NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
भूल-ग़लती आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर
हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि-लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध की बीती 11 सितंबर को पुण्यतिथि थी। 11 सितंबर, 1964 को उनका महज़ 46 साल की कम उम्र में निधन हो गया था। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं आज उनकी कविता- ‘भूल-ग़लती’
न्यूज़क्लिक डेस्क
13 Sep 2020
भूल-ग़लती आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर

भूल-ग़लती

 

भूल-ग़लती

आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर

तख्त पर दिल के,

चमकते हैं खड़े हथियार उसके दूर तक,

आँखें चिलकती हैं नुकीले तेज पत्थर सी,

खड़ी हैं सिर झुकाए

सब कतारें

बेजुबाँ बेबस सलाम में,

अनगिनत खम्भों व मेहराबों-थमे

दरबारे आम में।

 

सामने

बेचैन घावों की अज़ब तिरछी लकीरों से कटा

चेहरा

कि जिस पर काँप

दिल की भाप उठती है...

पहने हथकड़ी वह एक ऊँचा कद

समूचे जिस्म पर लत्तर

झलकते लाल लम्बे दाग

बहते खून के

वह क़ैद कर लाया गया ईमान...

सुलतानी निगाहों में निगाहें डालता,

बेख़ौफ नीली बिजलियों को फैंकता

खामोश !!

सब खामोश

मनसबदार

शाइर और सूफ़ी,

अल गजाली, इब्ने सिन्ना, अलबरूनी

आलिमो फाजिल सिपहसालार, सब सरदार

हैं खामोश !!

 

नामंजूर

उसको जिन्दगी की शर्म की सी शर्त

नामंजूर हठ इनकार का सिर तान..खुद-मुख्तार

कोई सोचता उस वक्त-

छाये जा रहे हैं सल्तनत पर घने साये स्याह,

सुलतानी जिरहबख्तर बना है सिर्फ मिट्टी का,

वो-रेत का-सा ढेर-शाहंशाह,

शाही धाक का अब सिर्फ सन्नाटा !!

(लेकिन, ना

जमाना साँप का काटा)

भूल (आलमगीर)

मेरी आपकी कमजोरियों के स्याह

लोहे का जिरहबख्तर पहन, खूँखार

हाँ खूँखार आलीजाह,

वो आँखें सचाई की निकाले डालता,

सब बस्तियाँ दिल की उजाड़े डालता

करता हमे वह घेर

बेबुनियाद, बेसिर-पैर..

हम सब क़ैद हैं उसके चमकते तामझाम में

शाही मुकाम में !!

 

इतने में हमीं में से

अजीब कराह सा कोई निकल भागा

भरे दरबारे-आम में मैं भी

सँभल जागा

कतारों में खड़े खुदगर्ज-बा-हथियार

बख्तरबंद समझौते

सहमकर, रह गए,

दिल में अलग जबड़ा, अलग दाढ़ी लिए,

दुमुँहेपन के सौ तज़ुर्बों की बुज़ुर्गी से भरे,

दढ़ियल सिपहसालार संजीदा

सहमकर रह गये !!

 

लेकिन, उधर उस ओर,

कोई, बुर्ज़ के उस तरफ़ जा पहुँचा,

अँधेरी घाटियों के गोल टीलों, घने पेड़ों में

कहीं पर खो गया,

महसूस होता है कि यह बेनाम

बेमालूम दर्रों के इलाक़े में

(सचाई के सुनहले तेज़ अक्सों के धुँधलके में)

मुहैया कर रहा लश्कर;

हमारी हार का बदला चुकाने आयगा

संकल्प-धर्मा चेतना का रक्तप्लावित स्वर,

हमारे ही हृदय का गुप्त स्वर्णाक्षर

प्रकट होकर विकट हो जायगा !!

-    गजानन माधव मुक्तिबोध

(कविता कोश से साभार)

इसे भी पढ़ें :  बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं, बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है

इसे भी पढ़ें : तुम कैसे मारोगे-कितनों को मारोगे/तुम्हारे पास इतनी बंदूकें नहीं/जितने हमारे पास क़लम हैं

इसे भी पढ़ें : ख़रीदो, ख़रीदो, चमन बिक रहा है

इसे भी पढ़ें : …‘सुंदरता के दुश्मनो, तुम्हारा नाश हो !’

इसे भी पढ़ें : वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं

इसे भी पढ़े : 15 अगस्त: इतने बड़े हुए मगर छूने को न मिला अभी तक कभी असल झण्डा

Sunday Poem
Gajanan Madhav Muktibodh
Hindi poem
hindi poetry
hindi poet
कविता
हिन्दी कविता
इतवार की कविता

Related Stories

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

देवी शंकर अवस्थी सम्मान समारोह: ‘लेखक, पाठक और प्रकाशक आज तीनों उपभोक्ता हो गए हैं’

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

गणेश शंकर विद्यार्थी : वह क़लम अब खो गया है… छिन गया, गिरवी पड़ा है

इतवार की कविता: जश्न-ए-नौरोज़ भी है…जश्न-ए-बहाराँ भी है


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी
    23 May 2022
    "युवाओं तथा मध्य आयु वर्ग के लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं जो चिंताजनक है। हर चौथा व्यक्ति हृदय संबंधी रोग से पीड़ित होगा।"
  • आज का कार्टून
    “मित्रों! बच्चों से मेरा बचपन का नाता है, क्योंकि बचपन में मैं भी बच्चा था”
    23 May 2022
    अपने विदेशी यात्राओं या कहें कि विदेशी फ़ोटो-शूट दौरों के दौरान प्रधानमंत्री जी नेताओं के साथ, किसी ना किसी बच्चे को भी पकड़ लेते हैं।
  • students
    रवि शंकर दुबे
    बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?
    23 May 2022
    उत्तराखंड में एक बार फिर सवर्ण छात्रों द्वारा दलित महिला के हाथ से बने भोजन का बहिष्कार किया गया।
  • media
    कुश अंबेडकरवादी
    ज़ोरों से हांफ रहा है भारतीय मीडिया। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पहुंचा 150वें नंबर पर
    23 May 2022
    भारतीय मीडिया का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 150वें नंबर पर पहुंच गया है।
  • सत्येन्द्र सार्थक
    श्रम क़ानूनों और सरकारी योजनाओं से बेहद दूर हैं निर्माण मज़दूर
    23 May 2022
    निर्माण मज़दूर राजेश्वर अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं “दिल्ली के राजू पार्क कॉलोनी में मैंने 6-7 महीने तक काम किया था। मालिक ने पूरे पैसे नहीं दिए और धमकी देकर बोला ‘जो करना है कर ले पैसे नहीं दूँगा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License