रहा, डब्ल्यूएचओ की दीवारें तक नहीं कांपीं कि जांच-परख छोडक़र कोवैक्सीन को झटपट मंजूरी दे देता। मोदी को ही विदेश में जाकर डब्ल्यूएचओ के प्रमुख को अपनी ट्रेड मार्क झप्पी देनी पड़ी, तब कहीं जाकर आत्मनिर्भर भारत वाली कौवैक्सीन को मंजूर मिली।

और देसी प्रजा ने तो खैर एकदम हद्द ही कर दी। दिल से मोदी जी का थैंक्यू तो नहीं ही किया, उपचुनाव में वोट देकर, दिखावे का थैंक्यू तक कर के नहीं दिया। उल्टे डबल इंजन वाले हिमाचल में तो एकदम सूपड़ा साफ ही कर दिया। और सिंगल इंजन राजस्थान में और बिना इंजन बंगाल में भी, गाड़ी को उल्टा ही धक्का लगा दिया। किसे पता था कि पब्लिक इतनी नाशुक्री निकलेगी। मुफ्त टीका, मुफ्त अनाज सब ले लिया, पर मुफ्त का वोट देने का टैम आया तो अंगूठा दिखा दिया। भागवत जी, मोदी जी, शाह जी, गलत नहीं कहते हैं कि इस देश की पब्लिक ने अधिकार मांगना ही सीखा है, कर्तव्य पूरे कर के दिखाना नहीं सीखा है। नये इंडिया में इनसे अधिकार भुलवाना होगा और कर्तव्य पूरे करना सिखाना होगा।

पर पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने के थैंक्यू पर तो, हुज्जत करने में इस पब्लिक ने अपना रिकार्ड भी तोड़ दिया है। जिस सरकार के रोज-रोज पैंतीस-पैंतीस पैसा बढ़ाने पर इतनी कांय-कांय थी, उसने पूरे पांच रुपये और दस रुपये से तेल का दाम घटाया है। पर मजाल है कि सरकार के मंत्रियों और पक्के भक्तों के अलावा किसी के मुंह से मरा सा भी थैंक्यू निकला हो। उल्टे भाई लोग यह पूछ रहे हैं कि साढ़े सात साल में तेल और डीजल पर जो टैक्स बढ़ाए हैं, उसका बाकी का हिस्सा कब वापस लेंगे? और बात यहीं तक रहती तो फिर भी गनीमत थी। लोग तो बोलियां मार रहे हैं कि उपचुनाव में हल्का सा धक्का लगा, तो तेल टैक्स के पांच-दस रुपये वापस हो गए। यूपी-उत्तराखंड-पंजाब में चुनाव में जोर की ठोकर लगाएं, जिससे कम से कम तेल टैक्स के सारे बढ़े हुए पैसे वापस हो जाएं। ये सिला दिया है प्रजा ने, मोदी जी की मुफ्त टीका, मुफ्त अनाज, मुफ्त विश्व गुरु की पदवी आदि, आदि कृपाओं की बौछार का!

खैर, इस पब्लिक के नाशुक्रेपन से मोदी जी अपना रास्ता छोडऩे वाले नहीं हैं। नहीं होगा तो मोदी जी इस पब्लिक को ही भंग कर देंगे और अपनी पसंद की पब्लिक चुन लेंगे, पर कृपा की बारिश करना नहीं छोड़ेंगे। तब हम ही क्यों थैंक्यू मोदी जी में कोताही बरतने लगे। फिर-फिर थैंक्यू मोदी जी। इस बार पेट्रोल-डीजल सस्ता करने के लिए। बचे रहे तो अगले हफ्ते, तीर्थों के विकास से गौरव की वापसी के लिए थैंक्यू मोदी जी होगा।

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

sarcasm
Satire
Political satire
Narendra modi
Thank You Modi ji

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License