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कोहली बनाम गांगुली: दक्षिण अफ्रीका के जोख़िम भरे दौरे के पहले बीसीसीआई के लिए अनुकूल भटकाव
दक्षिण अफ्रीका जाने के ठीक पहले सौरव गांगुली बनाम विराट कोहली की टसल हमारी टीवी पर तैर रही है। यह टसल जितनी वास्तविक है, यह इस तथ्य पर पर्दा डालने के लिए भी मुफ़ीद है कि भारतीय टीम ऐसे देश का दौरा कर रही है, जहां कोविड-19 का ओमिक्रॉन वेरिएंट तबाही मचा रहा है।
लेस्ली ज़ेवियर
19 Dec 2021
ganguli and kohli

विराट कोहली दुखी हैं। सौरव गांगुली हैरान हैं। भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों में विभाजन हो चुका है। दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई का आधिकारिक वक्तव्य जारी करने वाला तंत्र शांत है। यह बोर्ड के अंदर मचे घमासान से बेखबर नजर आ रहा है। सूत्र अज्ञात हैं, लेकिन काफ़ी मुखर हैं। इससे ज़्यादा हमें क्या चाहिए? यहां मनचाही स्क्रिप्ट (कोहली बनाम गांगुली) टेलीविजन स्क्रीन पर चल रही है, जिसके एपिसोड हमारी खपत के लिए परोसे जा रहे हैं। अगर आप इसे पूरा चबा लेंगे, तो अपच हो जाएगा (खेल की राजनीति को पचाना थोड़ा मुश्किल होता है), अगर आप इसे बाहर उगल देते हैं, तो आपसे बहुत कुछ छूट जाएगा। आखिर आप 2011 में महेंद्र सिंह धोनी द्वारा वर्ल्ड कप उठाने के बाद से हमारी क्रिकेट में हो रही सबसे बड़ी चीज पर बिना टिप्पणी किए हुए कैसे रह सकते हैं। 

शायद कोहली के नेतृत्व का बिना जश्न के खात्मा, धोनी के वर्ल्ड कप जीतने से बड़ा है। कम से कम ऐसा दिख तो रहा है, क्योंकि हर जगह से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। और भारतीय क्रिकेट में इन दो बड़ी घटनाओं के बीच कोहली कोई भी वैश्विक ट्रॉफी नहीं जीत पाए, जबकि उनके पास ऐसे खिलाड़ी हैं, जो क्रिकेट में 2000 के दशक की ऑस्ट्रेलिया या 1970 के दशक की वेस्टइंडीज़ टीम की तरह एकाधिकार जमाने का माद्दा रखते हैं। हां, यह जरूर है कि कोहली भारत के लिए अब तक के सबसे बेहतरीन टेस्ट कप्तान हैं, लेकिन यह सिर्फ़ वक़्त की ही बात है। 

वक़्त और ऐन वक़्त का क्रिकेट में बड़ा खेल है। कोहली के पास बतौर बल्लेबाज यह कला मौजूद है। गांगुली के पास यह थोड़ा ज़्यादा है। आखिर बीसीसीआई के तख़्त पर उनका काबिज होना महज़ संयोग तो हो नहीं सकता। बस गांगुली सही जगह पर, सही वक़्त पर अपनी मौजूदगी दर्शा देते हैं। देखिए, वे एक बड़े मैच के खिलाड़ी हैं। 

फिर यह कोहली-गांगुली के बीच चल रहा ड्रामा भी सही वक़्त पर लिए गए फ़ैसलों के बारे में है। भारत, ओमिक्रॉन से प्रभावित दक्षिण अफ्रीका में दौरे के लिए जा रहा है, जहां एक मैच जोहांसबर्ग के वांडरर्स में होगा, जो ओमिक्रॉन का मुख्य गढ़ है। क्रिकेट के विश्लेषकों को उस जोख़िम के बारे में चर्चा करनी चाहिए, जो बीसीसीआई अपने खिलाड़ियों को दक्षिण अफ्रीका भेजने के लिए ले रहा है। लेकिन इसके बजाए यह लोग एक बिल्कुल सही भटकाव पर चर्चा कर रहे हैं। 

