NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
इतवार की कविता : तुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज?
इतवार की कविता में आज पेश है कुमार अंबुज की कविता 'तुम्हारी जाति क्या है'।
न्यूज़क्लिक डेस्क
10 Jan 2021
जाति

इतवार की कविता में आज पेश है कुमार अंबुज की कविता 'तुम्हारी जाति क्या है'।

तुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज?
तुम किस-किस के हाथ का खाना खा सकते हो
और पी सकते हो किसके हाथ का पानी

चुनाव में देते हो किस समुदाय को वोट

ऑफ़िस में किस जाति से पुकारते हैं लोग तुम्हें

जन्मपत्री में लिखा है कौन सा गोत्र और कहां ब्याही जाती हैं
तुम्हारे घर की बहन-बेटियां

बताओ अपना धर्म 
और वंशावली के बारे में

किस मस्जिद किस मंदिर किस गुरुद्वारे में किस चर्च में करते हो तुम प्रार्थनाएं

तुम्हारी नहीं तो अपने पिता
अपने बच्चों की जाति बताओ

बताओ कुमार अंबुज
इस बार दंगे में रहोगे किस तरफ़
और मारे जाओगे
किसके हाथों?

- कुमार अंबुज

इसे भी पढ़ें :  सावित्रीबाई फुले : खेती ही ब्रह्म, धन-धान्य है देती/अन्न को ही कहते हैं परब्रह्म

इसे भी पढ़ें :  'तन्हा गए क्यों अब रहो तन्हा कोई दिन और' ग़ालिब 223वीं जयंती पर विशेष

इसे भी पढ़ें : …दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है

इसे भी पढ़ें : नशा और होश : विश्व नागरिक माराडोना को समर्पित कविता

इसे भी पढ़ें :  “तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले, अब तक कहाँ छिपे थे भाई…”

Kumar Ambuj
hindi poetry
Hindi poem
Sunday Poem
Caste

Related Stories

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

देवी शंकर अवस्थी सम्मान समारोह: ‘लेखक, पाठक और प्रकाशक आज तीनों उपभोक्ता हो गए हैं’

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

गणेश शंकर विद्यार्थी : वह क़लम अब खो गया है… छिन गया, गिरवी पड़ा है

इतवार की कविता: जश्न-ए-नौरोज़ भी है…जश्न-ए-बहाराँ भी है


बाकी खबरें

  • uttarakhand
    कौशल चौधरी, गोविंद शर्मा
    उत्तराखंड के ग्राम विकास पर भ्रष्टाचार, सरकारी उदासीनता के बादल
    23 May 2022
    सिमगांव के निवासी पंचायत और जिला प्रशासन स्तर पर शोषित हो रहे हैं।
  • gyanvapi
    सुबोध वर्मा
    क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?
    23 May 2022
    दिसंबर 2021 में, दिल्ली में एक दीवानी न्यायाधीश ने उस याचिका को खारिज़ कर दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली में कुतुब मीनार परिसर में 27 जैन और हिंदू मंदिरों को नष्ट करने के बाद बनाया गया थ
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के सब स्ट्रेन BA.4 और BA.5 का एक-एक मामला सामने आया
    23 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,022 नए मामले सामने आए हैं | कल रविवार को INSACOG ने तमिलनाडु में स्ट्रेन BA.4 और तेलंगाना में स्ट्रेन BA.5 के एक-एक मामले के मिलने की पुष्टि की है।
  • indian railways
    भाषा
    ट्रेन में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली छूट बहाल करें रेल मंत्री: भाकपा नेता विश्वम
    23 May 2022
    विश्वम ने एक पत्र में लिखा कि वरिष्ठजन को दी जाने वाली छूट वापस लेने के रेलवे के फैसले के कारण देशभर में करोड़ों बुजुर्ग प्रभावित हुए हैं।
  • MNS
    बादल सरोज
    मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया
    23 May 2022
    कथित रूप से सोये हुए "हिन्दू" को जगाने के "कष्टसाध्य" काम में लगे भक्त और उनके विषगुरु खुश तो बहुत होंगे आज।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License