NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
हमारे दौर का नज़ीर कहां है...जो जिस शिद्दत से ईद के लिए लिखता है, उसी शिद्दत से झूमकर होली दिवाली के लिए लिखता है। अफ़सोस, नज़ीर का हिन्दुस्तान भी आज कहां है….उसी में तो आग लगाई जा रही है...। फिर भी आज ईद है तो आइए झूमकर गाते हैं...
न्यूज़क्लिक डेस्क
03 May 2022
Eid

हमारे दौर का नज़ीर कहां है...जो जिस शिद्दत से ईद के लिए लिखता है, उसी शिद्दत से झूमकर होली दिवाली के लिए लिखता है। अफ़सोस, नज़ीर का हिन्दुस्तान भी आज कहां है….उसी में तो आग लगाई जा रही है।

फिर भी..., आज ईद है तो आइए हम झूमके गाएं, सिवइयां पकाएं...सबको खिलाएं…यक़ीन मानिए, आप और हम जितना ख़ुश होंगे, जितना मिलजुल कर त्योहार मनाएंगे, मोहब्बत और इंसानियत के दुश्मन उतने ही पशेमां होंगे। हैरान-परेशान और परास्त होंगे।

तो आइए मिलकर ईद मनाते हैं और साथ में पढ़ते हैं नज़ीर अकबराबादी का यह ख़ास कलाम- ईद उल फ़ितर

ईद उल फ़ितर


है आबिदों को त‘अत-ओ-तजरीद की ख़ुशी

और ज़ाहिदों को जुहाद की तमहीद की ख़ुशी

रिन्द आशिकों को है कई उम्मीद की ख़ुशी

कुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी


ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है

शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है

पीर-ओ-जवान को नेम‘तें खाने की धूम है

लड़कों को ईद-गाह के जाने की धूम है

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


कोई तो मस्त फिरता है जाम-ए-शराब से

कोई पुकारता है कि छूटे अज़ाब से

कल्ला किसी का फूला है लड्डू की चाब से

चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से


ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


क्या है मुआन्क़े की मची है उलट पलट

मिलते हैं दौड़ दौड़ के बाहम झपट झपट

फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में गट के गट

आशिक मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट


ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी

पिशवाज़ें सुर्ख़ सौसनी लाही की फुलझड़ी

कुर्ती कभी दिखा कभी अंगिया कसी कड़ी

कह “ईद ईद” लूटें हैं दिल को घड़ी घड़ी


ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल

ख़ुश हो गये वो देखते ही ईद का हिलाल

पोशाकें तन में ज़र्द, सुनहरी सफेद लाल

दिल क्या कि हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल


ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


जो जो कि उन के हुस्न की रखते हैं दिल से चाह

जाते हैं उन के साथ ता बा-ईद-गाह

तोपों के शोर और दोगानों की रस्म-ओ-राह

मयाने, खिलोने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह


ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीर

तो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीर

सब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर

देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियां ‘नज़ीर‘


ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी

जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी


- नज़ीर अकबराबादी

(कविता कोश से साभार)

eid
eid mubark
Eid al-Fitr
Hindi poem
kavita
Eid Kavita
Poem on Eid

Related Stories

मंज़र ऐसा ही ख़ुश नज़र आए...पसमंज़र की आग बुझ जाए: ईद मुबारक!

कश्मीर के लोग अपने ही घरों में क़ैद हैं : येचुरी

‘वीरेनियत-3’ में कवि देवी प्रसाद मिश्र


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License