NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएँगे
‘इतवार की कविता’ में वरिष्ठ कवि राजेश जोशी की कविता।
राजेश जोशी
15 Dec 2019
Protest

मारे जाएँगे
 

जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएँगे

कठघरे में खड़े कर दिये जाएँगे
जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएँगे

बर्दाश्त- नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्या दा सफ़ेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे, मारे जाएँगे

धकेल दिये जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नहीं गाएंगे, मारे जाएँगे

धर्म की ध्व जा उठाने जो नहीं जाएँगे जुलूस में
गोलियां भून डालेंगी उन्हें, काफ़िर करार दिये जाएँगे

सबसे बड़ा अपराध है इस समय निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नहीं होंगे, मारे जाएँगे


(कवि राजेश जोशी, कविता संग्रह "दो पंक्तियों के बीच" के लिये 2002 के साहित्य अकादमी पुरस्कार समेत अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित हैं।)

इसे भी पढ़े: बलात्कार : उसके बाद मर्द पूछता है– मज़ा आया?

इसे भी पढ़े: हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और...

Sunday Poem
Right to Protest
Freedom of Speech and Expression .
Freedom of silence
CAB
Protest against NRC
Protest against CAB
CAB Protest In all over India
Right to equality

Related Stories

इतवार की कविता : 'आसमान में धान जमेगा!'

बाहरी साज़िशों और अंदरूनी चुनौतियों से जूझता किसान आंदोलन अपनी शोकांतिका (obituary) लिखने वालों को फिर निराश करेगा

अगर मामला कोर्ट में है, तब क्या उसके विरोध का अधिकार खत्म हो जाता है? 

‘इतवार की कविता’ : यह सदी किसके नाम

सरकार कैसी चाहिएः जो अत्याचार करे या जो भ्रष्टाचार करे?

इतवार की कविता: “काश कभी वो वक़्त ना आए/ जब ये दहक़ां लौट के जाएँ/ गाँव की हदबंदी कर लें…”

बदलाव: किसान आंदोलन जनतंत्र के सभी आंदोलनों की मां है!

विरोध-प्रदर्शन और चुनावी रणनीति बिगड़ने के डर से भाजपा ने सीएए को लटकाया?

'कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के...' बल्ली सिंह चीमा की कविता

इतवार की कविता : साधने चले आए हैं गणतंत्र को, लो फिर से भारत के किसान


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी
    23 May 2022
    "युवाओं तथा मध्य आयु वर्ग के लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं जो चिंताजनक है। हर चौथा व्यक्ति हृदय संबंधी रोग से पीड़ित होगा।"
  • आज का कार्टून
    “मित्रों! बच्चों से मेरा बचपन का नाता है, क्योंकि बचपन में मैं भी बच्चा था”
    23 May 2022
    अपने विदेशी यात्राओं या कहें कि विदेशी फ़ोटो-शूट दौरों के दौरान प्रधानमंत्री जी नेताओं के साथ, किसी ना किसी बच्चे को भी पकड़ लेते हैं।
  • students
    रवि शंकर दुबे
    बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?
    23 May 2022
    उत्तराखंड में एक बार फिर सवर्ण छात्रों द्वारा दलित महिला के हाथ से बने भोजन का बहिष्कार किया गया।
  • media
    कुश अंबेडकरवादी
    ज़ोरों से हांफ रहा है भारतीय मीडिया। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पहुंचा 150वें नंबर पर
    23 May 2022
    भारतीय मीडिया का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 150वें नंबर पर पहुंच गया है।
  • सत्येन्द्र सार्थक
    श्रम क़ानूनों और सरकारी योजनाओं से बेहद दूर हैं निर्माण मज़दूर
    23 May 2022
    निर्माण मज़दूर राजेश्वर अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं “दिल्ली के राजू पार्क कॉलोनी में मैंने 6-7 महीने तक काम किया था। मालिक ने पूरे पैसे नहीं दिए और धमकी देकर बोला ‘जो करना है कर ले पैसे नहीं दूँगा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License