NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
नज़रिया
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
शाहीनबाग़ : ये तो होना ही था, लेकिन ये क्यों हुआ?
शाहीनबाग़ खाली करा लिया गया है। दूसरे धरने भी हटा दिए गए हैं। ये सब देखते-सोचते खुद से सवाल करता हूं कि क्या वाकई सबको वक़्त की नज़ाकत नहीं समझनी चाहिए! हां, सबको...
मुकुल सरल
24 Mar 2020
shaheen bagh

शाहीन बाग़ वाले मान क्यों नहीं रहे? ऐसे संकट में उन्हें खुद मान जाना चाहिए था। अब पुलिस को तो ये कार्रवाई करनी ही थी।

धरना पहले ही स्थगित कर देना चाहिए था। सबको वक़्त की नज़ाकत समझनी चाहिए। कोरोना वायरस बड़ी तेज़ी से फैल रहा है।

धरने से जुड़े लोग और बाहर से समर्थन दे रहे तमाम लोग भी कई दिनों से यही सलाह दे रहे थे कि कोरोना महामारी के इस काल में समझदारी इसी में है कि धरना-प्रदर्शन स्थगित कर दिया जाए। और अब इससे ज़्यादा इसका कुछ हासिल नहीं। देश-दुनिया को एक संदेश जाना था, चला गया। इस संकट के बाद कुछ नये तरीके अपनाने होंगे आंदोलन के।

शाहीन बाग़ को पुलिस द्वारा खाली कराने की ख़बर सुनकर पहले-पहल यही सोचता हूं। हालांकि जानता हूं कि धरने पर अब कुछ गिने-चुने 10-12 लोगों के अलावा कोई बचा नहीं था। सबने संकट समझते हुए जनहित में पहले ही दूरी बना ली थी। ‘जनता कर्फ़्यू’ के दिन भी एक-दो महिलाओं के अलावा कोई नहीं था। हां, बस हाज़िरी के लिए महिलाएं अपनी चप्पल छोड़ गईं थी।

IMG_20200322_124601.jpg

रविवार को 'जनता कर्फ्यू' के दौरान शाहीन बाग़ धरना स्थल।

लखनऊ के घंटाघर और उजरियां में भी महिलाओं ने यही किया। सोमवार को धरना स्थगित करते हुए अपने दुपट्टे और चप्पल छोड़ गईं, ताकि सनद रहे...कि धरना ख़त्म नहीं हुआ है, स्थगित हुआ है, कि संघर्ष अभी जारी है।

a95d2758-38bc-4915-8a45-62336920baa0.jpg

लखनऊ घंटाघर पर अब महिलाओं की जगह उनके दुपट्टे धरने पर हैं।

ये सब सोचते-देखते फिर खुद से सवाल करता हूं कि क्या वाकई सबको वक़्त की नज़ाकत नहीं समझनी चाहिए!

क्या बहुसंख्यकों ने अल्पसंख्यकों के नागरिकता के संकट को समझा?

क्या सरकार ने वक़्त की नज़ाकत समझी?

क्या दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक मेडिकल टीम भेजकर प्रदर्शनकारी महिलाओं को समझाया कि इस वक़्त आपका इस तरह यहां बैठना कितना ख़तरनाक हो सकता है।

क्या केंद्र की मोदी सरकार ने एक बार भी CAA-NPR-NRC पर पुनर्विचार का आश्वासन दिया। सिर्फ एक बार...एक आश्वासन... कि हां, फिर सोचेंगे। बात करेंगे।

क्या प्रधानमंत्री ने कभी देश के नाम संबोधन या ‘मन की बात’ में इन आंदोलनकारियों और उनकी मांगों या चिंताओं की बात की? उन्होंने तो दंगा पीड़ितों के लिए भी एक शब्द नहीं बोला।

क्या गृहमंत्री ने अपनी पुलिस भेजने से पहले बातचीत करना ज़रूरी समझा। आप तो समय देकर भी मुकर गए।

क्या शाहीन बाग़ इस देश का हिस्सा नहीं है!

