NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
अध्ययन: यूपी में गन्ना किसान को इस बार 3,434 करोड़ के नुकसान का अनुमान!
स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे के हिसाब से देखें तो किसानों को उनकी लागत में 50% जोड़कर मूल्य नहीं दिया जा रहा है। किसान संगठनों के हिसाब से देखें तो ये नुकसान और भी ज़्यादा है।
पुलकित कुमार शर्मा
03 Jan 2020
यूपी में गन्ना किसान

पिछले 3 सालों से गन्ने के मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की गयी है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की लागत से तुलना की जाये तो सरकारी आकड़ों के अनुसार आने वाली फसल में किसानों को लगभग 3,434 करोड़ रुपये का नुकसान होने वाला है।

हाल ही में वर्ष 2019-20 की फ़सल के मूल्य निर्धारित किये गए थे जिसमें गन्ना किसानों को लागत का 50 प्रतिशत जोड़कर भी मूल्य नहीं दिया जा रहा है। भारत सरकार, कृषि मंत्रालय के विभाग (कृषि लागत एवं मूल्य आयोग) द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार गन्ने में आने वाली लागत C2, 231 रुपये/क्विंटल तय की गयी है। लागत C2 में लागत की 50% की वृद्धि जोड़कर 346 रुपये /क्विंटल मूल्य होता है लेकिन सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के गन्ने का मूल्य 2017-18 में 315 रुपये/क्विंटल तय किया गया था जिसमे कोई वृद्धि नहीं की गयी है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में इस साल लगभग 26.79 लाख हेक्टेयर ज़मीन में गन्ना पैदा होगा।अगर सरकार के हिसाब से ही देखा जाये तो इस वर्ष उत्तर प्रदेश में अनुमानित गन्ने की पेराई में किसानों को लगभग 3434 करोड़ रुपये का घाटा आने वाला है।

वही राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन, जिला बिजनौर के अध्यक्ष अचल शर्मा ने गन्ने में आने वाली अनुमानित लागत 312 रुपये /क्विंटल निकाली है जिसका लागत + 50% वृद्धि पर 467 रुपये / क्विंटल मूल्य होता है लेकिन राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन सरकार से मांग कर रही हैं की कम से कम 435 रुपये/क्विंटल के रेट से किसानों को मूल्य मिलना चाहिए।

वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश चीनी मिलों द्वारा गन्ने की अनुमानित पेराई लगभग 10,900 लाख क्विंटल की होगी अगर सरकार द्वारा 435 रुपये/क्विंटल के रेट से मूल्य नहीं मिला तो प्रति क्विंटल किसान को 120 रुपये का नुकसान होगा। इसका मतलब आने वाली फसल में किसानों को 13,080 करोड़ का नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

table 1_4.JPG

अचल शर्मा द्वारा अनुमानित लागत के आंकड़े बताते हैं एक एकड़ ज़मीन को किराये पर लेने में आने वाला खर्च 40,000 रुपये का है जिसमें बीज बोने से पहले ज़मीन की जुताई व् गुढ़ाई का खर्च 5,000 रुपये/एकड़ का है। फिर इसमे लगभग 10,000 रुपये का बीज का खर्च आता है और साल भर में 4,500 रुपये का खर्च गन्ने की सिंचाई में आता है। पौधों की अच्छी उन्नति के लिए 4,000 रुपये उर्वरक खाद में खर्च होते हैं तथा 5,000 रुपये का खर्च पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले वाले कीटों से बचाव के लिए कीटनाशक दवा में आता है। और लगभग 25,000 रुपये का खर्च जब गन्ना तैयार हो जाता है उसकी छुलाई व ढुलाई में आता है। इन सब खर्च को जोड़ा जाये तो एक एकड़ में लगभग 93,500 रुपये का खर्च आता हैं और एक एकड़ ज़मीन में गन्ने का उत्पादन 300 क्विंटल तक का होता है। अगर प्रति क्विंटल गन्ने की लागत निकाली जाये तो 312 रुपये /क्विंटल की आती हैं जिसमें सरकार द्वारा 315 रुपये /क्विंटल ही सरकार द्वारा गन्ने का भुगतान किया जा रहा है।

table 2_4.JPG

इस तरह देखें तो किसानों को सिर्फ़ लागत ही मिल पाई। उसकी मेहनत उसका मुनाफा तो किसी ने सोचा ही नहीं। इसी को स्वामीनाथन कमेटी कहा था। जिसमें किसानों को उसकी लागत से 50 फीसदी ज़्यादा कीमत देने की सिफारिश की गई।

