NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कला
भारत
राजनीति
सतीश गुजराल : एक संवेदनशील चित्रकार-मूर्तिकार
सतीश गुजराल ने अपनी जीवन यात्रा में प्रचुर संख्या में अभूतपूर्व और जीवंत कलाकृतियों का सृजन किया है। जो भारतीय कला के लिए मिसाल हैं।
डॉ. मंजु प्रसाद
11 Oct 2020
सतीश गुजराल
सतीश गुजराल अपनी कलाकृति के साथ। (फाइल फोटो) साभार : गूगल

अपने दिल्ली प्रवास के दौरान इंडिया गेट के पास ही स्थित आधुनिक कला संग्रहालय मानो मेरे लिए तीर्थ धाम बन गया था। लायब्रेरी के बहाने हफ्ते में दो या तीन चक्कर लग जाते थे। संग्रहालय का स्वागत कक्ष लांघते ही सबसे पहले जिस कलाकृति पर बरबस निगाह थम जाती थी, वह थी सतीश गुजराल की एक अनोखी मूर्ति शिल्प। फिर कई चित्र संग्रहालय में ही देखने को मिलते रहे। मेरे लिए सबसे सुखद रहा 1997-98 के दौरान त्रिवेणी कला संगम के श्रीधराणी कला विथिका में सतीश गुजराल को उनके नवीन सुंदर रंगों में सुसज्जित बड़े कैनवस  पर बनाए सरल गतिमान आकृतियों वाले चित्रों को देखना।

IMG-20201011-WA0004.jpg

खिलाड़ी, कैनवास पर ऐक्रेलिक,चित्रकार-सतीश गुजराल, साभार: भारत की  समकालीन कला एक परिपेक्ष्य

ये चित्र विशेष रूप से खुरदरी सतह पर एक्रेलिक रंग में बनाए गए चित्र थे। बहुत आश्चर्य हुआ इतने बड़े कलाकार इतनी आसान सी पेंटिंग! (दरअसल उस समय यह सोच थी कि आधुनिक चित्रण शैली जितनी जटिल होगी उत्कृष्ट कलाकृति मानी जायेगी)। सरल और सौम्य कलाकार सतीश गुजराल को उनके नवीन चित्रों के साथ देखकर एहसास हुआ कि 'जो चित्र सहज ढंग से दर्शक को संप्रेषित करे और सीधे दर्शक से संवाद करे वही सार्थक और सफल कलाकृति है।'

मेरे साथ एक महिला संगठन नेत्री, जीता कौर थीं जो अक्सर एक सरल कला दर्शक और कला मर्मज्ञ के रूप में कई चित्र प्रदर्शनियों में मेरे साथ होती थीं । मुझे एहसास भी नहीं था कि इतनी सुन्दर रंग संगति के साथ चित्रण करने वाले कलाकार ने अपनी कलासृजन के शुरुआती दौर में देश के विभाजन का दंश सहा जिसकी पीड़ा उनके शुरुआती चित्रों में हमें बरबस ही दिख जाती है।

Satish Gujral.jpg

सतीश चन्द्र गुजराल (25 दिसंबर 1925 -26 मार्च 2020) भारत के विख्यात बहुमुखी कलाकार थे जो कुशल चित्रकार होने के साथ ही मूर्तिकार, म्यूरल कलाकार और वास्तुविद थे। उनका जन्म झेलम (पाकिस्तान) में हुआ था। कला में अत्यंत रूचि होने‌‌ के कारण और कला की विधिवत शिक्षा के लिए उन्होंने 1939 में लाहौर के मेयो स्कूल आफ आर्ट में दाखिला लिया। मेयो स्कूल आफ आर्ट को अंग्रेजों ने 1875 में स्थापित किया था, भारतीय स्थानीय कारीगरों, हस्तशिल्पियों और कलाकारों को प्रशिक्षण देने के लिए। सतीश गुजराल वहां के प्रशिक्षण पद्धति से असंतुष्ट थे। अतः उन्होंने 1944 में बंबई के सर जे.जे. स्कूल आफ आर्ट में दाखिला लिया। परंतु 1947 में देश विभाजन के कारण अपने जन्म स्थान झेलम लौटना पड़ा। वहां से वे दिल्ली आते हैं और यहीं बस जाते हैं।

IMG-20201011-WA0003.jpg

चित्रकार- सतीश गुजराल, ' क' पत्रिका से साभार

देश के विभाजन और उसकी वजह से हुई जन त्रासदी, जनता के दुख,  और मानवता के अवमूल्यन ने उनके संवेदनशील कलाकार मन को झकझोर कर रख दिया। जिससे प्रभावित उन्होंने कई चित्र बनाए। वे एकमात्र ऐसे चित्रकार थे जिन्होंने देश के विभाजन की त्रासदी को अपने चित्रों का विषय बनाया।

