NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
रवि कौशल
20 May 2022
wheat

धर्मपाल शील के गेंहू की खेती में आई लागत और उसके बनिस्बत कम पैदावार को लेकर उधेड़बुन में हैं। इस साल उनके चार एकड़ में लगी गेंहू की पैदावार पिछले सीजन के 72 क्विंटल की तुलना में 54 क्विंटल ही हुआ है। इस कम पैदावार की वजह मार्च-अप्रैल से ही उत्तर और मध्य भारत में पड़ने वाली भयानक गर्मी रही है। गर्म हवाओं ने गेहूं के दाने को तभी झुलसा दिया, जब वह कच्चे ही थे।

शील पंजाब में पटियाला के किसान हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि फसल के नुकसान का सबसे बुरा असर छोटे और सीमांत किसानों पर पड़ता है, जो फसल के नुकसान की भरपाई करने में लाचार होते हैं। उन्होंने कहा, "पंजाब के मालवा क्षेत्र के किसानों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। हालांकि सूबे के किसान केंद्रीय पूल में अपना योगदान दे रहे हैं क्योंकि उन्हें एक स्थिर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिला हुआ है। इस साल भी, जब रूस-यूक्रेन युद्ध ने उत्पादन पर संकट बढ़ाया, तो मुख्य रूप से बड़े किसानों ने इस मौके पर अकूत मुनाफा कमाया क्योंकि उनके पास अनाज का स्टॉक करने की क्षमता और संसाधन थे। फसल बर्बाद होने के कारण मुझे व्यक्तिगत रूप से 50,000 रुपये का नुकसान हुआ है। हमारा संगठन नुकसान की भरपाई के लिए कुछ बोनस पाने के लिए पंजाब सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।"

अत्यधिक गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसल को भारी नुकसान हुआ है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि देश इस सीजन में रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन करेगा, जबकि वास्तविक रूप से 103.88 मिलियन टन गेहूं का ही उत्पादन होगा। हालांकि, हीटवेव के बाद इन अनुमानों को संशोधित कर उसे 105 मिलियन टन कर दिया गया था।

किसानों का मानना है कि भीषण गर्मी के अलावा सरकार की उदासीनता ने भी उनकी हालत और पस्त कर दी है। इस बारे में मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के एक किसान कैलाश चंद वर्मा का कहना है कि पैदावार में औसत हानि 22 फीसदी से 25 फीसदी के बीच हुई है। फसल लगी होने के दौरान बिजली संकट ने तो उनके लिए हालात को और बद्तर बना दिया है। सीहोर उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं उत्पादन का केन्द्र है।

न्यूज़क्लिक से फोन पर बात करते हुए वर्मा ने कहा कि फसल को जब पानी दिए जाने की दरकार थी तब बिजली की आपूर्ति सही और सुचारू नहीं थी। उन्होंने कहा “बिजली की औसत आपूर्ति आठ घंटे तक ही थी, वह भी चार-चार घंटे के दो अंतराल में मिलती थी। अगर मेरे पास एक नलकूप और तीन आश्रित परिवार हैं, तो वे हमारी फसलों को पानी देने के लिए उसके मुताबिक ही दिन तय करेंगे। अगर कोई अपनी बारी बिजली आपूर्ति न होने के कारण चूक गया तो पूरा चक्र ही अस्त-व्यस्त हो जाता है और हरेक को नुकसान उठाना पड़ता है।"

देश के किसान संगठन फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं बोनस की मांग कर रहे हैं। किसान मोर्चा की पंजाब इकाई ने दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष की तर्ज पर चंडीगढ़ में एक संघर्ष छेड़ा है ताकि भगवंत मान सरकार पर उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया जा सके।

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के अध्यक्ष अशोक धावले का मानना है कि किसानों को फसल के नुकसान और इनपुट की लागत में भारी वृद्धि के कारण बोनस दिया जाना चाहिए। उन्होंने न्यूज़क्लिक से फोन पर बात करते हुए कहा कि किसानों की लगातार शिकायत है कि उन्हें उचित मूल्य नहीं मिला है क्योंकि व्यापारी पंजाब और हरियाणा में अपने समकक्षों के समान गेहूं की कीमत का भुगतान करने में हिचक रहे थे।

राष्ट्रीय परिदृश्य के बारे में बात करते हुए एआईकेएस नेता ने कहा कि सरकारी एजेंसियां पर्याप्त संख्या में खरीद केंद्र नहीं खोल रही हैं, इसलिए किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो कम उत्पादन की और दूसरे निराशाजनक खरीद व्यवस्था की। उन्होंने कहा, “इसलिए, किसान अपनी पैदावार की संकटग्रस्त (मजबूरी में) बिक्री करने पर मजबूर हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप पैदावार पर लागत की तुलना में कम कमाई होती है। इसलिए यह बोनस उन किसानों को भी दिया जाना चाहिए, जिन्होंने पहले ही अपना गेहूं सरकारी एजेंसियों को बेच दिया है।”

