NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
अध्ययन : स्वास्थ्य सुविधाएं तो छोड़िए देश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य का ज़रूरी ढांचा भी नहीं है
बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देश की जनता की मूलभूत ज़रूरत और अधिकार है लेकिन देश की आज़ादी के 72 साल बाद भी देश की सत्ताधारी सरकारें बड़े-बड़े वादों के अलावा कुछ दे नहीं पायी हैं। हालत यह है कि देश के कई राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं का पर्याप्त बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध नहीं हैं ।
पुलकित कुमार शर्मा
14 Jan 2020
public health

भारत के ग्रामीण इलाके में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करने के लिए 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरू किया गया। साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं किस आधार पर उपलब्ध कराई जायेंगी, इसका विवरण भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आई. पी. एच. एस.) में किया गया। जैसे कि मैदानी इलाके में पांच हजार लोगों की आबादी पर एक हेल्थ सब सेंटर होना चाहिए। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की वार्षिक रिपोर्ट में स्वास्थ्य मंत्रालय ने खुद लिखा है कि देश के ग्रामीण इलाकों में आई. पी. एच. एस. के मानकों का पालन नहीं किया गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि मानकों के लिए जरूरी बुनियादी ढाँचों का विकास ग्रामीण इलाकों में नहीं हुआ है।

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने के लिए सरकार की तरफ से सब सेंटर, प्राथमिक हेल्थ सेंटर और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर बनाने का प्रावधान है। जिसके तहत मैदानी क्षेत्रों में 5,000 लोगों पर एक सब सेंटर, 30,000 लोगों पर एक प्राथमिक हेल्थ सेंटर और 1,20,000 लोगों पर एक कम्युनिटी सेंटर का प्रावधान रखा गया है।

Health 1.jpg

सब सेंटर

सरकार की तरफ से आम जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने की सबसे छोटी इकाई सब सेंटर होती है। सब सेंटर के अंतर्गत मातृ और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण, टीका करण, दस्त नियंत्रण, स्वास्थ्य जागरूकता जैसी सेवाएं प्रदान करने से जुड़े काम सौंपे जाते हैं।

एक करोड़ से ज्यादा ग्रामीण जनसंख्या वाले 17 मैदानी राज्यों की बात करें तो काफी राज्यों में स्थिति बुरी दिखाई पड़ती है। इनमें से सिर्फ 7 राज्य ही ऐसे हैं जहाँ (आई. पी. एच. एस.) के मानक के अनुसार पर्याप्त सब सेंटर हैं तथा 10 राज्य ऐसे हैं जहाँ प्रति सब सेंटर लोगों की संख्या मानक से ज्यादा है।

इसमें मध्य प्रदेश में औसतन 5302, ओडिशा में औसतन 5660, पंजाब में औसतन 6198, महाराष्ट्र में औसतन 6206, पश्चिम बंगाल में औसतन 6327, असम में औसतन 6397, हरियाणा में औसतन 6816, झारखंड में औसतन 7404, उत्तर प्रदेश में औसतन 8521, बिहार में औसतन 10857 लोगों पर एक सब सेंटर हैं। जबकि आई. पी. एच. एस. के आबादी का मानक 5000 लोगों पर एक सब सेंटर का है।

map.jpg

प्राथमिक हेल्थ सेंटर

प्राथमिक हेल्थ सेंटर ग्रामीण समुदाय और चिकित्सा अधिकारी के बीच पहला संपर्क बिंदू है। ग्रामीण आबादी की स्वास्थ्य की देखभाल, बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए सबसे पहले सम्पर्क बिंदू की तरह काम करता है। प्राथमिक हेल्थ सेंटर का राज्य सरकारों द्वारा न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (एम एन पी) बुनियादी न्यूनतम सेवाओं (बी एम एस) कार्यक्रम के तहत स्थापित और रखरखाव किया जाता है। एक प्राथमिक सेंटर में अमूमन एक मेडिकल ऑफिसर के साथ 14 पैरामेडिकल और स्टाफ के तौर पर दूसरे लोग होते हैं और मरीजों के लिए चार से छह बेडों की व्यवस्था की जाती है। आई. पी. एच्. एस. के तहत मैदानी इलाकों में प्रति 30 हजार की आबादी पर एक प्राथमिक हेल्थ सेंटर का प्रावधान है।

