NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’: किसानों ने राज्यापलों के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा रोषपत्र, कई जगह पुलिस ने रोका
कई राज्यों में तो किसानों को राज्यपालों से शांतिपूर्ण ढंग से मिलने दिया गया लेकिन दिल्ली और उत्तराखंड सहित कुछ राज्यों में पुलिस ने आंदोलनकारियों को राजभवन जाने से रोका। चंडीगढ़ में भी इस दौरान काफ़ी विवाद रहा।
मुकुंद झा
26 Jun 2021
‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’: किसानों ने राज्यापलों के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा रोषपत्र, कई जगह पुलिस ने रोका

आज 26 जून 2021 को दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक किसान आंदोलन के सात महीने पूरे हुए हैं। इसी के साथ आज आपातकाल दिवस भी है। इसलिए किसानों ने ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ कर्यक्रम के तहत देशभर में राज्यपालों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। हालाँकि कई राज्यों में तो किसानों को राज्यपालों से शांतिपूर्ण ढंग से मिलने दिया गया लेकिन दिल्ली और उत्तरखंड सहित कई राज्यों में पुलिस ने आंदोलनकारियों को राजभवन जाने से रोका। हालाँकि बाद में दिल्ली पुलिस प्रशासन ने खुद ही किसानों के एक प्रतिनिधिमण्डल को उप राज्यपाल कार्यलय ले जाकर ज्ञापन दिलवाया।

इसी तरह केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ की पुलिस ने पहले किसानों को प्रदेश में न घुसने का आवाह्न किया परन्तु जब पंजाब के किसान मोहाली की तरफ से सारे बैरिकेड तोड़ते हुए और पुलिस की पानी के तोपों से लड़ते हुए चंडीगढ़ शहर में घुस गए, तब हरियाणा के पंचकूला से चंडीगढ़ आ रहे किसानों से मिलने के लिए राज्यपाल कार्यलय ने अपने अधिकारी को भेजकर रोष पत्र मंगवाया। आपको बता दे केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त रूप से राजधानी है और दोनों राज्यों के राज्यपाल यहीं रहते हैं। इसलिए दोनों राज्यों के किसानों ने चंडीगढ़ कूच किया। पंजाब राजभवन की ओर बढ़ने से पहले पंजाब के कई हिस्सों से बड़ी संख्या में किसान मोहाली के अम्ब साहिब गुरुद्वारे में एकत्र हुए। इसी तरह हरियाणा में भी राज्य के कई हिस्सों से किसान पंचकूला के नाढा साहिब गुरुद्वारे में एकत्र हुए और राजभवन की ओर बढ़े।

हरियाणा के युवा किसान नेता और अखिल भारतीय किसान सभा के राज्यसचिव सुमित सिंह ने सरकार द्वारा किसानों को राजभवन जाने से रोके जाने पर कहा कि सरकार कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन किसान संयुक्त मोर्चे का जो आह्वान है उसे पूरा करके रहेगी। पहले भी सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने का प्रयास किया था परन्तु किसान गया और आज सात महीने से दिल्ली की सीमाओं पर मोर्चा लगाया हुआ है।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में में भी किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया और उनका एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल के पास गया और अपना ज्ञापन सौंपा। जबकि दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बड़ी संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ दिल्ली के गाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने गाजियाबाद में दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर प्रदर्शन स्थल पर मुजफ्फरनगर से आए 100 ट्रैक्टरों की रैली का नेतृत्व करने के बाद किसानों को संबोधित किया।

भाकियू अध्यक्ष ने कहा कि यह ‘केंद्र सरकार की हठधर्मिता का चरम है’, यही वजह है कि किसान दिल्ली की सीमा पर गत सात महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा,‘‘केवल गूंगी और बहरी सरकार ही इस तरह का व्यवहार कर सकती है।’’