अखिल भारतीय किसान सभा के पश्चिम उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष रामपाल सिंह ने कहा देश के आर्थिक सुधार के लिए किसान की आय में सुधार बहुत जरूरी है। क्योंकि देश की लगभग 50% आबादी कृषि पर आधारित है। उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा गन्ने उगाने वाला प्रदेश है। गन्ना, किसानों की आय का मुख्य स्रोत है। अगर गन्ने के मूल्य में सुधार नहीं किया जायेगा तो किसानों की आमदनी पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी होगा।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा जारी आंकड़ों में जहाँ 2015-16 लागत C2 249 रुपये/क्विंटल थी जो 2016 -17 में घट कर 242 रुपये/क्विंटल हो गयी थी 2017-18 में यह लागत और घटकर 234 रुपये/क्विंटल पर आयी थी। 2018-19 में थोड़ी बढ़ी परन्तु 2015-16 की तुलना में कम रही। 2019-20 में यही लागत घट कर 231 रुपये/क्विंटल रह गयी। इसका मतलब यह होता हैं 2015 -16 के बाद से 2019 -20 तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार लागत C2 में गिरावट आयी है परन्तु अगर हम धरातल पर वास्तविकता देखें तो पाते है कि कृषि में आने वाली सभी प्रकार की लागतों में लगातार वृद्धि हुई है |

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा जारी लागत C2(रुपये /क्विंटल)

graph 1_3.JPG

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग रिपोर्ट में, बहुत अधिक मात्रा में गन्ने की सप्लाई, गन्ना उत्पादित ज़मीन में लगातार बढ़ोतरी और अन्तरराष्ट्रीय स्तर बहुत अधिक मात्रा में गन्ने के उत्पादन का हवाला देते हुए वर्ष 2019-20 में गन्ने के मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी हैं लेकिन सवाल यह निकलता हैं क्या इन कारणों से किसान की लागत में रुपये/क्विंटल गिरावट आयी है क्योकि किसानों के अनुसार लागत तो हर साल बढ़ रही है।

गुड़ की फ़ैक्टरियों में गन्ने का विवरण

ऊपर दिए सभी आंकड़े चीनी मीलो में होने वाली पेराई के हैं इनसे अलग कृषि विशेषज्ञों का कहना हैं कि कुल उत्पादित गन्ने का लगभग एक तिहाई गन्ना, गुड़ बनाने वाली फेक्ट्रियों में जाता हैं जिसका औसतन मूल्य 225 रुपये/क्विंटल है। पैसे की जरूरत और नई फ़सल को उगाने के कारण लगभग 90 रुपये/क्विंटल का किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश में अनुमानित गन्ने का उत्पादन 2156 लाख टन का है जिसका एक तिहाई 7186 लाख क्विंटल का होता है। 90 रुपये/क्विंटल के नुकसान पर किसानों का अनुमानित घाटा 6,468 करोड़ का होगा।

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना हैं किसानों को उनकी लागत का दोगुना दाम दिया जायेगा लेकिन हकीक़त यह हैं कि उनको कुल लागत में 50% जोड़कर मूल्य नहीं दिया जा रहा है। इस स्थिति से सरकार की नीयत साफ नजर आती है कि मौजूदा बीजेपी सरकार किसान के पक्ष में कहाँ खड़ी है।

सरकार की गलत नीतियों के विरोध में उत्तर प्रदेश के किसानों ने ग्रामीण भारत बंद का एलान किया है। 8 जनवरी को सभी किसान मिलकर लखनऊ में विरोध करेंगे

UttarPradesh
sugarcane farmers
Sugarcane
Swaminathan Committee
Narendra modi
BJP
farmers
Farmer organizations
Ministry of Agriculture
कृषि मंत्रालय
गन्ना किसान
स्वामीनाथन कमेटी

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

महाराष्ट्र में गन्ने की बम्पर फसल, बावजूद किसान ने कुप्रबंधन के चलते खुदकुशी की

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License