क्या देशभर के शाहीनबाग़ देश का हिस्सा नहीं हैं। क्या यहां सर्दी-बारिश-तूफान में धरने पर बैठी महिलाएं हमारी मां-बहनें नहीं हैं।

क्या इस आंदोलन में शामिल अन्य लोग इस देश के लोग नहीं हैं।

क्या नागरिकता का संकट हमारा संकट नहीं है।

क्या सीएए में कुछ ग़लत नहीं। क्या सीएए संविधान की मूल भावना और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के ख़िलाफ़ नहीं। क्या संविधान हमारा नहीं। क्या उसपर हुए हमले के ख़िलाफ़ हम नहीं लड़ेंगे।

क्या एनपीआर के नये नियम हम सबको ख़तरें में नहीं डालेंगे। क्या संभावित एनआरसी हमें अपने देश से बेदख़ल नहीं करेगी। क्या ये देश हमारा नहीं। क्या एनआरसी, कोरोना से कम बड़ा संकट है।

चलो मान लिया कि कोरोना वाकई बड़ा संकट है। वैश्विक संकट। इसमें साफ-सफाई बहुत ज़रूरी है। सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी बहुत ज़रूरी है। सेल्फ आइसोलेशन ज़रूरी है। बाहर नहीं निकलता हैं। अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए घरों में सुरक्षित ढंग से रहना ज़रूरी है।

लेकिन क्या अब सरकार इसी ज़रूरत को ध्यान में रखकर शाहीन बाग़ की तर्ज़ पर बेघर, सड़कों पर सोने वाले, दंगा राहत शिविर में रहने वाले गरीब-मजबूर लोगों को भी भगाएगी? और कहां भगाएगी या लेकर जाएगी! कहां हैं उनके घर? उन्हें किस घर, होटल या आश्रम में शरण दी जाएगी। कहां, खाना-पानी, इलाज मिलेगा? कहां? और इनको ही नहीं, उन दिहाड़ी मज़दूरों को भी जो रोज़ कमाकर खाते हैं। जो ठेली लगाते हैं, रेहड़ी लगाते हैं। आपने आनन-फानन में जनता कर्फ्यू और उसके तुरंत बाद लॉकडाउन तो कर दिया। लेकिन इन लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। आपने किस राहत पैकेज का ऐलान किया? कुछ राज्य सरकारों ने किया है, लेकिन इतनी देर से और वो भी बंद की घोषणा के साथ कि लोगों तक अब राहत पहुंचना भी आसान नहीं।

और वो मिडिल क्लास भी क्या कम परेशान है जिसे हेल्पलाइन नंबर पर भी हेल्प नहीं मिल रही। नंबर मिलाने पर मिलता है एक और नया नंबर।

बताइए सरकार अब तो हमने आपके कहने से घरों में बंद रहकर ताली-थाली, घंटे-घड़ियाल सब बजा लिए अब तो आप बताइए आपकी क्या व्यवस्था है? राशन-पानी की, मास्क की, सैनेटाइज़र की, जांच की, इलाज़ की, अस्पताल की? हमारी न सुनो तो सरकारी डॉक्टरों की ही सुन लीजिए।

90710737_2795312993919675_6337609594008764416_o.jpg

इसे भी पढ़िए : क्या स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के बिना कोरोना से लड़ाई जीत पाएंगे?

Shaheen Bagh
CAA Protest over
delhi police
Coronavirus
COVID-19
health care facilities
government hospital
Public Health Care
Coronavirus Epidemic
Ministry of Health and Family Welfare
CAA
NRC
Lucknow Ghantaghar Protest

Related Stories

शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे

मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ अमन का संदेश देने के लिए एकजुट हुए दिल्ली के नागरिक

दिल्ली: कोविड वॉरियर्स कर्मचारियों को लेडी हार्डिंग अस्पताल ने निकाला, विरोध किया तो पुलिस ने किया गिरफ़्तार

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है

सड़क पर अस्पताल: बिहार में शुरू हुआ अनोखा जन अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जनता ने किया चक्का जाम

दिल्ली: प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर पुलिस का बल प्रयोग, नाराज़ डॉक्टरों ने काम बंद का किया ऐलान


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License