NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भाजपा सरकार ने संशोधित कानून से सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता की बलि चढ़ा दी: सोनिया
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार कानून में संशोधनों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने यह दावा भी किया कि अब मोदी सरकार अपनी चापलूसी करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगी और अपनी जवाबदेही से बच जाएगी।
भाषा
31 Oct 2019
sonia gandhi
Image courtesy: Google

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार कानून में संशोधनों को लेकर बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि इस सरकार ने एजेंडे के तहत संशोधित कानून के माध्यम से सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता की बलि चढ़ा दी।

उन्होंने यह दावा भी किया कि अब मोदी सरकार अपनी चापलूसी करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगी और अपनी जवाबदेही से बच जाएगी।

सोनिया ने एक बयान में कहा, ‘कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार की सबसे गौरवशाली उपलब्धियों में से एक सूचना का अधिकार कानून था जो 2005 में बना था। इस ऐतिहासिक कानून ने सूचना आयोग जैसी संस्था को जन्म दिया, जिसने पिछले 13 साल में प्रजातंत्र के मायने बदलकर शासन तथा प्रशासन में पारदर्शिता लाने एवं सरकारों की आम जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने का काम किया।’

उन्होंने कहा, ‘आरटीआई कानून ने सरकार एवं नागरिकों के बीच उत्तरदायित्व एवं जिम्मेदारी का सीधा संबंध स्थापित किया तथा भ्रष्टाचारी आचरण पर निर्णायक प्रहार भी किया। पूरे देश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के उन्मूलन, सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता के आकलन तथा नोटबंदी और चुनाव जैसी प्रक्रियाओं की कमियों को उजागर करने के लिए इस कानून का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।’

मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मोदी सरकार आरटीआई की संस्था को अपने निरंकुश एजेंडा को लागू करने में एक बड़ी अड़चन के तौर पर देखती आई है। यह कानून जवाबदेही मांगता है और भाजपा सरकार किसी भी तरह के जवाब देने से साफ-साफ गुरेज करती आई है।’

उन्होंने दावा किया, ‘इसीलिए भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में एक एजेंडा के तहत केंद्र और राज्यों में बड़ी संख्या में सूचना आयुक्तों के पद रिक्त पड़े रहे। यहां तक कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी दस महीने तक खाली रहा। इसके पीछे मोदी सरकार का लक्ष्य आरटीआई कानून को प्रभावहीन एवं दंतविहीन करना था।’

सोनिया ने आरोप लगाया, ‘भाजपा सरकार ने अब आरटीआई कानून पर अपना निर्णायक प्रहार भी कर दिया है। इस कानून की प्रभावशीलता को और अधिक कमजोर करने के लिए मोदी सरकार ने ऐसे संशोधन पारित किए हैं, जो सूचना आयुक्तों की शक्तियों को संस्थागत तरीके से कमजोर करके उन्हें सरकार की अनुकंपा के अधीन कर देंगे। लक्ष्य साफ है कि सूचना आयुक्त सरकारी अधिकारियों की तरह काम करके सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित न कर पाएं।’

उन्होंने कहा, ‘सूचना आयुक्तों के पद का कार्यकाल केंद्र सरकार के निर्णय के अधीन करते हुए पाँच से घटाकर तीन साल कर दिया गया है। 2005 के कानून के तहत उनका कार्यकाल पूरे पाँच साल के लिए निर्धारित था, ताकि वह सरकार और प्रशासन के हस्तक्षेप एवं दबाव से पूरी तरह मुक्त रहें। लेकिन संशोधित क़ानून में उनकी स्वायत्तता की पूरी तरह बलि दे दी गई है।’

सोनिया ने दावा किया कि सरकार के खिलाफ सूचना जारी करने वाले किसी भी सूचना अधिकारी को अब तत्काल हटाया जा सकता है या फिर पद से बर्खास्त किया जा सकता है। इससे केंद्र और राज्य के सभी सूचना आयुक्तों का अपने कर्तव्य का निर्वहन करने तथा सरकार को जवाबदेह बनाने का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘दूसरा संशोधन के तहत सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्तों और शर्तों के नियम केंद्र सरकार द्वारा नए सिरे से तय किए जाएंगे। दूसरे शब्दों में कहें, तो उनके वेतन और भत्तों को मोदी सरकार की इच्छानुसार कम-ज्यादा किया जा सकेगा।’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इन महत्वपूर्ण पदों के कार्यकाल और भत्तों को कम करने का अधिकार अपने हाथ में लेकर मोदी सरकार ने सुनिश्चित कर दिया है कि कोई भी वरिष्ठ स्वाभिमानी अधिकारी इस तरह के तनावपूर्ण एवं निगरानी भरे वातावरण में काम करना स्वीकार ही नहीं करेगा। इन संशोधनों के बाद कोई भी सूचना आयुक्त मोदी सरकार के हस्तक्षेप और निर्देशों से बचा नहीं रह सकेगा।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘इसके द्वारा मोदी सरकार अपने इशारों पर काम करने वाले अधिकारियों को जब तक चाहे, जैसे चाहे, नियुक्त कर सकेगी। वे मजबूरी में सरकार की चापलूसी के लिए काम करेंगे और जिन प्रश्नों के उत्तर सरकार नहीं देना चाहेगी, उन पर मौन साध लेंगे।’

सोनिया ने कहा, ‘हमने संसद में इन संशोधनों का विरोध किया है और आगे भी इनके खिलाफ लड़ते रहेंगे। हम अपने लोकतांत्रिक संस्थानों पर इस षडयंत्रकारी हमले की कड़ी निंदा करते हैं और देश के कल्याण के विपरीत लिए जा रहे भाजपा सरकार के निर्णयों तथा निरंकुश एवं तानाशाही गतिविधियों का निरंतर विरोध करते रहेंगे।’

sonia gandhi
Congress
BJP
RTI
Narendera Modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • language
    न्यूज़क्लिक टीम
    बहुभाषी भारत में केवल एक राष्ट्र भाषा नहीं हो सकती
    05 May 2022
    क्या हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना चाहिए? भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से लेकर अब तक हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की जद्दोजहद कैसी रही है? अगर हिंदी राष्ट्रभाषा के तौर पर नहीं बनेगी तो अंग्रेजी का…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    "राजनीतिक रोटी" सेकने के लिए लाउडस्पीकर को बनाया जा रहा मुद्दा?
    05 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार सवाल उठा रहे हैं कि देश में बढ़ते साम्प्रदायिकता से आखिर फ़ायदा किसका हो रहा है।
  • चमन लाल
    भगत सिंह पर लिखी नई पुस्तक औपनिवेशिक भारत में बर्तानवी कानून के शासन को झूठा करार देती है 
    05 May 2022
    द एग्ज़िक्युशन ऑफ़ भगत सिंह: लीगल हेरेसीज़ ऑफ़ द राज में महान स्वतंत्रता सेनानी के झूठे मुकदमे का पर्दाफ़ाश किया गया है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    गर्भपात प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट के लीक हुए ड्राफ़्ट से अमेरिका में आया भूचाल
    05 May 2022
    राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अगर गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाला फ़ैसला आता है, तो एक ही जेंडर में शादी करने जैसे दूसरे अधिकार भी ख़तरे में पड़ सकते हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि
    05 May 2022
    हाल के एक आकलन में कहा गया है कि 2017 और 2021 की अवधि के बीच हर साल एचसीएफसी-141बी का उत्सर्जन बढ़ा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License