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विज्ञान
वैज्ञानिकों ने खोज निकाला, ध्वनि की उच्चतम रफ्तार, 36 किमी प्रति सेकंड 
अभी तक ध्वनि तरंगों की रफ्तार की उपरी सीमा को निर्धारित कर पाना संभव नहीं हो सका था।
संदीपन तालुकदार
13 Oct 2020
ध्वनि
छवि प्रतिनिधित्व हेतु.| चित्र सौजन्य: पिक्साबे.कॉम 

आइंस्टीन के सापेक्षता के विशेष सिद्धांत ने वैक्यूम में प्रकाश की गति को प्रतिपादित किया था और यह सैद्धांतिक तौर पर ब्रह्माण्ड की अधिकतम रफ्तार की सीमा है। लेकिन ऐसे में अभी तक यह पेचीदा सवाल बना हुआ है कि ध्वनि की पूर्ण उच्चतम रफ्तार क्या हो सकती है, क्योंकि ध्वनि तरंगों के लिए अभी तक ऐसे किसी मूल्य को निर्धारित नहीं किया जा सका है।

लेकिन अब क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी, लंदन एवं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक दल ने इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाई-प्रेशर फिजिक्स, रूस के साथ मिलकर ध्वनि की अधिकतम रफ्तार की वैल्यू को निर्धारित करने में सफलता पा ली है, जो कि 36 किलोमीटर प्रति सेकंड तक की है। इस शोध को साइंस एडवांसेस में प्रकाशित किया गया था।

ध्वनि और प्रकाश दोनों ही तरंगों के तौर पर प्रवाहित होते हैं, लेकिन बुनियादी तौर पर उनमें चारित्रिक भिन्नता होती है। प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय विकिरण है, जिसका अर्थ हुआ कि प्रकाश तरंगें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों के बीच में विचलन करते रहते हैं। ये फ़ील्ड्स एक स्व-प्रसार तरंगों को उत्पन्न करने का काम करती हैं और वैक्यूम के माध्यम से प्रति सेकंड 300,000 किलोमीटर तक की अधिकतम रफ्तार के साथ प्रवाहित होने में सक्षम हैं। लेकिन वहीँ जब कोई प्रकाश तरंग पानी या वायुमंडल जैसे माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह प्रवाहित होता है तो उसकी यह रफ्तार धीमी पड़ जाती है।

वहीँ दूसरी ओर यदि ध्वनि तरंगों की बात करें तो यह एक यांत्रिक तरंग है, जो कि एक माध्यम में कंपन के जरिये उत्पन्न वाली तरंग है। माध्यम में गड़बड़ी के चलते माध्यम में मौजूद अणु एक दूसरे से टकराते हैं, जिससे उर्जा स्थानांतरित होती है और इसके जरिये तरंगें प्रवाहित होती हैं। माध्यम की कठोरता इस बात को निर्धारित करती है कि ध्वनि तरंग कितनी तेजी से इसके माध्यम से फैल सकती है। माध्यम जितना ही कठिन होगा, इसे कंप्रेस करना उतना ही मुश्किल होगा और नतीजे के तौर पर उतनी ही गति से ध्वनि तरंगे प्रवाहित होंगी।

ध्वनि तरंगों के कठोर माध्यम से प्रवाहित होने से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के भीतर का अध्ययन करने में मदद मिलती है, खासतौर पर जब भूकंपीय तरंगें इसके माध्यम से प्रवाहित होती हैं। भूकंप विज्ञानियों ने पृथ्वी के आंतरिक भाग की संरचना के गुणधर्मों का अध्ययन करने के लिए भूकंप द्वारा निर्मित ध्वनि तरंगों को अपने अध्ययन में शामिल किया है। इसमें मौजूद गुणधर्म का इस्तेमाल तो तारों के आंतरिक संरचना के अध्ययन में भी किया जाता है। यहां तक ​​कि भौतिक विज्ञानी तो विशिष्ट वस्तुओं में मौजूद लोचदार गुणधर्मों का अध्ययन करने के लिए ध्वनि तरंगों की मदद लेते हैं।

लेकिन अभी तक जो चीज संभव नहीं हो पा रही थी, वह है ध्वनि तरंगों की गति की ऊपरी सीमा को निर्धारित करने का प्रश्न। इसके साथ ही भिन्न-भिन्न वस्तुओं में ध्वनि की रफ्तार के अंतर ने इसे और भी मुश्किल बना डाला था। ब्रह्मांड में सभी संभावित वस्तुओं में ध्वनि की गति का अध्ययन कर पाना नामुमकिन था, जिससे कि अधिकतम गति को निर्धारित किया जा सके।