दिल्ली में किसानों के समर्थन में छात्र ,किसान और मज़दूरों के संयुक्त मंच दिल्ली फॉर फार्मर्स के तत्वावधान में उपराज्यपाल निवास पर विरोध कार्यक्रम किया गया। सभी प्रदर्शनकारी सिविल लाइन मेट्रो स्टेशन इक्कठे हुए और उपराज्यपाल निवास की ओर बढ़े तभी पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

महिलाओं, मजदूरों, छात्रों सहित अनेक दिल्ली वासियों ने कार्यक्रम में भाग लिया और किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया। और सभा शुरू की गई। इस बीच में 3 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल ज्ञापन देने के लिए उप राज्यपाल निवास पर पुलिस के एस्कॉर्ट में पहुंचा वहां मेमोरेंडम को जमा कराया गया।

सिविल लाइन मेट्रो स्टेशन पर जहां सभा चल रही थी वहां दिल्ली पुलिस के एसीपी महोदया के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया।

दिल्ली फ़ॉर फार्मर्स के मुताबिक़ हिरासत में लिए गए लोगों में अपर्णा, अध्यक्ष इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस राष्ट्रीय कमेटी, एडवोकेट शोभा अध्यक्ष प्रगतिशील महिला संगठन दिल्ली, दीप्ति महासचिव भारतीय महिला फेडरेशन NFIW दिल्ली इकाई समेत PMS कार्यकर्ताओं को एक आरटीवी बस में बिठाकर पीटीएस वजीराबाद ले जाएगा यह दिल्ली पुलिस द्वारा कोविड व्यवहार व डीडीएमए के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन है।

वहीं से एक अन्य बस में जय किसान आंदोलन के लगभग 19 कार्यकर्ता, बीकेयू-नैन तथा IFTU के एक-एक सदस्य को भी पीटीएस वजीराबाद में हिरासत में रखा गया।

मौरिस नगर साइबर सेल में प्रगतिशील महिला संगठन दिल्ली की महासचिव तथा को कोऑर्डिनेटर दिल्ली फॉर फार्मर्स कॉमरेड पूनम कौशिक, मृगांक IFTU दिल्ली कमिटी उपाध्यक्ष, सुमित कटारिया दिल्ली राज्य अध्यक्ष SFI तथा एसएफआई के दो और कार्यकर्ताओं को हिरासत में रखा गया।

इसके पूर्व सिविल लाइन मेट्रो स्टेशन पर कार्यक्रम में जोरदार नारेबाजी की गई खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ, तीनों कृषि कानून रद्द करो, बिजली बिल 2020 वापस लो एमएसपी पर कानून बनाओ के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया गया।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी रोष पत्र के प्रति दिल्ली फॉर फार्मर्स की एकजुटता दिखाते हुए महामहिम राष्ट्रपति को दिल्ली के उपराज्यपाल की मार्फत रोष पत्र सौंपा गया।

मध्य प्रदेश में भोपाल में तो किसानो को राजभवन नहीं जाने दिया गया। जो भी किसान नेता भोपाल पहुंचा उन्हें प्रशासन ने या तो हिरासत में ले लिया या फिर नज़रबंद कर दिया। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज सहित कई अन्य किसान नेताओं को भी गांधी भवन में नज़रबंद कर दिया गया। जबकि बाकि प्रदेश के अन्य जिलों में किसानों और मज़दूरों ने संयुक्त रूप से जिला मुख्यलयों पर विरोध प्रदर्शन किया।

इसी तरह की रैलियाँ और विरोध प्रदर्शन बिहार, बंगाल और दक्षिण के तमाम राज्यों में किया गया। इसी तरह पहाड़ी राज्य हिमाचल में भी किसानों ने राजभवन तक मार्च किया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान वहां के सभा भी हुई जिसे किसान नेता और वर्तमान में हिमाचल के ठियोग से सीपीएम विधायक राकेश सिंघा ने संबोधित किया और कहा कि ये सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है। ये किसानों की ज़मीनों को अमेरिकी मॉडल के तहत अंबानी और अडानी जैसे पूंजीपतियों को सौंप देना चाहती है।

