NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
काज़ी नज़रूल इस्लाम: ...अगर तुम राधा होते श्याम
होली के रंग फ़ज़ाओं में हैं। और बंगाल में चुनाव की जंग भी जारी है। इस सबके बीच याद रहे हैं नज़रूल इस्लाम। आइए ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं नज़रूल की अलग-अलग रंग की कविताएं।
न्यूज़क्लिक डेस्क
28 Mar 2021
Qazi Nazrul Islam
काज़ी नज़रुल इस्लाम। फोटो साभार : wikipedia

होली के रंग फ़ज़ाओं में हैं। और बात जब होली की हो तो बृज याद आता है और याद आते हैं कृष्ण कन्हैया। और जब कृष्ण याद आते हैं तो याद आतीं ही राधा रानी, मीरा दीवानी। और याद आते हैं सूर, रसखान और नज़रूल इस्लाम। जी हां, आज़ादी और क्रांति के कवि नज़रूल इस्लाम कृष्ण के प्रेम में दीवाने थे। नज़रूल आज एक और वजह से भी बार-बार ज़ुबान पर आते हैं वो है बंगाल चुनाव। जी हां, कवि, संगीतकार, स्वतंत्रता सेनानी पद्म भूषण नज़रूल बंगाल की अन्यतम पहचान हैं। 1899 में बंगाल के वर्धमान ज़िले के चुरुलिया गांव में जन्में नज़रूल हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारा की वह पहचान जिसे आज चुनाव जीतने के लिए छिन्न-भिन्न करने का प्रयास किया जा रहा है। आइए ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं नज़रूल की अलग-अलग रंग की कविताएं।

कृष्ण कन्हईया आयो मन में मोहन मुरली बजाओ

कृष्ण कन्हईया आयो मन में मोहन मुरली बजाओ।

कान्ति अनुपम नील पद्मसम सुन्दर रूप दिखाओ।

सुनाओ सुमधूर नुपूर गुंजन

“राधा, राधा” करि फिर फिर वन वन

प्रेम-कुंज में फूलसेज पर मोहन रास रचाओ;

मोहन मुरली बजाओ।

राधा नाम लिखे अंग अंग में,

वृन्दावन में फिरो गोपी-संग में,

पहरो गले वनफूल की माला प्रेम का गीत सुनाओ,

मोहन मुरली बजाओ।

 

अगर तुम राधा होते श्याम

अगर तुम राधा होते श्याम।

मेरी तरह बस आठों पहर तुम,

रटते श्याम का नाम।।

वन-फूल की माला निराली

वन जाति नागन काली

कृष्ण प्रेम की भीख मांगने

आते लाख जनम।

तुम, आते इस बृजधाम।।

चुपके चुपके तुमरे हिरदय में

बसता बंसीवाला;

और, धीरे धारे उसकी धुन से

बढ़ती मन की ज्वाला।

पनघट में नैन बिछाए तुम,

रहते आस लगाए

और, काले के संग प्रीत लगाकर

हो जाते बदनाम।।

 

आज बन-उपवन में चंचल मेरे मन में

आज बन-उपवन में चंचल मेरे मन में

मोहन मुरलीधारी कुंज कुंज फिरे श्याम

सुनो मोहन नुपूर गूँजत है

बाजे मुरली बोले राधा नाम

कुंज कुंज फिरे श्याम

बोले बाँसुरी आओ श्याम-पियारी,

ढुँढ़त है श्याम-बिहारी,

बनमाला सब चंचल उड़ावे अंचल,

कोयल सखी गावे साथ गुणधाम कुंज कुंज श्याम

फूल कली भोले घुँघट खोले

पिया के मिलन कि प्रेम की बोली बोले,

पवन पिया लेके सुन्दर सौरभ,

हँसत यमुना सखी दिवस-याम कुंज कुंज फिरे श्याम

साम्यवादी

गाता हूँ साम्यता का गान

जहाँ आकर एक हो गए सब बाधा - व्यवधान

जहाँ मिल रहे हैं हिन्दू - बौद्ध - मुस्लिम - ईसाई

गाता हूँ साम्यता का गान !

 

तुम कौन? पारसी? जैन? यहूदी? संथाली, भील, गारो?

कनफ्यूसियस? चार्वाक के चेले? कहते जाओ, कहो और !

बन्धु, जितने ख़ुश हो जाओ,

पेट, पीठ, कान्धे, मगज में जो मर्ज़ी पाण्डुलिपि व किताब ढोओ,

कुरआन - पुराण - वेद - वेदान्त - बाइबिल - त्रिपिटक

जेंदावेस्ता - ग्रन्थसाहिब पढ़ते जाओ, जितनी मर्ज़ी

किन्तु क्यूँ ये व्यर्थ परिश्रम, मगज में हनते हो शूल?

