NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
धड़कती आज़ादी शाहीन बाग़ में...
"करोड़ों लोगों के निर्वासन का दुख/ इस ठंडी रात से बड़ा है क्या?” , 'इतवार की कविता' में पढ़ते हैं शोभा सिंह की एक नई कविता।
शोभा सिंह
12 Jan 2020
shaheen bagh

दिल्ली का शाहीन बाग़ इन दिनों देश ही नहीं दुनिया में मशहूर हो गया है। आप जानते ही होंगे कि क्यों?, क्योंकि यहां की जुझारू औरतें, अवाम का हक़ और देश का संविधान बचाने के लिए लगातार धरने पर हैं। संवेदनशील कवि शोभा सिंह ने शाहीन बाग़ में इन औरतों से मुलाकात कर, इस धरना-आंदोलन में शिरकत कर एक भावपूर्ण कविता लिखी है। आइए 'इतवार की कविता' में पढ़ते हैं शोभा सिंह की यही कविता।
 

धड़कती आज़ादी शाहीन बाग़ में


लगता था अपने ख़्वाबों से

मुलाकात हो रही हो

स्पष्ट विचारों का सैलाब लिए

अपने नीम अंधरे से

उठ कर आईं औरतें

चेतना का दिलेर स्वर बन

उन दिनों जब

संकट गहरा था

ठहरे हुए समाज में भी

आग धधक रही थी

सामान्य मुस्लिम महिलाओं ने आगे बढ़कर

संभाल लिया था मोर्चा

आज़ादी मिलने के बाद

एक नया बेमिसाल

इतिहास

रचा जा रहा था

बेख़ौफ़ आज़ादी का नया स्क्वायर (घेरा)

दमन के ख़िलाफ़

फासीवाद के नंगेपन और

इंसान विरोधी काले कानूनों के ख़िलाफ़

पहली बार घरों से निकल

चौबीस घंटे चलने वाले धरने में आईं

ज़बरदस्त ढंग से व्यवस्थित किया

घर और बाहर का काम

सामने एक ऐसी दुनिया थी

जिसमें अपनी नई पहचान बनानी थी

तय करना था अपना मुकाम


 

नवजात शिशु के साथ मां ने कहा-

कहां हैं वे

जो कहते हैं

हमें गुमराह किया गया है

कौन है गुमराह?

जामिया में हिंदू मुस्लिम में बांट कर

आप छल कर रहे

वहां हमारे बच्चे

मिलकर पढ़ते हैं

आपके दंगाई हमला करते हैं

अब आपसे ही लोकतंत्र को बचाना है

यह तो आज़ादी की लड़ाई है

हमें अपना संविधान

अपना देश बचाना है

दिल्ली का तापमान

एकदम निचले पायदान पर

कड़ाके की ठंड में

अलाव की मीठी आंच सी

जगी आवाज़ें, तकरीरें

संघर्ष से तपे चेहरे

जोश भरते

इंक़लाबी तराने

फ़ैज़ के गीत

“ जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ

रुई की तरह उड़ जायेंगे

लाज़िम है कि हम भी देखेंगे”


 

सीखचों के पीछे ज़बरन बंद

अपने मर्दों के लिए

ये तसल्ली और हौसलें की

बुलंद आवाजें थीं


 

अन्याय, ज़ुल्म से बगावत

जारी रहेगी

कामयाबी न मिलने तक

यूंही – अहद है

बिम्ब साकार हो रहे थे

नारे और जज़्बात

दो रंग की घुलावट में

ख़ुदमुख़्तारी का यह अनोखा रंग

जनतंत्र के पक्ष में

एनआरसी, सीएए के ख़िलाफ़

समूचे देश में

गहरा आक्रोश

दर्ज हो रहा था

सद्भाव और एकता की लहरें

ऊपर उठ फैलने लगीं

लोगों ने शुभ संदेश को पकड़ा

अमन सुकून की अहमियत समझते हुए

शांति पूर्ण तरीके से आगे बढ़े

नई मशालों से

रौशन हुए दूर तक

अंधरे कोने भी

अगुआई में

ज़िंदगी के आख़री मुकाम पर पहुंची

तीन दादियां

जांबाज़ निडर

शाइस्तगी से बोलीं

करोड़ों लोगों के निर्वासन का दुख

इस ठंडी रात से बड़ा है क्या?