किसानों के इस आह्वान को देश के मज़दूरों का भी पूरा समर्थन मिला और मज़दूरों ने भी औद्योगिक क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किया। मज़दूरों ने किसानों के मांग के साथ ही अपनी मांगे भी बुलंद की और कहा सरकार ने जो श्रम कानूनों समाप्त कर जो नए चार लेबर कोड लाए है उसे तुरंत वापस ले।

किसान नेताओं का कहना है सात महीनों में, संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में भारत के सैकड़ों किसान संगठनों ने भारत के कई राज्यों के लाखों किसानों के साथ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे लंबे समय तक लगातार विरोध प्रदर्शन किया। यह किसान आंदोलन भारत के किसानों की सक्रियता, गौरव और सम्मान को वापस लाया है। सरकार के आन्दोलन को विफल करने के तमाम प्रयासों के बावजूद किसानों की एकता बरकरार है। अपने नागरिकों और उनके हितों और कल्याण के प्रति सरकार की जवाबदेही संघर्ष के केंद्र में है।

किसान संयुक्त  मोर्चा ने कहा कि उम्मीद है कि उसे राष्ट्रपति का समर्थन मिलेगा क्योंकि उन्होंने भारत के संविधान की रक्षा करने की शपथ ली है।  

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm Bills
Save Democracy
Save Agriculture-Save Democracy
Samyukt Kisan Morcha
#SaveFarming_SaveDemocracy
Ram Nath Kovind
All India Kisan Sabha
IFTU

Related Stories

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

1982 की गौरवशाली संयुक्त हड़ताल के 40 वर्ष: वर्तमान में मेहनतकश वर्ग की एकता का महत्व

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल


बाकी खबरें

  • yogi
    एम.ओबैद
    सीएम योगी अपने कार्यकाल में हुई हिंसा की घटनाओं को भूल गए!
    05 Feb 2022
    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गोरखपुर में एक बार फिर कहा कि पिछली सरकारों ने राज्य में दंगा और पलायन कराया है। लेकिन वे अपने कार्यकाल में हुए हिंसा को भूल जाते हैं।
  • Goa election
    न्यूज़क्लिक टीम
    गोवा चुनाव: राज्य में क्या है खनन का मुद्दा और ये क्यों महत्वपूर्ण है?
    05 Feb 2022
    गोवा में खनन एक प्रमुख मुद्दा है। सभी पार्टियां कह रही हैं कि अगर वो सत्ता में आती हैं तो माइनिंग शुरु कराएंगे। लेकिन कैसे कराएंगे, इसका ब्लू प्रिंट किसी के पास नहीं है। क्योंकि, खनन सुप्रीम कोर्ट के…
  • ajay mishra teni
    भाषा
    लखीमपुर घटना में मारे गए किसान के बेटे ने टेनी के ख़िलाफ़ लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा जताया
    05 Feb 2022
    जगदीप सिंह ने दावा किया कि समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने उन्हें लखीमपुर खीरी की धौरहरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वे 2024 के लोकसभा…
  • up elections
    भाषा
    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पहला चरण: 15 निरक्षर, 125 उम्मीदवार आठवीं तक पढ़े
    05 Feb 2022
    239 उम्मीदवारों (39 प्रतिशत) ने अपनी शैक्षणिक योग्यता कक्षा पांच और 12वीं के बीच घोषित की है, जबकि 304 उम्मीदवारों (49 प्रतिशत) ने स्नातक या उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता घोषित की है।
  • election
    न्यूज़क्लिक टीम
    "चुनाव से पहले की अंदरूनी लड़ाई से कांग्रेस को नुकसान" - राजनीतिक विशेषज्ञ जगरूप सिंह
    05 Feb 2022
    पंजाब में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के दावेदार की घोषणा करना राहुल गाँधी का गलत राजनीतिक निर्णय था। न्यूज़क्लिक के साथ एक खास बातचीत में राजनीतिक विशेषज्ञ जगरूप सिंह ने कहा कि अब तक जो मुकाबला…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License