धावले ने आगे कहा,“अधिकांश गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में झुलसा देने वाली गर्मी और लू चलने के कारण इस सीजन में किसानों की पैदावार में 20 से 25 फीसदी तक की गिरावट आई है, जिससे किसानों को भारी घाटा हुआ है। इसके बावजूद मोदी सरकार ने इस साल 44.4 मिलियन टन गेहूं के घोषित कोटे का आधा भी अधिग्रहण नहीं किया है। अगर सरकारी एजेंसियां गेहूं की लक्षित मात्रा की खरीद के लिए आगे नहीं आती हैं, तो निकट भविष्य में खाद्य असुरक्षा और गेहूं के आटे और अन्य अनाज की कीमत में भारी वृद्धि होगी।"

धावले ने कहा,"स्थिति का लाभ उठाते हुए, निजी व्यापारी और कॉर्पोरेट कंपनियां जमाखोरी और मुनाफाखोरी के लिए बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदने में लगे हैं। दूसरी ओर, व्यापारी गेहूं के आटा की कीमत बढ़ा रहे हैं और इस तरह ब्लैक मार्केटिंग के माध्यम से जबरदस्त मुनाफाखोरी के साथ स्थिति का लाभ उठा रहे हैं। सरकारी एजेंसियों के हाथ खींचने के साथ, मोदी सरकार कृषि बाजार पर कब्जा करने के लिए निजी व्यापारियों और बड़ी खाद्य कॉर्पोरेट कंपनियों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इस प्रकार कृषि के कॉर्पोरेट अधिग्रहण को सुविधाजनक बनाने का वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है।"

पत्र सूचना कार्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने इस सीजन में 14 मई तक 180 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली है।

धावले ने कहा कि सरकार ने गेहूं के निर्यात की अनुमति देते समय घरेलू जरूरतों का थाह नहीं लगाया था। उन्होंने कहा,“मोदी सरकार हाल के वर्षों में गेहूं निर्यात को बढ़ावा दे रही है। वर्ष 2020-21 में गेहूं का निर्यात 21.55 लाख टन था, जबकि 2021-22 में इसे बढ़ाकर 72.15 लाख टन कर दिया गया था। इस नीति ने घरेलू खाद्य भंडार पर प्रतिकूल असर डाला था,  और गेहूं के भंडार की कमी के कारण, सरकार को उन क्षेत्रों में चावल वितरित करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां पहले गेहूं वितरित किया गया था। सरकार अनिश्चित स्थिति का प्रबंधन करने में असमर्थ है, और किसानों के संकट में व्यापक बिक्री करने से लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा के नष्ट होने का खतरा पैदा हो जाएगा।"

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें

Small, Marginal Farmers Worst hit by Heatwave, Farm Unions Demand Rs 500 Bonus/Quintal for Wheat

Wheat Production
Wheat procurement
MSP
heatwave
Wheat Export
Wheat Price
AIKS
farmers protest

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

मज़दूर वर्ग को सनस्ट्रोक से बचाएं

अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार


बाकी खबरें

  • Taliban
    स्टीफन नेस्टलर
    तालिबान: महिला खिलाड़ियों के लिए जेल जैसे हालात, एथलीटों को मिल रहीं धमकियाँ
    27 Apr 2022
    तालिबान को अफ़गानिस्तान पर नियंत्रण किए हुए आठ महीने बीत चुके हैं और इतने समय में ही ये देश समाचारों से बाहर हो गया है। ओलिंपिक में भाग लेने वाली पहली अफ़गान महिला फ्रिबा रेज़ाई बड़े दुख के साथ कहती हैं…
  • modi
    न्यूज़क्लिक टीम
    100 राजनयिकों की अपील: "खामोशी से बात नहीं बनेगी मोदी जी!"
    27 Apr 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार डिप्लोमैट्स द्वारा प्रधानमंत्री को लिखी गयी चिट्ठी पर बात कर रहे हैं।
  • Stan swamy
    अनिल अंशुमन
    ‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण
    27 Apr 2022
    ‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’ पुस्तक इस लिहाज से बेहद प्रासंगिक है क्योंकि इसमें फ़ादर स्टैन स्वामी द्वारा सरकारों की जन-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ लिखे गए चर्चित निबंधों का महत्वपूर्ण संग्रह किया गया है…
  • SHOOTING RANGE
    रवि शंकर दुबे
    लखनऊ: अतंर्राष्ट्रीय शूटिंग रेंज बना आवारा कुत्तों की नसबंदी का अड्डा
    27 Apr 2022
    राजधानी लखनऊ में बने अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग रेंज को इन दिनों आवारा कुत्तों की नसबंदी का केंद्र बना दिया गया है, जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License