अब तो ख़ामोशी को भी

आवाज़ दे रहीं हैं हम

यह आवाज़ की तरंगें

आने वाली खुशहाली की ख़बर सी

फैल जाएंगी

उनके सपने धुंधली आंखों में

झिलमिलाए

देश की मिट्टी में

कई रंग के फूलों में

हम यूं ही खिलेंगी

देखना

ज़माना हमें कैसे भूलेगा

यहां दादी नानी मां के साथ

बच्चे

सीख रहे

अपनी पहचान

हां अपनी राष्ट्रीयता का

वे पुनः दावा ठोंकते

अपने हिजाब के संग

हिंदू मुसलमान दोनों मिल

हुक्मरान को जवाब देती

ये देश हमारा है, साझी विरासत

हम उतने ही भारतीय हैं जितने तुम

छांटना बंद करो

इसी मिट्टी में दफ़न हैं हमारे पुरखे

यही मिट्टी

दस्तावेज़ है हमारा
 

(शोभा सिंह का 'अर्द्ध विधवा' नाम का कविता संग्रह 2014 में प्रकाशित हो चुका है।)

इसे भी पढ़े : चले चलो कि वो मंज़िल अभी नहीं आई...

इसे भी पढ़े : मैं जेल में हूँ...मेरे झोले में है एक किताब 'हमारा संविधान'

Sunday Poem
Shaheen Bagh
CAA
NRC
Women protest
fight for Rights
Constitution of India
BJP
modi sarkar
Amit Shah
Religion Politics
hindu-muslim
MINORITIES RIGHTS

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    त्रिपुरा: बिप्लब देब के इस्तीफे से बीजेपी को फ़ायदा या नुक़सान?
    16 May 2022
    बिप्लब देब के प्रदर्शन से केंद्रीय नेतृत्व नाख़ुश था लेकिन नए सीएम के तौर पर डॉ. माणिक साहा के नाम के ऐलान से बीजेपी के पुराने नेता नाराज़ बताए जाते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने का दावा, मुस्लिम पक्ष ने कहा- फव्वारे का पत्थर
    16 May 2022
    सर्वे टीम में शामिल हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन की ओर से दाखिल प्रार्थना-पत्र पर सीनियर सिविल जज ने वजुखाने की जगह को तत्काल सील करने का आदेश दिया है।
  • जेरेमी कोर्बिन
    केवल विरोध करना ही काफ़ी नहीं, हमें निर्माण भी करना होगा: कोर्बिन
    16 May 2022
    वैश्विक व्यवस्था संकट में नहीं है, जिसका कि कोई हल निकाला जा सकता है। दरअसल,यह सिस्टम ही संकट है और इसको दूर करना, उसको बदलना और उसे परिवर्तित करना होगा।
  • सोनाली कोल्हटकर
    जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं
    16 May 2022
    मौसम परिवर्तन एक जानलेवा ग़लत गणना का परिणाम है: वैश्विक कॉरपोरेट कंपनियों के मुनाफ़े के लिए ज़िन्दगियों को जोख़िम में डाला जा सकता है, यहां तक कि उन्हें गंवाया भी जा सकता है।
  • अजय सिंह
    मंगलेश को याद करते हुए
    16 May 2022
    मैं उसे किस रूप में याद करूं? ...मैं उसके उन इंसानी/वैचारिक पहलुओं के बारे में बात करना चाहूंगा, जो मुझे आज भी आकर्षित करते हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License