NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
स्टेन स्वामी की सेहत नाज़ुक, ज़मानत याचिका के लिए नहीं जा सकते उच्च न्यायालय : वकील
अदालत के 28 मई के आदेश के बाद से स्वामी का यहां होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। निजी अस्पताल में उनके इलाज का खर्च उनके सहयोगी एवं मित्र उठा रहे हैं।
भाषा
05 Jul 2021
स्टेन स्वामी

मुंबई: एल्गार परिषद-माओवादियों से संबंध मामले के आरोपी आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की सेहत नाजुक स्थिति में बनी हुई है। उनके वकील मिहिर देसाई ने सोमवार को यह जानकारी दी।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि रविवार रात तक, 84 वर्षीय जेशुइट (ईसा मसीह की रॉयल कैथलिक समाज का सदस्य) पादरी जीवनरक्षक प्रणाली पर थे।

अदालत के 28 मई के आदेश के बाद से स्वामी का यहां होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। निजी अस्पताल में उनके इलाज का खर्च उनके सहयोगी एवं मित्र उठा रहे हैं।

शनिवार को, अधिवक्ता देसाई ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ को बताया कि स्वामी का स्वास्थ्य नाजुक बना हुआ है और वह अब भी अस्पताल के गहन देखभाल कक्ष (आईसीयू) में हैं।

पीठ ने मंगलवार को स्वामी की चिकित्सीय आधार पर दायर जमानत याचिका पर सुनवाई मंगलवार को टाल दी थी और तब तक उन्हें अस्पताल में रहने को कहा था।

पिछले हफ्ते, स्वामी ने अदालत में एक नई याचिका भी दायर कर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) की धारा 43डी (पांच) को चुनौती दी थी जो इस कानून के तहत आरोपी बनाए गए व्यक्ति की जमानत पर सख्त शर्तें लगाती है।

सोमवार को, देसाई ने कहा कि वह जमानत याचिका या यूएपीए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली नई याचिका दोनों में किसी पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय का रुख नहीं करेंगे।

देसाई ने कहा, ‘‘ मुझे सुबह में उनकी (स्वामी) सेहत के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन कल देर रात तक वह जीवनरक्षक प्रणाली पर थे।”

उन्होंने कहा, “इसलिए, अब प्राथमिकता उनका इलाज है। अगर कल को अदालत उन्हें बरी कर भी देती है, तो क्या हो जाएगा? उनके स्वास्थ की स्थिति ऐसी है कि उन्हें अस्पताल में ही रहना होगा।”

वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय और निजी अस्पताल से कोई शिकायत नहीं है।

उन्होंने कहा, “उच्च न्यायालय ने उनके लिए बेहतर इलाज सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ किया। और अस्पताल में, बेहतरीन ह्रदय रोग विशेषज्ञ और अन्य विशेषज्ञ उनका इलाज कर रहे हैं। मेरी शिकायत सिर्फ तालोजा जेल अधीक्षक और एनआईए (मामले के अभियोजनएजेंसी) के खिलाफ है।”

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) ने जेल में बंद कैदी की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का आरोप लगाने वाली एक शिकायत पर रविवार को महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

राज्य के मुख्य सचिव के माध्यम से भेजे गए नोटिस में, एनएचआरसी ने स्वामी के मूलभूत मौलिक अधिकारों के संरक्षण एवं जीवनरक्षक उपाय के तहत उनके लिए उचित चिकित्सा देखभाल और उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।

आयोग ने शिकायत में लगाए गए आरोपों के मद्देनजर एक रिपोर्ट और कार्यकार्ता का उपचार रिकॉर्ड भी प्रस्तुत करने को कहा है।

स्वामी और एल्गार मामले में उनके सह-आरोपियों ने पड़ोस के नवी मुंबई स्थित तालोजा जेल जहां वे विचाराधीन कैदी के रूप में बंद है, में अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की बार-बार शिकायत की है।

उच्च न्यायलय में दायर अपनी याचिकाओं के साथ ही मौखिक और लिखित बयानों में, उन्होंने चिकित्सा सुविधा, समय से जांच कराने और स्वच्छता एवं शारीरिक दूरी सुनिश्चित करने में तालोजा जेल अधिकारियों द्वारा कदम न उठाने की कई बार शिकायत की है।

इस साल मई में, स्वामी ने उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताया था कि तालोजा जेल में उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता रहा।

उन्होंने उच्च न्यायालय से उस वक्त अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया था और कहा था कि अगर चीजें वहां ऐसी ही चलती रहीं तो वह ‘‘बहुत जल्द मर जाएंगे।”

