NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट, इंटरनेट पर मदद मांगने पर रोक न लगाई जाए : उच्चतम न्यायालय
अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।  
भाषा
01 May 2021
उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर को ‘‘राष्ट्रीय संकट’’ करार देते हुए शुक्रवार को अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि इंटरनेट पर मदद की गुहार लगा रहे नागरिकों को यह सोचकर चुप नहीं कराया जा सकता कि वे गलत शिकायत कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।

न्यायालय ने केंद्र, राज्यों और सभी पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया कि वे ऐसे किसी भी व्यक्ति पर अफवाह फैलाने के आरोप पर कोई कार्रवाई न करें जो इंटरनेट पर ऑक्सीजन, बिस्तर और डॉक्टरों की कमी से संबंधित पोस्ट कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘‘सूचना का निर्बाध प्रवाह होना चाहिए, हमें नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए। यह राष्ट्रीय संकट है। कोई इस तरह की सोच नहीं होनी चाहिए कि इंटरनेट पर की जाने वाली शिकायतें हमेशा गलत होती हैं। सभी पुलिस महानिदेशकों को कड़ा संदेश जाना चाहिए कि किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे किसी पोस्ट को लेकर यदि परेशान नागरिकों पर कोई कार्रवाई की गई तो हम उसे न्यायालय की अवमानना मानेंगे।’’

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के अधिकारी के रूप में वह विचारों से सहमत हैं।

न्यायालय की टिप्पणी उत्तर प्रदेश प्रशासन के उस हालिया फैसले के संदर्भ में काफी मायने रखती है जिसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया पर महामारी के संबंध में कोई झूठी खबर फैलाने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली को ऑक्सीजन की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित न करने पर केंद्र की खिंचाई की और कहा, ‘‘आप हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकते। मेरी अंतरात्मा हिल गई है। हम आपके हाथों 500 लोगों की मौत नहीं देख सकते। आपको तत्काल कुछ करना होगा और दिल्ली को 200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जो कमी हो रही है, उसकी आपूर्ति करें।’’

मेहता ने कहा कि यहां अस्पतालों में सभी मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुईं।

पीठ ने इसपर कहा कि दिल्ली के प्रति केंद्र का संवैधानिक दायित्व है जो देश का चेहरा है।

न्यायालय ने कोविड-19 के दौरान आवश्यक आपूर्ति और सेवा सुनिश्चित करने के लिए स्वत: संज्ञान सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की भी खिंचाई की और कहा कि कोई भी राजनीतिक विवाद उत्पन्न नहीं किया जाना चाहिए तथा उसे स्थिति से निपटने में केंद्र का सहयोग करना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘राजनीति, चुनाव के लिए है और मानवीय विपदा में इस समय प्रत्येक जीवन की देखभाल करने की आवश्यकता है। कृपया उच्चतम स्तर पर हमारा संदेश पहुंचा दें कि उन्हें राजनीति को एक तरफ रख देना चाहिए तथा केंद्र से बात करनी चाहिए।’’

इसने दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा कि वह मुख्य सचिव को केंद्र के अधिकारियों से बात करने और राष्ट्रीय राजधानी में समस्याओं का समाधान करने को कहें।

दिल्ली को केंद्र की ओर से ऑक्सीजन आपूर्ति में अस्पष्टता संबंधी आंकड़ों के बारे में बात करते हुए मेहरा ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि उसके सुझाव का अक्षरश: पालन किया जाएगा और केंद्र सरकार के साथ सहयोग किया जाएगा।

पीठ देश में वर्तमान और निकट भविष्य में ऑक्सीजन की अनुमानित मांग तथा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र जैसे मुद्दों पर विचार कर रही है।

न्यायालय ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि अग्रिम मोर्चे पर कार्य कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी इलाज के लिए अस्पताल में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें 70 साल में स्वास्थ्य अवसंरचना की जो विरासत मिली है, वह अपर्याप्त है और स्थिति खराब है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि छात्रावास, मंदिर, गिरिजाघरों और अन्य स्थानों को कोविड-19 मरीज देखभाल केंद्र बनाने के लिए खोलना चाहिए।

पीठ ने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाना चाहिए क्योंकि गरीब आदमी टीके के लिए भुगतान करने में सक्षम नहीं होगा।

न्यायालय ने पूछा, ‘‘हाशिये पर रह रहे लोगों और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की आबादी का क्या होगा?क्या उन्हें निजी अस्पतालों की दया पर छोड़ देना चाहिए?’’

इसने कहा कि सरकार विभिन्न टीकों के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम पर विचार करे और उसे सभी नागरिकों को मुफ्त में टीका देने पर विचार करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र चरमराने के कगार पर है और इस संकट में सेवानिवृत्त डॉक्टरों तथा अधिकारियों को दोबारा काम पर रखा जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी टीका उत्पादकों को यह फैसला करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि किस राज्य को कितनी खुराक मिलेगी।

न्यायालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुमिता डावरा को देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर ‘पॉवर प्वाइंट’ प्रस्तुति की अनुमति दे दी।

डावरा ने कहा कि देश में चिकित्सीय ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है।

मेहता और बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने उल्लेख किया कि कोविड-19 राहत से संबंधित मामलों में सुनवाई कर रहे विभिन्न उच्च न्यायालय कड़ी टिप्पणियां कर रहे हैं जिससे लगातार काम कर रहे अधिकारियों का मनोबल गिर रहा है।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों को कड़ी टिप्पणियों से बचना चाहिए और न्यायाधीशों को कुछ न्यायिक संयम बनाकर रखना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘जब हम उच्च न्यायालय के एक फैसले की निन्दा कर रहे हैं, तब भी हम वह बात ठीक-ठीक नहीं कहते जो हमारे दिल में है और हम कुछ हद तक संयम बरतते हैं। हम केवल यह उम्मीद करेंगे कि इन मुद्दों से निपटने के लिए क्योंकि उच्च न्यायालयों को स्वतंत्रता दी गई है, कुछ कड़ी टिप्पणियों से बचा जा सकता है जो जरूरी नहीं हैं।’’

पीठ मामले में अगली सुनवाई 10 मई को करेगी।

Supreme Court
COVID-19
internet
Social Media

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License