NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
…‘सुंदरता के दुश्मनो, तुम्हारा नाश हो !’
वरिष्ठ कवि और लेखक अजय सिंह इसी अगस्त 73 बरस के हो गए। हमारी आज़ादी की तरह। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी दो ख़ास कविताएं।
न्यूज़क्लिक डेस्क
16 Aug 2020
…‘सुंदरता के दुश्मनो, तुम्हारा नाश हो !’
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : सोशल मीडिया

क़दीमी* कब्रिस्तान

 

गोरख पांडेय और बर्तोल्त ब्रेख़्त ने

जिस तरह सवाल-जवाब शैली में

कुछ कविताएं लिखी हैं

कुछ-कुछ उसी अंदाज़ में

यह कविता लिखने की कोशिश  

की जा रही है

 

सवाल है :

क्या क़दीमी क़ब्रिस्तान में

प्यार के फूल खिल सकते हैं?

जवाब है (हालांकि जवाब कुछ लंबा हो गया है) :

हां, खिल सकते हैं !

अगर हमारे दिलों में प्यार व हमनवाई** हो

कि यह सोचें

यहीं कहीं हमारे पुरखे

मीर   ग़ालिब   नज़ीर   मजाज़ रशीदजहां

गहरी बहुत गहरी नींद में हैं

कि उनके आराम व अदब में

खलल न पड़े...

 

क़दीमी क़ब्रिस्तान

कई अनजान स्मृतियां

कई जाने-पहचाने अतीतमोह

अपने सीने में

दफ़न रखता है

 

टूटी चारदीवारी

बेतरतीब ढंग से उग आये झाड़-झंखाड़ों से घिरा

क़दीमी क़ब्रिस्तान

अपनी उजाड़ व उदास सुंदरता से उसे मोह लेता है

वह अक्सर बग़ल से गुज़रता

झांक कर देखता है

इसके अहाते में आज कोई नया फूल तो नहीं खिला

कल गेंदे का फूल दिखायी दिया था

हवा में धीरे-धीरे हिलता    सलाम करता

 

सामने से एक औरत

उसकी ओर चली आ रही है

न जाने कब से वह जिसका इंतज़ार कर रहा है

उसके भरे हुए अधखुले उरोज

कायनात की सुंदरता में लिपटे हुए हैं

समाज से बहिष्कृत उन दोनों को

क़दीमी क़ब्रिस्तान ने

अपने यहां पनाह देने की पेशकश की है।

क़दीमी*: पुराना

हमनवाई**: सहमति, एकराय होना

 

खिलखिल हमारी प्यारी खिलखिल 

(प्यारी नातिन खिलखिल के जन्मदिन पर)

 

सिर्फ़ खिलखिल नहीं बड़ी हुई

खिलखिल के साथ हम भी 

कुछ-कुछ बड़े हुए 

 

बड़े होते बच्चों के साथ 

बड़े भी 

बड़े होते चले जाते हैं

हालांकि यह बात आम तौर पर 

पता नहीं चलती 

 

खिलखिल जब दुनिया में आयी 

दो हथेलियों में सिमटी हुई 

हम छह अरब लोग थे

अब सात अरब हैं 

और खिलखिल 

दो हथेलियों की सीमा पार करती हुई 

नीले आसमान की मानिंद 

हंस रही है

 

दुनिया जो इतनी सुंदर 

रहने लायक लगती है

वह खिलखिल 

उसकी जैसी अनगिनत बच्चियों

बच्चों उनकी मांओं 

की हंसी और आंसू 

की वजह से है 

 

और इन्हीं मांओं 

बच्चियों बच्चों 

पर सबसे ज्यादा

हमला हो रहा है

इन दिनों 

 

अपने देश में इस समय  

जो निज़ामशाही चल रही है 

उसे ग़ौर से देखो 

यह हिंसा हत्या बलात्कार नफ़रत डर 

की संस्कृति का 

कारोबार 

चलाने वालों की है

वे

हर तरह की सुंदरता से

डरते हैं

और उसे नष्ट कर देना चाहते हैं 

 

वे खिलखिल से डरते हैं 

वे रोहित वेमुला की मां से डरते हैं

वे नजीब अहमद की मां से डरते हैं

वे गौरी लंकेश से डरते हैं 

और उसे मार डालते हैं 

 

खिलखिल इस सामूहिक सुंदरता की 

नुमाइंदगी करती है 

हमें सुंदरता को बचाने की

 लड़ाई में 

हज़ारों-हज़ार खिलखिल के साथ 

सड़कों पर उतरना है 

बंद मुट्ठियों के साथ 

हज़ारों-हज़ार आवाज़ में कहना है :

‘सुंदरता के दुश्मनो,

तुम्हारा नाश हो !’

 

-    अजय सिंह

       लखनऊ

 

इसे भी पढ़े : 15 अगस्त: इतने बड़े हुए मगर छूने को न मिला अभी तक कभी असल झण्डा

इसे भी पढ़े : ...पूरे सिस्टम को कोरोना हो गया था और दुर्भाग्य से हमारे पास असली वेंटिलेटर भी नहीं था

इसे भी पढ़े : ...कैसा समाज है जो अपनी ही देह की मैल से डरता है

इसे भी पढ़े : वरवर राव : जो जैसा है, वैसा कह दो, ताकि वह दिल को छू ले

इसे भी पढ़े : क्या हुआ छिन गई अगर रोज़ी, वोट डाला था इस बिना पर क्या!

Sunday Poem
Hindi poem
poem
कविता
हिन्दी कविता
इतवार की कविता

Related Stories

वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

फ़ासीवादी व्यवस्था से टक्कर लेतीं  अजय सिंह की कविताएं

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन
    30 May 2022
    "हमें तो पुलिस के किसी भी जांच पर भरोसा नहीं है। जब पुलिस वाले ही क़ातिल हैं तो पुलिसिया न्याय पर हम कैसे यकीन कर लें? सीबीआई जांच होती तो बेटी के क़ातिल जेल में होते। हमें डरे हुए हैं। "
  • एम.ओबैद
    मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 
    30 May 2022
    "हम लोगों को स्कूल में जितना काम करना पड़ता है। उस हिसाब से वेतन नहीं मिलता है। इतने पैसे में परिवार नहीं चलता है।"
  • अरुण कुमार
    गतिरोध से जूझ रही अर्थव्यवस्था: आपूर्ति में सुधार और मांग को बनाये रखने की ज़रूरत
    30 May 2022
    इस समय अर्थव्यवस्था गतिरोध का सामना कर रही है। सरकार की ओर से उठाये जाने वाले जिन क़दमों का ऐलान किया गया है, वह बस एक शुरुआत है।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस
    30 May 2022
    स्टूडेंट्स से प्रयोगात्मक परीक्षा में अवैध वसूली करने का कोई आदेश नहीं है। यह सुनते ही वह बिफर पड़े। नाराज होकर प्रबंधक ने पहले गाली-गलौच किया और बाद में जूते निकालकर मेरी पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत
    30 May 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 17 हज़ार 698 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License