वर्तमान अध्ययन ने भौतिकी में मौजूद बुनियादी स्थिरांक को अपने अध्ययन में शामिल किया है। उन्होंने पाया कि इस तरह के दो बुनियादी स्थिरांक ध्वनि की अधिकतम गति को निर्धारित करते हैं। ये हैं सूक्ष्म संरचना स्थिरांक और प्रोटोन से इलेक्ट्रॉन में द्रव्यमान का अनुपात। सूक्ष्म संरचना स्थिरांक को यदि सरल शब्दों में कहें तो ये विद्युत चुम्बकीय बल की शक्ति को विश्लेषित करते हैं, जो इस बात को तय करता है कि इलेक्ट्रॉनों और प्रकाश के परस्पर प्रभाव जैसे प्राथमिक कणों को किस प्रकार से विद्युत चार्ज किया जाए।

शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र में इस तर्क को पेश किया कि- '' सूक्ष्म संरचना स्थिरांक के सधे तरीके से निर्धारित मूल्यों और प्रोटॉन-से-इलेक्ट्रॉन द्रव्यमान अनुपात सहित उनके बीच के संतुलन के जरिये परमाणु प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने का काम संभव है। जैसे कि तारों में प्रोटॉन के क्षय और परमाणु संश्लेषण का काम, जिसके चलते कार्बन सहित अति आवश्यक जैव रासायनिक तत्वों का निर्माण होता है। यह संतुलन अंतरिक्ष में एक संकीर्ण 'निवास के योग्य जोन' को मुहैय्या कराता है जहां तारे और ग्रह का निर्माण संभव है, और जिन्दगी को सहारा देने वाली आणविक संरचनाओं के पैदा होने की संभावनाएं पैदा हो सकती हैं।"

शोधपत्र में उन्होंने आगे कहा है कि “हमने दर्शाया है कि सूक्ष्म संरचना स्थिरांक और प्रोटॉन-से-इलेक्ट्रॉन द्रव्यमान अनुपात के एक सरल संयोजन के चलते एक अन्य आयामहीन मात्रा उपजती है जिसमें संघनित चरणों वाले मूल गुणधर्म के लिए अप्रत्याशित एवं विशिष्ट निहितार्थ समाहित होते हैं, जैसे कि- जिस गति से लहरें ठोस और तरल पदार्थ के तौर पर प्रवाहित होती हैं या ध्वनि की गति।”

अपने आकलन की पुष्टि के लिए उन्होंने अनेकों ठोस एवं तरल माध्यमों के जरिये ध्वनि की गति को मापने का काम किया है। उन्होंने पाया कि विभिन्न माध्यमों के जरिये ध्वनि की गति में किये गए उनके प्रयोगात्मक माप उनके सैद्धांतिक भविष्यवाणी के अनुरूप परिणाम प्रदान करने वाले साबित हुए हैं।

उनके द्वारा किया गया एक पूर्वानुमान यह भी ​​है कि परमाणु के द्रव्यमान के अनुपात में ध्वनि की रफ्तार भी घटने लगती है। यदि यह तथ्य सही है तो ठोस परमाणु हाइड्रोजन की अवस्था में ध्वनि की रफ्तार को अधिकतम होना चाहिए। हाइड्रोजन का यह स्वरुप सिर्फ बेहद उच्च स्तर के दबाव पर ही मौजूद रहता है, जो कि समुद्र तल पर पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव से लगभग 10 लाख गुना अधिक होता है। ऐसी चरम स्थिति में उनके सिद्धांत को सत्यापित कर पाना बेहद कठिन है और इसको लेकर समूह गणितीय गुना-भाग पर निर्भर है, जोकि ठोस परमाणु हाइड्रोजन के गुणधर्म पर आधारित हैं। एक बार फिर से उनका यह पुर्वानुमान सटीक साबित हुआ है।

उनके इन निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के कोस्तया ट्रेचेंको के हवाले से कहा गया था कि '' हमारा मत ​​है कि इस अध्ययन के निष्कर्षों का इस्तेमाल आगे चलकर विभिन्न गुणधर्मों जैसे कि उच्च तापमान वाले सुपरकंडक्टीवीटी के लिए उचित विस्कोसिटी एवं थर्मल कन्डक्टीवीटी, क्वार्क-ग्लुऑन प्लाज्मा और यहाँ तक कि ब्लैक होल भौतिकी तक में वैज्ञानिक अनुप्रयोगों को किया जा सकता है।”

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Scientists Find Sound’s Highest Speed at 36 Km per Second

Maximum Speed of Sound
Sound Speed
Speed Limit of Sound Waves
Fundamental Constants
Fine Structure Constant

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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License