NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अध्ययन: स्मार्ट फ़ोन, इंटरनेट और बढ़ती फ़ीस इस सबने ग़रीब मेहनतकशों के बच्चों को पीछे धकेला
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) ने कोविड-19 के दौरान प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा पर पड़े नकारात्मक प्रभाव पर एक अध्ययन किया है। अध्ययन में सामने आया है कि सुविधाओं की कमी और ख़राब आर्थिक हालत के कारण किस तरह छात्रों का जीवन अंधकार की तरफ़ जा रहा है।
असद रिज़वी
11 Aug 2021
AIDWA

कोरोना महामारी के साथ शुरू हुई ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था ने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को शिक्षा के क्षेत्र में और पीछे धकेल दिया है। एक तरफ़ ग्रामीण इलाकों में स्मार्ट फ़ोन और इंटरनेट की असुविधा ने और दूसरी तरफ़ शहरी इलाक़ों में निजी स्कूलों की बढ़ती फ़ीस ने न सिर्फ़ छात्र-छात्राओं को बल्कि उनके माता-पिता को भी हैरान-परेशान कर दिया है।

महामारी के कारण कारोबार ठप हैं और अभिभावकों की नौकरियाँ चली गई हैं। लेकिन बेलग़ाम प्राइवेट स्कूल प्रबंधन, बिना फ़ीस के रिज़ल्ट (मार्क्सशीट) देने तक को तैयार नहीं हैं। सरकारी अधिकारी यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि प्राइवेट स्कूलों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।

विद्यार्थियों का जीवन अंधकार की तरफ़

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) से संबद्ध महिला संगठन अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) ने कोविड-19 के दौरान प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा पर पड़े नकारात्मक प्रभाव पर एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में सामने आया है कि सुविधाओं की कमी और ख़राब आर्थिक हालत के कारण किस तरह छात्रों का जीवन अंधकार की तरफ़ जा रहा है।

अध्ययन में समिति ने दावा किया है कि उसने लखनऊ के 10 शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में, कोरोना काल में बच्चों की शिक्षा में आ रही परेशानियों को जानने के लिए, 111 बच्चों के परिवारों से संपर्क किया। यह परिवार आर्थिक रूप से कमज़ोर मेहनतकश वर्ग से ताल्लुक़ रखते हैं।

नाम काटा, ग्रुप से निकला और रिज़ल्ट रोका

इन 111 बच्चों में से 41 बच्चे प्राथमिक व माध्यमिक सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं और शेष 70 बच्चे अपने नज़दीक के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। इन बच्चों के अभिभावकों ने गोपनीयता की शर्त पर समिति को बताया कि फीस न जमा होने पर प्राइवेट स्कूल वालों ने उनके बच्चों का नाम स्कूल से काट दिया है या रिज़ल्ट रोक दिया।

इतना ही नहीं कुछ बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के ग्रुप से भी निकाल दिया गया।

स्मार्ट फोन न होने के कारण शिक्षा से वंचित होने की शिकायत भी अध्ययन में सामने आई है। स्मार्ट फोन न होने के कारण ये बच्चे शिक्षा से वंचित हैं और पिछला पढ़ा-लिखा भी भूल गये हैं।

समिति का दावा है कि सरकारी स्कूलों में न छात्रवृत्ति मिली है और न ही किताबें बाटी गईं हैं। जो कच्चा राशन मिला भी है उनकी गुणवत्ता की बहुत ख़राब है।

मार्कशीट नहीं मिल रही

इंदिरानगर के रहने वाले एक छात्र अनुज ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उसने इसी शैक्षिक सत्र 2020-21 में इंटर (जीव-विज्ञान) से पास किया है। अनुज के अनुसार उसको 69 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं।

लेकिन उनकी फ़ीस क़रीब 15,000 रुपये जमा नहीं होने के कारण उनको स्कूल (प्राइवेट) से मार्कशीट नहीं मिल रही है। जिसके कारण उसकी उच्च शिक्षा में प्रवेश में देरी हो रही है। इसकी शिकायत उसने ज़िला विद्यालय निरीक्षक के दफ़्तर में भी की है। लेकिन वहाँ से भी कुछ नहीं किया जा रहा है।

आज बेसिक शिक्षा अधिकारी से भी मिलने कुछ अभिभावक अपने बच्चों के साथ पहुँचे। ऐसे ही एक बच्चे शिवंश राजपूत से न्यूज़क्लिक के लिए बात की। उसने बताया वह प्राथमिक पाठशाला की कक्षा तीन में पढ़ता है।

शिवंश ने बताया कि उसको पाठशाला से मिलने वाली किताबें इस वर्ष अभी तक नहीं मिली हैं, और ऑनलाइन क्लास के लिए उनके पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है। जिसकी वजह से उसकी इस सत्र की पढ़ाई अभी तक शुरू नहीं हुई है।

