NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
साइबेरियन हीट वेव की घटना मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन का एक जीता-जागता नमूना है
जनवरी और जून 2020 के बीच में साइबेरियाई क्षेत्र में अनापेक्षित तौर पर उच्च तापमान के चलते भरभराकर कई अन्य आपदाएं देखने को मिली हैं, जिनमें प्राकृतिक एवं मानव निर्मित दोनों ही आपदाएं शामिल हैं। इसे देखते हुए रुसी राष्ट्रपति को जून की शुरुआत में आपातकाल तक की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
संदीपन तालुकदार
25 Jul 2020
Man-Made Climate Change
चित्र मात्र प्रतिनिधित्व हेतु. सौजन्य: द फाइनेंसियल एक्सप्रेस

जलवायु परिवर्तन से इंकार करने वाले चाहे जितना मर्जी हकीकत से दूर भागने की कोशिश करें लेकिन जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता पिछले कुछ समय से अपना असर दिखा रही है। सीबेरियाई गर्म हवा के थपेड़े इसके ताजातरीन उदाहरण के तौर पर देखे जा सकते हैं।

इस साल रुसी शहर व्हेरखोयांस्क में जून के महीने में 38 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ है जो कि निश्चित तौर पर उत्तरी आर्कटिक ध्रुव की परिधि में दर्ज किया गया अब तक का सबसे उच्च तापमान है। इसके साथ ही रुसी क्षेत्र में भी इस साल के जनवरी से जून के बीच में औसत से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया है।

साइबेरियाई क्षेत्र में अनपेक्षित तौर पर उच्च तापमान बने रहने की वजह से भरभराकर कई अन्य आपदाएं देखने को मिली हैं, जिनमें प्राकृतिक एवं मानव निर्मित दोनों ही आपदाएं शामिल हैं। इसे देखते हुए रुसी राष्ट्रपति को जून की शुरुआत में आपातकाल तक की घोषणा के लिए मजबूर होना पड़ा था।
 
हीट वेव के चलते आर्कटिक के जंगलों में आग लगने की घटनाओं को जन्म दिया है, जो कि इतनी भयावह थी कि एक अनुमान के अनुसार तकरीबन 56 मेगाटन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है। इसके साथ ही मई के महीने में रुसी शहर नोरिल्स्क में एक 20,000 टन डीजल के भण्डारण के ढहने और शहर में छलक कर फैलने की भी खबर है।

साइबेरियाई गर्म हवा के थपेड़े मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन की वजह से घटित हो रहे हैं
मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के बिना साइबेरियाई क्षेत्र में इतने अभूतपूर्व स्तर पर गर्म हवाओं की लहर के उत्पन्न होने की संभावना ना के बराबर है। यह निष्कर्ष एक अध्ययन के आधार पर आये हैं, जिसमें यूके के मौसम विभाग के नेतृत्व में जलवायु वैज्ञानिकों की एक टीम शामिल थी।

“उनके विश्लेषण से यह पता चला है कि इस साल साइबेरिया में जिस प्रकार जनवरी से लेकर जून तक लम्बी अवधि के दौरान गर्मी की स्थिति बनी रही, यह 80,000 वर्षों में बिना इंसानी हस्तक्षेप के एक बार से कम घटित होने वाली घटना है। एक ऐसे जलवायु में जो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से गर्म न हुआ हो ऐसा होना पूरी तरह से असम्भ्व है” इस अध्ययन के बारे में यूके मौसम विभाग की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है।

वास्तव में यह सब बेहद चिंताजनक है और वैश्विक स्तर पर तत्काल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती किये जाने की जरूरत को दर्शाता है। यह एक निर्विवाद सत्य के तौर पर भी इस बात को रेखांकित करता है कि दरअसल मानव निर्मित कारणों के चलते हो रहे जलवायु परिवर्तन से पूरे ग्रह पर भारी असर पड़ रहा है।

यह अध्ययन एक आरोपण अध्ययन के तौर पर था, इस प्रकार के अध्ययन में इस बात का पता लगाने की कोशिश की जाती है कि कैसे मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन, मौसम की घटनाओं में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। मौसम विभाग के प्रोफेसर पीटर स्कॉट के अनुसार यह अध्ययन आजतक के किसी भी आरोपण अध्ययन के सबसे मजबूत परिणामों को दर्शाता है।

