NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
मिस्र में मानवाधिकार उल्लंघन के रिकॉर्ड को देख अधिकार संगठनों का अमरीका से उसकी सैन्य सहायता रोकने का आह्वान
मानवाधिकार समूहों ने बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया कि वे मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता पर मिस्र का निराशाजनक रिकॉर्ड देखते हुए उसे खुली सैन्य सहायता न दे।
पीपल्स डिस्पैच
23 Apr 2021
मिस्र में मानवाधिकार उल्लंघन के रिकॉर्ड को देख अधिकार संगठनों का अमरीका से उसकी सैन्य सहायता रोकने का आह्वान

मध्य पूर्व आई ने कल 22 अप्रैल, 2021 को सूचित किया कि 14 अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने अमेरिकी सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें मिस्र को सैन्य सहायता को रद्द करने और वहां तेजी से गिरते मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए इसे सशर्त बनाने के लिए आग्रह किया। हस्ताक्षरकर्ता में डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाउ (डीएडब्ल्यूएन), द कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे), द प्रोजेक्ट ऑन मिडिल ईस्ट डेमोक्रेसी (पोमेड) और ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) सहित अन्य संगठन शामिल हैं।

समूहों का कहना है कि "हम प्रशासन को दृढ़ता से आग्रह करते हैं कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा वैवर का उपयोग वित्तीय वर्ष 2020 के लिए मिस्र को 300 मिलियन डॉलर की विदेशी सैन्य वित्त व्यवस्था के लिए न करे,  जो मानवाधिकार मानकों को पूरा करने की शर्त पर आधारित है। इसका इशारा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिकी कांग्रेस की मिस्र को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर लगाई गईं शर्तों को नजरंदाज करने पर था।

समूह ने जो बाइडेन को उनके पिछले साल के चुनावी वादों को याद दिलाया जहाँ उन्होनें कहा था कि ट्रम्प के “पसंदीदा तानाशाह",  मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के लिए अब और खाली चेक नहीं।

मिस्र को वार्षिक अमेरिकी सैन्य सहायता लगभग 1.3 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है।

मिस्र पिछले कुछ वर्षों में अपने मानव अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता के दमन के लिए सुर्खियों में रहा है, जब 2013 के सैन्य तख्तापलट के बाद तत्कालीन सेना प्रमुख एल-सिसी ने मिस्र के पहले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सैन्यबल द्वारा कुर्सी से हटा दिया था। सिसि शासन में हजारों आलोचकों और विपक्षी सदस्यों, लेखकों, पत्रकारों, वकीलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रमुख मुस्लिम ब्रदरहुड नेताओं और सदस्यों को जेल में डाल दिया गया है।

अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में मिस्र की जेलों में 60,000 से अधिक राजनीतिक कैदी हिरासत में हैं। प्रशासन पर बार-बार यह आरोप लगता रहा है कि वे कैदियों से झूठे बयानों और दूसरों के बारे में झूटई जानकारी निकलवाने के लिए बेहद क्रूर, अमानवीय  और अत्याचारी विधियों का इस्तेमाल करता है। मानवाधिकार और प्रेस स्वतंत्रता संगठनों की हालिया रिपोर्टों ने भी देश के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर चिंता व्यक्त की है।

egypt
human rights violations
International Human Rights Organizations

Related Stories

सूडान: सैन्य तख़्तापलट के ख़िलाफ़ 18वें देश्वयापी आंदोलन में 2 की मौत, 172 घायल

ओडिशा में जिंदल इस्पात संयंत्र के ख़िलाफ़ संघर्ष में उतरे लोग

इजिप्ट : राजनीतिक क़ैदियों के समर्थन में मशहूर हस्तियों ने किया भूख हड़ताल का ऐलान

इजिप्ट की संसद ने आतंकवादी समूहों से कथित संबंधों वाले सरकारी कर्मचारियों को बर्ख़ास्त करने के लिए क़ानून पारित किया

इतिहासकार की हिरासत को लेकर व्यापक आलोचना के बाद इजिप्ट ने ज़मानत पर रिहा किया

ईजिप्ट की आयरन एंड स्टील कंपनी बेचने का विरोध करने पर कर्मचारियों से सख़्ती

युद्धविराम की घोषणा के बाद गाज़ा में इज़रायली हमले समाप्त

ईजिप्ट : पुलिस स्टेशन पर 2013 के हमले के मामले में एक ही दिन में 17 लोगों को फांसी

ईजिप्ट के मशहूर पत्रकार ख़ालिद दाऊद 18 महीने की हिरासत के बाद रिहा

जॉर्डन में तख़्तापलट की कोशिशों ने छोड़े सबूत


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License