NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली में महिला, छात्र, मज़दूर संगठनों का हल्ला बोल
“हम किसानों के साथ दिल्ली बॉर्डर पर भी प्रदर्शन कर रहे है और यहां उस दिल्ली में भी प्रदर्शन कर रहे हैं, जहां सरकार ने किसानों को आने की अनुमति नहीं दी।”
मुकुंद झा
04 Dec 2020
प्रदर्शन

किसानों के आंदोलन के समर्थन में कई संगठनों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में दिल्ली के नागरिकों सहित श्रमिकों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों ने किसानों के साथ एकजुटता के साथ विरोध प्रदर्शन किया है, जिसमें मांग की गई है कि सरकार को किसानो की मांगों और दुर्दशा पर ध्यान देना चाहिए, और तीन कृषि कानूनों रद्द करना चाहिए।

जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि कोरोना महामारी का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार तीन कृषि विधेयकों को पास करा लिया जो अब क़ानून बन गए है। जिनमें कृषि व्यापार और वाणिज्य अधिनियम, किसान मूल्य आश्वासन अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम शामिल हैं। इन तीनों कानूनों का देशभर का किसान विरोध कर रहा है और इसे कॉरपोरेट हितैषी और गरीब और किसान विरोधी बता रहा है।

अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन के राष्ट्रीय सह सचिव विक्रम सिंह जो इस आंदोलन के सहभागी थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा आज का प्रदर्शन किसानों के समर्थन में है। ये बताने के लिए है कि दिल्ली किसानों के साथ है। अगर सरकार नहीं मानी तो आने वाले दिनों में दिल्ली के हर इलाक़े मे फार्मर फॉर इंडिया के बैनर तले विरोध प्रदर्शन होगा।

उन्होंने साफ़ किया यह आंदोलन तभी ख़त्म होगा जब सरकार ये तीनों कृषि बिल वापस लेगी उससे कम कुछ भी नहीं।

विक्रम ने यह भी कहा सरकार घंटों की बातचीत कर किसानों का संयम चेक कर रही है लेकिन शायद पांच तारीख़  तक अगर सरकार नहीं मानी तो निर्णायक लड़ाई होगी। अब यह युद्ध बन गया है एक तरफ सरकार और पूंजीपति है जबकि दूसरी तरफ मज़दूर किसान हैं।

प्रगतिशील महिला संगठन की नेता पूनम कौशिक ने कहा कि किसानों के ख़िलाफ़ जिस तरह से सरकार का रवैया है वो निंदनीय है। अब यह संघर्ष सिर्फ़ किसानों का नहीं बल्कि हर जनमानस का है।

छात्र संगठन स्टूडेंट फेडेशन ऑफ़ इंडिया के  महासचिव मयूख विश्वास ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि ये सरकार लगातर देश को पूंजीपतियों के हाथों में बेच रही है। रेल से लेकर हवाई अड्डे सब उन्होंने बेच दिया। ये सरकार और उसकी नीति सिर्फ़ किसान नहीं बल्कि छात्र और नौजवान विरोधी हैं पिछले काफी समय से उन्होंने हमारी छात्रवृत्ति रोकी हुई है जबकि दूसरी तरफ़ पूंजीपतियों को पैकज दिए जा रहे है। हमारी मांग साफ़ है कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर इन काले कानूनों को वापस ले वरना किसानों के साथ मिलकर छात्र पूरे देश में प्रदर्शन करेगा।

महिला संगठन एडवा दिल्ली की सचिव मौमुना ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा हम किसानों के साथ दिल्ली बॉर्डर पर भी प्रदर्शन कर रहे है और यहां उस दिल्ली में भी प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां सरकार ने किसानों को आने की अनुमति नहीं दी।

आपको बता दें कि प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि इन अधिनियमों का उद्देश्य खेती और जमीनों को बेवजह भूखे कॉरपोरेटों की सेवा में सौंपना है और संघर्षरत किसानों को बड़े संकट में छोड़ना है, यह संकट ऐसे समय में बढ़ जाता है जब हमारी अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है।

पूरे देश में लाखों किसान विरोध कर रहे हैं और दिल्ली की सीमाओं पर दमन और पुलिस की हिंसा, जैसे कि इस भीषण ठंड में वॉटर कैनन, आंसू गैस से किसानों पर हमला किया गया। इसकी निंदा करते हुए सैकड़ों की संख्या में लोगों ने जंतर मंतर पर अपना विरोध जताया।

 अभी तक किसानों से सरकार की चार दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन हल कोई नहीं निकला है। अभी एक और दौर की बातचीत 5 दिंसबर को प्रस्तावित है। परन्तु उससे पहले 40 किसान संगठनों की आज 4 दिसंबर को बैठक हो रही है जिसमे वो आगे की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं।

farmers protest
Farm bills 2020
Women's organization
Student organizations
Student Organization Student Federation of India
AIDWA
protest on jantar mantar

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

कर्नाटक : देवदासियों ने सामाजिक सुरक्षा और आजीविका की मांगों को लेकर दिया धरना

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

दिल्ली: एसएससी जीडी भर्ती 2018 के अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

इतवार की कविता : 'ईश्वर को किसान होना चाहिये...


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License