आर्कटिक के बारे में भी अनुमान है कि यह क्षेत्र वैश्विक औसत की तुलना में दुगुनी रफ्तार से गर्म हो रहा है। अनुमान कहते हैं की 1850 के बाद से आर्कटिक के तापमान में जहाँ 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी देखी गई है, वहीं वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी 1 डिग्री सेल्सियस ही रही है।

कैसे आर्कटिक की घटनाओं ने अन्य क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित किया है

वैश्विक जलवायु जटिल तौर से आपस में जुडी हुई है और भले ही किसी स्थान का ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में योगदान न के बराबर हो लेकिन कोई भी स्थान वैश्विक जलवायु में बदलाव की मार से खुद को नहीं बचाए रख सकता है। आर्कटिक क्षेत्र में आये इस व्यापक बदलाव से दुनिया के कई हिस्सों पर असर पड़ना लाजिमी है।

एक अन्य अध्ययन के निष्कर्षों में निकलकर सामने आया है कि आर्कटिक क्षेत्र में आये परिवर्तनों के कारण ही यूके में श्रृंखलाबद्ध तरीके से चरम मौसम के हालात बन रहे हैं। उदाहरण के लिए 2018 की सर्दियों को ले सकते हैं जब कुछ जगहों पर सामान्य से परे भारी पैमाने पर बर्फबारी देखने को मिली थी। ऐसा देश भर में आर्कटिक हवा के बहाव के चलते हुआ था। इस तूफ़ान से व्यापक तबाही और मौतें देखने को मिली थीं।

अध्ययन के मुताबिक इस साल फरवरी में जो बाढ़ देखने को मिली, वह भी आर्कटिक में आये बदलावों का ही नतीजा थी और पीछे 2015 में भी जो घटित हुआ, वह भी इसी की देन थी।
यूके का मौसम और आर्कटिक के बीच का लिंक जेट स्ट्रीम है। जेट स्ट्रीम वायुमंडल में एक तेजी से चलने वाली हवा को कहते हैं, और इसे वातावरण के उपर एक रिबन के तौर पर समझ सकते हैं। जेट स्ट्रीम भी दुनियाभर में मौसम प्रणालियों को प्रभावित करता है।

जहाँ आर्कटिक शेष विश्व की तुलना में दुगुनी रफ्तार से गर्माता जा रहा है, ऐसे में यह बदलाव केवल साइबेरिया या रूस के अन्य हिस्सों या ब्रिटेन तक ही सीमित रहने वाला नहीं है। ग्लोबल वार्मिंग के रूप में यह मुख्य तौर पर मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन को प्रकट कर रहा है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Siberian Heat Wave: A Living Example of Man-Made Climate Change

Arctic Heat Wave.
Vharkhoyansk High Temperature
Jet Stream
Attribution Study of UK Met office
climate change

Related Stories

संयुक्त राष्ट्र के IPCC ने जलवायु परिवर्तन आपदा को टालने के लिए, अब तक के सबसे कड़े कदमों को उठाने का किया आह्वान 

जलवायु शमन : रिसर्च ने बताया कि वृक्षारोपण मोनोकल्चर प्लांटेशन की तुलना में ज़्यादा फ़ायदेमंद

अगले पांच वर्षों में पिघल सकती हैं अंटार्कटिक बर्फ की चट्टानें, समुद्री जल स्तर को गंभीर ख़तरा

धरती का बढ़ता ताप और धनी देशों का पाखंड

क्या इंसानों को सूर्य से आने वाले प्रकाश की मात्रा में बदलाव करना चाहिए?

अमीरों द्वारा किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन से ख़तरे में "1.5 डिग्री सेल्सियस" का लक्ष्य

जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट : अमीर देशों ने नहीं की ग़रीब देशों की मदद, विस्थापन रोकने पर किये करोड़ों ख़र्च

आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे

जलवायु परिवर्तन से 1 दशक से कम समय में नष्ट हो गए दुनिया के 14% कोरल रीफ़ : अध्ययन

ग्लोबल वार्मिंग के दौरान कई जानवर अपने आकार में बदलाव कर रहे हैं


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License