यह ऐसा दर्शाने की कोशिश नहीं है कि बीसीसीआई जबरदस्ती कुछ धुंआ बना रही है। कोहली बनाम गांगुली की टसल बिल्कुल वास्तविक है। यहां समस्या हम जनता के साथ है। हम लगातार सही सवाल पूछने में नाकामयाब रहे हैं और जो लोग ताकतवर स्थिति में होते हैं, उन्हें कहानी बनाकर, आग लगाकर, बिना अपने चुनावी वायदों को पूरा किए जाने का रास्ता दे देते हैं। क्रिकेट उन ताकतवर और ज़्यादा खतरनाकर उपकरणों के आगे कुछ नहीं है। लेकिन हम उन वास्तविकताओं से अपना ध्यान चुरा लेते हैं और भारतीय क्रिकेट टीम की जीत पर, या फिर हार की स्थिति में किसी मुस्लिम को ट्रोल करने पर अपनी ऊर्जा लगा लेते हैं। बदले में क्रिकेट खुद को एक गैरजरूरी कप्तानी के टसल में फंसा लेती है, जिससे बचा जा सकता था।

विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रॉन के बारे में अब भी बहुत कुछ जानना बाकी है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि हमें सिर्फ़ इसलिए इसे कमजोर नहीं मानना चाहिए कि इसमें गंभीर बीमारी के बाद अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और दक्षिण अफ्रीका में काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ़ देश में मरीज़ों की प्रवृत्ति की वजह से ऐसा है। टीकाकरण और पिछली भयावह लहरों में पैदा हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते दक्षिण अफ्रीका इस बार गंभीर स्तर की मृत्यु दर और गंभीर मामलों से बच गया। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि इस संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा है।  

बिल्कुल, यह वायरस कितना भी खतरनाक क्यों ना हो, दक्षिण अफ्रीका को अलग-थलग किया जाना समाधान नहीं है। आज भी दुनिया में ओमिक्रॉन या ओमिक्रॉन के बिना कई देशों में कोरोना की दर बहुत ज़्यादा है। तो दक्षिण अफ्रीका के साथ भेदभाव किया जाना विकल्प नहीं है। दुनिया को अब बेहतर तरीके अपनाने की जरूरत है, क्योंकि हम दो साल में बहुत कुछ सीख चुके हैं। 

लेकिन फिर हमें यह सवाल भी पूछना होगा कि क्या दक्षिण अफ्रीका के साथ ना खेलना उसे अलग-थलग करना था। फिर भारतीय क्रिकेट में हमारे पक्षपात भरे हितों को देखते हुए बीसीसीआई से पूछा जाना चाहिए कि क्या इस टूर पर इतना जोख़िम लेना सही था, इस दौरान इसके मुनाफ़े (राजस्व और क्या), नुकसान और संभावित ख़तरों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। 

यहां कोई बिल्कुल सही कदम उठाना संभव नहीं लगता। इतनी अनिश्चित्ता में भी भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने टूर पर जाने का फ़ैसला किया और दक्षिण अफ्रीका के बोर्ड के बॉयो-बबल और खिलाड़ियों की प्रतिरोधक क्षमता पर विश्वास दिखाया। बीसीसीआई को लगता है कि यह समझ नहीं आ रहा है कि नया वेरिएंट वैक्सीन से उपजी हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता को धता बता सकता है। यह भी याद रखना चाहिए बॉयो-बबल के उल्लंघन के चलते ही इंग्लैंड का पिछले साल दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका का दौरा रद्द हुआ था। ऐसा लगता है कि बीसीसीआई ने इस साल की शुरुआत में अपने आईपीएल के अनुभव से कुछ नहीं सीखा। जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा था, तब बीसीसीआई आईपीएल का 2021 का संस्करण करवा रही थी। बाद में खिलाड़ियों में कोरोना फैलने के बाद इसे रोका गया था। 

