NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
अवधी में ग़ज़ल: ...मंदिर मस्जिद पेट हमार न भरिहैं साहेब
हिंदी-उर्दू के मशहूर शायर ओम प्रकाश नदीम ने अवधी बोली में ग़ज़ल कहने की कोशिश की है और ये कोशिश बेहतरीन साबित हुई है। नदीम साहब ने अपने पूरे तेवर और सरोकार के साथ ये ग़ज़लें कहीं हैं। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी अवधी बोली की ये दो नई ग़ज़लें।
न्यूज़क्लिक डेस्क
11 Oct 2020
इतवार की कविता
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : गांव कनेक्शन

1.      

 

आँखी मूँद के पाँव तुम्हार न परिहैं साहेब

पढ़े लिखे हैं तो सवाल तो करिहैं साहेब

 

ना तो हम पंडित बन पइबे ना मौलाना

मंदिर मस्जिद पेट हमार न भरिहैं साहेब

 

कुछ कुछ अब सुलगें लागी हैं धीरज राखौ

गीली लकड़ी हैं जल्दी ना जरिहैं साहेब

 

तुम्हरे जुमलन का जलवा है अब लागत है

चीन पाक हमरे घर पानी भरिहैं साहेब

 

भक्त बिचारे का जानैं तुम का बोये हो

पाक जई जब फसल तो कटिहैं मरिहैं साहेब

 

जिन की रोजी रोटी छिन गे जरे बैठ हैं

आगी के पेड़न से फूल न झरिहैं साहेब

 

पुरखन की अनमोल धरोहर बेच रहे हैं

नालायक लरिका हैं अउ का करिहैं साहेब

 

...

2.      

 

रोज पढ़ें रामायण गीता

झूठ बतायें म कोउ न जीता

 

घूरे के दिन बहुरि न पाये

परखे परखे इक जुग बीता

 

राम न उनके साथ गे बन मा

राम के साथ तो गई रहें सीता

 

अबहूँ समझत हो परजन का

तुम अपने जूतन के फीता

 

दिया बुझान है आस नहीं

आस बुझायें न देइ पलीता

 

इत्ती तेज न दौड़ लगाओ

खुल जायें जूतन के फीता

 

-         ओम प्रकाश नदीम

इसे भी पढ़ें : हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और...

इसे भी पढ़ें : हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है

इसे भी पढ़ें : लिखो तो डरो कि उसके कई मतलब लग सकते हैं...

इसे भी पढ़ें :  भूल-ग़लती आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर

इसे भी पढ़ें :  बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं, बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है

Sunday Poem
poem
Hindi poem
ghazal
इतवार की कविता
हिन्दी कविता
कविता

Related Stories

वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

फ़ासीवादी व्यवस्था से टक्कर लेतीं  अजय सिंह की कविताएं

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License