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भारत
राजनीति
"धन्यवाद! अब टीवी वाली'आपकी अदालत' की जगह क़ानून की अदालत में होगा इंसाफ़" 
राजद्रोह मामले में केजरीवाल के समर्थक ही उनके रुख से हैरान। कन्हैया, उमर और अनिर्बान ने तंज कसते हुए दिल्ली सरकार का शुक्रिया भी अदा किया है और स्पीडी ट्रायल की मांग की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Feb 2020
kanhaiya

दिल्ली : दिल्ली सरकार ने राजद्रोह के चार साल पुराने एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी है। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस मामले में कार्यवाही अवरुद्ध करने के भाजपा के आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि बीजेपी के मुकाबले केजरीवाल का समर्थन करने वालों ने ही इस फ़ैसले को लेकर उनकी खुली आलोचना की है। और इसे बीजेपी का एजेंडा पूरा करने वाला कदम बताया है। 

उधर, कन्हैया, उमर और अनिर्बान ने भी अपने बयान जारी करके केजरीवाल सरकार पर तंज कसते हुए उसका शुक्रिया अदा किया है और जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई पूरी किए जाने की मांग की है। कन्हैया के मुताबिक "ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरूपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।" 

आप विधायक और प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली सरकार के विधि विभाग ने उचित विचार-विमर्श के बाद गृह विभाग को इस मामले में अपनी राय दी है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने 20 फरवरी को मंजूरी प्रदान की।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इसका स्वागत किया लेकिन कहा कि केजरीवाल सरकार ने मौजूदा राजनीतिक हालात के मद्देनजर शायद यह मंजूरी दी है।

भाजपा लगातार आरोप लगाती आ रही है कि आम आदमी पार्टी सरकार कन्हैया कुमार और अन्य पर अभियोजन की स्वीकृति नहीं देकर मामले में कार्यवाही को अवरुद्ध कर रही है।

हालांकि चड्ढा ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा, ‘‘दिल्ली सरकार ने नीतिगत और सैद्धांतिक तौर पर ऐसे किसी मामले में हस्तक्षेप नहीं किया और न करती है। हमारी सरकार ने पिछले पांच साल में किसी मामले में अभियोजन नहीं रोका है।’’

उन्होंने इसे पूरी तरह प्रक्रियागत विषय बताते हुए कहा कि प्रत्येक मामले के गुण-दोषों पर न्यायपालिका को ही फैसला करना चाहिए।

चड्ढा ने कहा, ‘‘सरकार ऐसे मामलों के गुण-दोषों पर फैसला नहीं करतीं।’’

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने किसी मामले में अभियोजन को नहीं रोका है जिनमें उसके खुद के विधायकों और पार्टी नेताओं से जुड़ा मामला भी है।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कन्हैया कुमार ने ट्वीट किया,

"दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते। 

दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।

— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) February 28, 2020

कन्हैया ने कहा "सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरुरत इसलिए है ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरूपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।" 

पूर्व जेएनयूएसयू अध्यक्ष ने दिल्ली पुलिस और सरकार के अधिकारियों से इस मामले को गंभीरता से लेने और न्याय करने का आग्रह किया है।

उमर खालिद ने भी अपना और अनिर्बान भट्टाचार्य का संयुक्त बयान ट्वीट किया।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली सरकार के हमारे खिलाफ राजद्रोह के मामले में अनुमति देने की खबर हमें बिल्कुल परेशान नहीं करती। हमें

अपनी बेगुनाही का पूरा भरोसा है, न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘हम अदालत में अपना बचाव करेंगे तो सत्तारूढ़ शासन के झूठों तथा राष्ट्रवादी होने के फर्जी दावों का पर्दाफाश करेंगे।’’

(1/3) Statement by Me and Anirban:

The news of Delhi govt granting sanction to sedition case against us doesn't trouble us at all. We are confident of our innocence, have full faith in the judiciary & have ourselves been demanding the case against us to be tried in the courts.

— Umar Khalid (@UmarKhalidJNU) February 28, 2020

नियमों के मुताबिक जांच एजेंसियों को राजद्रोह के मामलों में आरोपपत्र दाखिल करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होती है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 19 फरवरी को कहा था कि वह संबंधित विभाग से कन्हैया तथा अन्य पर राजद्रोह के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर त्वरित फैसला लेने को कहेंगे।

दिल्ली पुलिस ने 2016 के इस मामले में कुमार और जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत अन्य के खिलाफ पिछले साल आरोपपत्र दाखिल किया था।

पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने नौ फरवरी, 2016 को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान जुलूस निकाला और वहां कथित रूप से लगाये गये देश-विरोधी नारों का समर्थन किया था।

राजद्रोह कानून पर केजरीवाल सरकार की समझ गलत: चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कन्हैया कुमार एवं अन्य लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए शनिवार को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राजद्रोह कानून के बारे में दिल्ली सरकार की समझ गलत है।

चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘राजद्रोह कानून को लेकर दिल्ली सरकार की समझ केंद्र से कुछ कम गलत नहीं है।’’

उन्होंने कहा, '' मैं कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए और 120 बी के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दिए जाने को पुरजोर तरीके से खारिज करता हूं।''

माले ने भी की आलोचना

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने सीपीआई के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व जेएनयूएसयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य व अन्य लोगों पर दिल्ली की अरिवंद केजरीवाल सरकार द्वारा देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान करने की निंदा की है और इसे भाजपा व आरएसएस के दबाव में लिया गया फैसला बताया है।

उन्होंने कहा कि उपर्युक्त नेताओं पर कहीं से राजद्रोह का कोई भी मुकदमा नहीं बनता है। सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार हमें भारत का संविधान देता है। वास्तविकता यह है कि देश की सत्ता में बैठी सरकार ही आज संविधान की धज्जियां उड़ाने पर तुली हुई है और देश में लोकतंत्र को समाप्त कर फासीवादी शासन थोपने का सपना देख रही है। सरकार की आलोचना कहीं से भी देशद्रोह नहीं हो सकता। विरोध के स्वर को कुचलने के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है न्यायालय से सभी नेता न्यायालय से दोषमुक्त साबित होंगे।

राजनीतिक दलों के अलावा अरविंद केजरीवाल के समर्थक समझे जाने वाले बहुत से आम लोग भी उनके इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हैं और लगातार इसके विरुद्ध सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। उनके मुताबिक पहले सीएए के मुद्दे पर लगभग चुप्पी अख़्तियार करना, फिर दिल्ली हिंसा पर भी कोई स्टैंड न लेना और अब कन्हैया और उमर समेत अन्य पर इस तरह राजद्रोह के मुकदमे की अनुमति देना उनके दोहरे रवैये को उजागर कर रहा है। उनके मुताबिक केजरीवाल के इस कदम से वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।  

(कुछ इनपुट समाचार एजेंसी भाषा से)

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