सतीश गुजराल तेरह वर्ष के थे तभी किसी गंभीर बीमारी ने उनकी सुनने की शक्ति को छीन लिया। जिससे अंतर्मुखी , चिंतनशील और  आत्म विवेचन वाले हो गये। इस कारण अपनी कृतियों में उन्होंने मनुष्यगत व्यक्तित्व के खोज की और खुद को ही सृजन के कर्ता और कर्म के रूप में रखा है। वैसे यह बात सभी ईमानदार और संवेदनशील कलाकारों के साथ होती है। सतीश गुजराल में जो यह शारीरिक अक्षमता थी उससे स्वाभाविक था जीवन के हर कदम पर कठिनाई और दुख था। इसलिए उनकी कृतियां आंतरिक विकास की अभिव्यक्ति हैं। जिसमें फैंटेसी (विलक्षण कल्पना) और आत्म साक्षात्कार है। जिससे उनकी चित्राकृतियां बोलती प्रतीत होती हैं।

सतीश गुजराल ने अपनी जीवन यात्रा में प्रचुर संख्या में अभूतपूर्व और जीवंत कलाकृतियों का सृजन किया है। जो भारतीय कला के लिए मिसाल हैं। चित्रकार और प्रसिद्ध कला समीक्षक प्राणनाथ मांगों ने उनके बारे में लिखा ' सतीश उन थोड़े से महत्वपूर्ण कलाकारों में से एक हैं, जो बाहरी दुनिया के सरोकारों से जुड़े हुए हैं -- सामाजिक घटनाओं, राजनीतिक दमन , एरॉटिक गुलामी की दुनिया से। उनके काम में व्यंग क्रूरता, कटुक्ति व विद्रूप की अभिव्यक्तियां भरपूर हैं और उन्होंने दमित फंतासियों को दृश्य और सुघट्य विश्लेषणों में उघाड़ कर रख दिया है।' --पुस्तक: भारत की समकालीन कला से ।

सतीश गुजराल ने चित्रांकन के साथ-साथ सिरामिक, काष्ठ, धातु और पाषाण माध्यम में अपनी कलात्मक रचनाशीलता का परिचय दिया है। नई दिल्ली में बेल्जियम दूतावास के भवन की परियोजना के लिए वास्तु रचना के क्षेत्र में

उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली। लखनऊ के प्रसिद्ध अम्बेडकर पार्क की डिजाइन भी उन्होंने ही तैयार की। सतीश गुजराल विलक्षण प्रतिभा के कलाकार थे। इसी 26 मार्च 2020 में भारत के इस महान कलाकार ने इस दुनिया से विदा ले ली।

(लेखक डॉ. मंजु प्रसाद एक चित्रकार हैं। आप इन दिनों लखनऊ में रहकर पेंटिंग के अलावा ‘हिन्दी में कला लेखन’ क्षेत्र में सक्रिय हैं।) 

इसे भी पढ़ें: कला विशेष: शक्ति और दृष्टि से युक्त अमृता शेरगिल के चित्र

इसे भी पढ़ें : कला विशेष : शबीह सृजक राधामोहन

इसे भी पढ़ें : कला विशेष: चित्र में प्रकृति और पर्यावरण

Satish Gujral
Indian painter
art
artist
Indian painting
Indian Folk Life
Art and Artists
Folk Art
Folk Artist
Indian art
Modern Art
Traditional Art

Related Stories

'द इम्मोर्टल': भगत सिंह के जीवन और रूढ़ियों से परे उनके विचारों को सामने लाती कला

राम कथा से ईद मुबारक तक : मिथिला कला ने फैलाए पंख

पर्यावरण, समाज और परिवार: रंग और आकार से रचती महिला कलाकार

सार्थक चित्रण : सार्थक कला अभिव्यक्ति 

आर्ट गैलरी: प्रगतिशील कला समूह (पैग) के अभूतपूर्व कलासृजक

आर्ट गैलरी : देश की प्रमुख महिला छापा चित्रकार अनुपम सूद

छापा चित्रों में मणिपुर की स्मृतियां: चित्रकार आरके सरोज कुमार सिंह

जया अप्पा स्वामी : अग्रणी भारतीय कला समीक्षक और संवेदनशील चित्रकार

कला गुरु उमानाथ झा : परंपरागत चित्र शैली के प्रणेता और आचार्य विज्ञ

चित्रकार सैयद हैदर रज़ा : चित्रों में रची-बसी जन्मभूमि


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License