फिर अब खिलाड़ियों को एक ऐसे देश में भेजकर, जो हाल में उस वेरिएंट से प्रभावित है, जिसके बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, बीसीसीआई ने बता दिया है कि वो सिर्फ़ अपने हितों के अलावा कुछ और नहीं सोचता। 

फिर इन सब चीजों पर सोचने के लिए वक़्त किसे है। यहां हमारे सामने पश्चिमी दिल्ली का एक "माचो मैन" है, जिसे लगता है कि उसके साथ गलत हुआ है, दूसरी तरफ भौंचक "रॉयल बंगाल टाइगर" है, जो शब्दों के साथ खेल रहा है। बिल्कुल सही वक़्त है यह! हमें इस घटनाक्रम पर ध्यान देना होगा।  

आप कोहली को कैसे हटा सकते हैं? अच्छा आप खुद को कैसे हटा सकते हैं मिस्टर कोहली? आखिर वह सबसे ताकतवर कप्तान थे, जिनके बारे में हमें लगता था कि उनके भाग्य का फ़ैसला सिर्फ़ वही कर सकते हैं। उन्होंने खुद ही टी-20 की कप्तानी छोड़ दी थी और गांगुली ने कहा था कि उन्होंने कोहली से कप्तानी ना छोड़ने के लिए कहा था। 

कोहली चले गए और गांगुली ने तय किया कि वे कोहली को कुढ़ने का एक मौका देंगे। उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया। अब तक प्रेस में वक्तव्य भी जारी हो चुके हैं। सब कुछ भूल जाइये- महामारी, बीसीसीआई के गुप्त राज। बस इस बात पर चर्चा करिए कि क्या कोहली को हटाकर बीसीसीआई ने कप्तान को दो महीने का नोटिस दिए जाने वाले प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। आखिर ज़्यादातर प्राइवेट कंपनियों में भारत में यही कानून तो है। दक्षिण अफ्रीका के लिए टीम की घोषणा से पहले, सिर्फ़ दो घंटे पहले ही कोहली को इस फ़ैसले के बारे में बताया गया था। जैसा सुनील गावस्कर ने कहा कि वक़्त के साथ कोई दिक्कत नहीं है। 

अब और भी कई भेद खुलना बाकी हैं। जब बोर्ड के भीतर से यह राज बाहर आएंगे, तब भी उन्हें इस लेख में अपडेट नहीं किया जाएगा। इसके बजाए हम आपको ज़्यादा अहम अपडेट के साथ छोड़ देंगे, जो हफ़्ते में दक्षिण अफ्रीका में होने वाली अतिरिक्त मौतों पर होगी। 

अतिरिक्त मौतों की यह संख्या देश और गाउटेंग प्रांत में बढ़ी है। 5 दिसंबर को ख़त्म होने वाले हफ़्ते में दक्षिण अफ्रीका 1887 अतिरिक्त मौते हुईं। यही वह तारीख़ थी, जब बीसीसीआई ने टूर पर जाने का फ़ैसला किया था। एक हफ़्ते पहले यह आंकड़ा 1726 था। यह सारे आंकड़े साउथ अफ्रीकन मेडिकल रिसर्च काउंसिल के हवाले से हैं। गाउटेंग में इस अवधि में इन अतिरिक्त मौतों की संख्या 173 से बढ़कर 280 हो गई। यह आंकड़ा अब भी बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों को डर है कि यह आंकड़ा बढ़ता ही जाएगा, हालांकि उन्हें आशा है कि ओमिक्रॉन पिछले वेरिएंट की तुलना में ज़्यादा 'रहमदिल' है। तो अब हम सभी क्रिकेट पर वापस चलते हैं। ओह कैसी क्रिकेट!! 

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें। 

Deflection Virus: Virat Kohli vs Sourav Ganguly is the Perfect Distraction For BCCI Before an Ill Advised Tour

virat kohli
Sourav Ganguly
Indian cricket
Virat Kohli captaincy
Kohli vs Ganguly
South Africa vs India
India tour of South Africa
South Africa vs India Test
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South Africa omicron cases
COVID-19
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