1 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण आबादी वाले 17 मैदानी राज्यों में 6 राज्य ऐसे हैं जिनमें आई. पी. एच. एस. के तहत प्राथमिक हेल्थ सेंटर हैं। लेकिन बाकी 11 राज्यों की बुरी स्थिति है।

इनमें आंध्र प्रदेश में औसतन 30687 लोगों पर एक प्राथमिक हेल्थ सेंटर है। असम में औसतन 31405, तेलंगना में औसतन में 33570, महाराष्ट्र में औसतन 36215,पंजाब में औसतन 42327, हरियाणा में औसतन 47955, उत्तर प्रदेश में औसतन 48289, मध्य प्रदेश में औसतन 50671, बिहार में औसतन 56882 लोगो, पश्चिम बंगाल में औसतन 71769, झारखंड में औसतन 95603 लोगों पर एक प्राथमिक हेल्थ सेंटर है। जबकि आई. पी. एच्. एस. के मानक के तहत 30000 लोगों पर एक प्राथमिक हेल्थ सेंटर होना चाहिए।

Image removed.map1.jpg

कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र)-

कम्युनिटी हेल्थ सेंटर का रख-रखाव एम एन पी / बी एम एस कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार के द्वारा किया जाता है सी.एच.सी. के लिए जरूरी है कि वह मेडिकल विशेषज्ञों यानी सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और बाल रोग विशेषज्ञ के साथ 21 पैरामेडिकल और अन्य स्टाफ द्वारा समर्थित हो। आई. पी. एच. एस. के आधार पर मैदानी इलाकों में 1,20,000 लोगों पर तथा पहाड़ी इलाकों में 80,000 हजार लोगो की संख्या पर एक कम्युनिटी हेल्थ होना चाहिए।

एक करोड़ से ज्यादा ग्रामीण जनसंख्या वाले 17 मैदानी राज्यों की में सिर्फ 4 राज्य ही ऐसे हैं जहां आई. पी. एच्. एस. के मानकों के आधार पर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं बाकी 13 राज्य ऐसे हैं जिसकी स्थिति बहुत ख़राब है।

इनमें पंजाब में औसतन 121095, छत्तीसगढ़ में औसतन 130463, हरियाणा में औसतन 156172, झारखंड में औसतन 166606, असम में औसतन 172729 लोगो, आंध्र प्रदेश में औसतन 182371 लोगो, महाराष्ट्र में औसतन 182881, पश्चिम बंगाल में औसतन 188291, कर्नाटक में औसतन 191306 , मध्य प्रदेश में औसतन 192024 उत्तर प्रदेश में औसतन 212718, तेलंगना में औसतन 237201 लोगों एक कम्युनिटी सेंटर है। जबकि आई. पी. एच्. एस. के मानक के तहत 120000 लोगो पर एक कम्युनिटी हेल्थ सेंटर होना चाहिए।

map 2.jpg

आंकड़ों से पता चलता है कि देश में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। हालाँकि इसके साथ जो स्वास्थ्य सेवा केंद्र चल रहे हैं, उनमें पर्याप्त डॉक्टर, न्यूनतम उपकरण, दवाईयाँ और सही इलाज की मौजूदा हालत को जोड़ दी जाए तो स्थिति और बदतर दिखती है। अब आप ही सोचिये कि इस देश में सीएए-एनआरसी जैसे पहल ज़रूरी हैं या लोगों की बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना।

indian health
rural health
primary health center
Community Health Center
sub center
health infrastructure

Related Stories

भाजपा के कार्यकाल में स्वास्थ्य कर्मियों की अनदेखी का नतीजा है यूपी की ख़राब स्वास्थ्य व्यवस्था

बड़ी आबादी वाले राज्यों में बेक़ाबू कोविड के उभरते ख़तरे 

कोविड-19 : मोदी जी, आख़िर ग़लती कहाँ हुई?

भारत के ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्र में लगभग 2.37 लाख स्वास्थ्य कर्मियों की कमी


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License