दुकान में क्यूँ ये दर मोल-भाव? पथ में खिलते ताज़ा फूल !

तुममें है सभी किताब सभी काल का ज्ञान,

सभी शास्त्र ढूँढ़ सकोगे सखा, खोलकर देखो निज प्राण !

तुममे है सभी धर्म, सभी युगावतार,

तुम्हारा हृदय विश्व -देवालय सभी देवताओं का।

क्यूँ ढूँढ़ते फिरते हो देवता-ठाकुर मृत पाण्डुलिपि - कंकाल में?

हँसते हैं वो अमृत हिया के निभृत अंतराल में !

 

बन्धु, नहीं कहा झूठ,

यहाँ आकर लूट जाते हैं सभी राजमुकुट।

यह हृदय ही है वह नीलांचल, काशी, मथुरा, वृन्दावन,

बोधगया यही, जेरूसलम यही, मदीना, काबा भवन,

मस्जिद यही, मन्दिर यही, गिरिजा यही हृदय,

यहीं बैठ ईसा मूसा ने पाया सत्य का परिचय।

इसी रणभूमि में बाँसुरी के किशोर ने गाई महा-गीता,

इसी मैदान में भेड़ों का चरवाहा हुआ नबी खुदा का मीता।

इसी हृदय के ध्यान गुफ़ा में बैठ शाक्यमुनि

त्यागा राज्य मानव के महा-वेदना की पुकार सुनि।

इसी कन्दरा में अरब-दुलाल सुनते थे आह्वान,

यहीं बैठ गाया उन्होंने कुरआन का साम-गान।

मिथ्या नहीं सुना भाई,

इस हृदय से बड़ा कोई मन्दिर - काबा नाहीं।

 

मूल बंगला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा

साभार : कविता कोश

 

कौन लोग

मनुष्य से घृणा कर के

कौन लोग

कुरान, वेद, बाइबल

चूम रहे हैं बेतहाशा

किताबें और ग्रन्थ छीन लो

जबरन उनसे

मनुष्य को मार कर ग्रन्थ पूज रहा ढोंगियों का दल

सुनो मूर्खों,

मनुष्य ही लाया है ग्रन्थ

ग्रन्थ नहीं लाया मनुष्य को!

 

-    काज़ी नज़रुल इस्लाम

(25 मई 1899- 27 अगस्त 1976)

Kazi Nazrul Islam
Hindi poem
Sunday Poem
हिन्दी कविता
इतवार की कविता

Related Stories

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

इतवार की कविता: जश्न-ए-नौरोज़ भी है…जश्न-ए-बहाराँ भी है

इतवार की कविता: के मारल हमरा गांधी के गोली हो

इतवार की कविता: सभी से पूछता हूं मैं… मुहब्बत काम आएगी कि झगड़े काम आएंगे

इतवार की कविता : 'आसमान में धान जमेगा!'


बाकी खबरें

  • भाषा
    अदालत ने सिद्धार्थ वरदराजन के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी रद्द की 
    25 May 2022
    अदालत ने कहा, “चूंकि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप, भारतीय दंड संहिता की धारा 153-बी और 505 (2) के तहत अपराधों के कारित होने का खुलासा नहीं करते, इसलिए कानून की नजर में यह टिकाऊ नहीं हैं और रद्द किये…
  • UP
    न्यूज़क्लिक टीम
    उत्तर प्रदेश विधानसभा में भारी बवाल
    25 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान डिप्टी सीएम केशव मौर्या और अखिलेश यादव के बीच हुई बहस की।
  • सत्यम् तिवारी
    मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'
    25 May 2022
    मनोज मुंतशिर ने अपने ट्विटर प्रोफ़ाइल कविता जैसा लगता हुआ ज़हरीला भाषण पोस्ट किया है जिसमें मुसलमानों से मुख़ातिब होकर वे कह रहे हैं, 'क़ब्रों से खींच कर हम लाएँगे सच तुम्हारे...'
  • DILEVERY
    पॉल क्रांत्ज़
    ऐप-आधारित डिलीवरी के काम के जोखिम…
    25 May 2022
    अगरचे नए डिलीवरी स्टार्टअप के द्वारा रिकॉर्ड निवेश आय का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बड़ी तादाद में उनके कर्मचारी थका देने वाली मेहनत, कम पारिश्रमिक और कंपनी के भीतर के मुद्दों के बारे में…
  • RAJYASABHA
    रवि शंकर दुबे
    15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...
    25 May 2022
    देश में अगले महीने राज्यसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां विधायकों को साधने में जुट गई हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License