अस्ती गाँव के रहने एक छात्र दानिश भी कक्षा तीन के छात्र हैं। वह दो साल पहले भी कक्षा 3 में थे और आज भी कक्षा 3 में ही हैं। वह पहाड़ा भूल चुके हैं, उनका मात्राओं का ज्ञान भी कमज़ोर हो गया है। दानिश के पास न स्मार्ट फ़ोन है न कोई इंटरनेट की सुविधा। नंदा खेड़ा, में रहने वाले ज़ैद कक्षा आठ में प्रथम आये हैं। लेकिन मात्र 1500 रुपये के लिए उनका रिज़ल्ट रुका हुआ है।

एडवा की सीनियर सदस्य मधु गर्ग ने बताया कि उन्होंने अध्ययन की रिपोर्ट से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। मधु गर्ग के अनुसार उन्होंने एडवा की प्रदेश अध्यक्ष सुमन सिंह, दीप्ति मिश्रा और नंदनी बोरकर के साथ  बेसिक शिक्षा अधिकारी और ज़िला विद्यालय निरीक्षक से मिलकर, समिति द्वारा किये गये, अध्ययन से अवगत करा दिया है।

मुख्यमंत्री को पत्र

एडवा ने इस सम्बंध में एक पत्र भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा है। जिसमें माँग की गई है कि यदि ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था लागू रखनी है तो, सरकार की ओर से सुनिश्चित किया जाए कि हर बच्चे को मुफ्त फ़ोन व इंटरनेट की सुविधा मिलेगी। बच्चों को पका हुआ पौष्टिक आहार भी “मिड डे मील” दिया जाये।

इसके अलावा एडवा ने यह भी कहा है कि प्राइवेट विद्यालयों को निर्देशित किया जाये कि कोरोना काल की बकाया फ़ीस माफ़ करें तथा फ़ीस न जमा होने के कारण न तो रिजल्ट रोका जाए और न ही प्रवेश पर रोक लगे।

प्राइवेट स्कूलों द्वारा ली जा रही सालाना फीस को तत्काल रोका जाए। जो विद्यार्थी फ़ीस न जमा करने के कारण स्कूल छोड़ चुके हों उनको चिह्नित करके उन्हें पुनः दाखिला दिया जाये।

क्या कहते हैं अधिकारी

न्यूज़क्लिक के लिए इस मसले पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों पर उनका नियंत्रण नहीं है। ज़िला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के वित्त अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों की फ़ीस पर हम नियंत्रण नहीं कर सकते हैं। इसका फ़ैसला शासन स्तर पर लिया जायेगा। 

वहीं खण्ड बेसिक शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) राजेश सिंह के अनुसार विभाग कोशिश कर रहा है कि स्मार्ट फ़ोन न होने के कारण विद्यार्थियों का पढ़ाई जो नुक़सान हो रहा है, उसको टीवी और रेडियो के माध्यम से पूरा किया जाये। किताबें न बटने के कारण पूछने पर राजेश सिंह ने कहा कि समयस्या अभिभावकों और विद्यालयों में समन्वय के करण उत्पन हुई है।

AIDWA
Uttar pradesh
yogi government
Online Education.

Related Stories

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?


बाकी खबरें

  • kisan
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसानों ने देश को संघर्ष करना सिखाया - अशोक धवले
    25 Dec 2021
    किसान आंदोलन ने इस देश के मजदूरों और किसानों को नई हिम्मत दी है। ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धवले ने न्यूज़क्लिक के साथ ख़ास बातचीत में कहा कि आंदोलन के कामयाब होने की बुनियादी शर्त…
  • yogi
    अजय कुमार
    योगी सरकार का काम सांप्रदायिकता का ज़हर फैलाना है या नौजवानों को बेरोज़गार रखना?
    25 Dec 2021
    उत्तर प्रदेश का चुनावी माहौल हिंदू-मुस्लिम धार पर बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है। तो आइए इस नफ़रत के माहौल को काटते हुए उत्तर प्रदेश की बेरोज़गारी पर बात करते हैं।
  • manipur
    शशि शेखर
    मणिपुर : ड्रग्स का कनेक्शन, भाजपा और इलेक्शन
    25 Dec 2021
    मणिपुर में ड्रग कार्टेल और भाजपा नेताओं की उसमे संलिप्तता की कई खबरें आ चुकी हैं। टेररिस्ट संगठन से लिंक के आरोपी, थोनाजाम श्याम कुमार सिंह, 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं। विधायकी की…
  • up
    सत्येन्द्र सार्थक
    यूपी चुनाव 2022: पूर्वांचल में इस बार नहीं हैं 2017 वाले हालात
    25 Dec 2021
    पूर्वांचल ख़ासकर गोरखपुर में सभी प्रमुख पार्टियां अपनी जीत का दावा कर रही हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर ज़िले की 9 सीटों में से 8 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी, लेकिन जानकारों का मानना है कि…
  • bhasha singh
    भाषा सिंह
    बात बोलेगी : दरअसल, वे गृह युद्ध में झोंकना चाहते हैं देश को
    24 Dec 2021
    हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर 2021 तक चली बैठक को धर्म संसद का नाम देने वाले वे सारे उन्मादी मारने-काटने की बात करने वाले, ख़ुद को स्वामी और साध्वी कहलाने वाले शख़्स दरअसल समाज को उग्र हिंदु राष्ट्र के…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License