एल्गार परिषद-माओवादियों से संबंध मामले में अन्य आरोपी - कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े और वर्नोन गोन्जाल्विस की पत्नियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि इस साल मार्च में तेलतुंबड़े द्वारा लिखे लेख के एक पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद से तालोजा जेल अधीक्षक मामले में सभी आरोपियों द्वारा या उनको लिखे गए पत्रों को रोके हुए हैं।

सोमवार को, अधिवक्ता देसाई ने कहा कि तालोजा जेल से अधीक्षण के स्थानांतरण की खबर है हालांकि उनके तबादले के कारणों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

एल्गार-परिषद मामले में, स्वामी और उनके सह-आरोपियों पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आरोप लगाया है कि ये सभी प्रतिबंधित माकपा (माओवादी) की तरफ से काम कर रहे अग्रणी संगठन के सदस्य थे।

पिछले महीने, एनआईए ने उच्च न्यायालय के समक्ष हलफनामा दायर कर स्वामी की जमानत याचिका का विरोध किया था। इसने कहा था कि उनकी बीमारी के कोई “ठोस सबूत” नहीं हैं। इसने आरोप लगाया था कि स्वामी माओवादी थे जिन्होंने देश में अशांति पैदा करने के लिए साजिश रची थी।

एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों से संबंधित है जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन इन भाषणों के कारण कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।

Stan Swamy
Elgar Parishad case

Related Stories

मोदी जी, देश का नाम रोशन करने वाले इन भारतीयों की अनदेखी क्यों, पंजाबी गायक की हत्या उठाती बड़े सवाल

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती

फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत 'हमेशा के लिए दाग': संयुक्त राष्ट्र समूह

एल्गार परिषद मामला: तीन साल बाद जेल से रिहा हुईं अधिवक्ता-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज

अदालत ने सुधा भारद्वाज को 50,000 रुपये के मुचलके पर जेल से रिहा करने की अनुमति दी

एल्गार परिषद मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सुधा भारद्वाज की ज़मानत के ख़िलाफ़ एनआईए की याचिका ख़ारिज की

एल्गार परिषद : बंबई उच्च न्यायालय ने वकील सुधा भारद्वाज को ज़मानत दी

मैंने बम नहीं बाँटा था : वरवरा राव

स्टेन स्वामी की मौत एक संस्थानिक हत्या थी’: सह-कैदियों ने उद्धव ठाकरे को अपने पत्र में लिखा था


बाकी खबरें

  • ऋचा चिंतन
    WHO की कोविड-19 मृत्यु दर पर भारत की आपत्तियां, कितनी तार्किक हैं? 
    25 Apr 2022
    भारत ने डब्ल्यूएचओ के द्वारा अधिक मौतों का अनुमान लगाने पर आपत्ति जताई है, जिसके चलते इसके प्रकाशन में विलंब हो रहा है।
  • एजाज़ अशरफ़
    निचले तबकों को समर्थन देने वाली वामपंथी एकजुटता ही भारत के मुस्लिमों की मदद कर सकती है
    25 Apr 2022
    जहांगीरपुरी में वृंदा करात के साहस भरे रवैये ने हिंदुत्ववादी विध्वंसक दस्ते की कार्रवाई को रोका था। मुस्लिम और दूसरे अल्पसंख्यकों को अब तय करना चाहिए कि उन्हें किसके साथ खड़ा होना होगा।
  • लाल बहादुर सिंह
    वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव को विभाजनकारी एजेंडा का मंच बनाना शहीदों का अपमान
    25 Apr 2022
    ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध हिन्दू-मुस्लिम जनता की एकता की बुनियाद पर लड़ी गयी आज़ादी के लड़ाई से विकसित भारतीय राष्ट्रवाद को पाकिस्तान विरोधी राष्ट्रवाद (जो सहजता से मुस्लिम विरोध में translate कर…
  • आज का कार्टून
    काश! शिक्षा और स्वास्थ्य में भी हमारा कोई नंबर होता...
    25 Apr 2022
    SIPRI की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार ने साल 2022 में हथियारों पर जमकर खर्च किया है।
  • वसीम अकरम त्यागी
    शाहीन बाग़ की पुकार : तेरी नफ़रत, मेरा प्यार
    25 Apr 2022
    अधिकांश मुस्लिम आबादी वाली इस बस्ती में हिंदू दुकानदार भी हैं, उनके मकान भी हैं, धार्मिक स्थल भी हैं। समाज में बढ़ रही नफ़रत क्या इस इलाक़े तक भी पहुंची है, यह जानने के लिये हमने दुकानदारों,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License