NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
अंतरराष्ट्रीय
बलात्कार : उसके बाद मर्द पूछता है– मज़ा आया?
"बलात्कार पनपता है सामान्य पुरुष के कल्पनालोक में/ जैसे कूड़े के ढेर पर गोबरैला...।" 

'इतवार की कविता' में बलात्कार की नृशंसता को दर्शाती अमेरिकी कवि मार्ज पियर्सी की एक ज़रूरी कविता।
मार्ज पियर्सी
08 Dec 2019
Stop rape
फोटो : साभार बीबीसी

बलात्कार 

 

बलात्कार किये जाने और
सीमेंट के खड़े जीने से धकेल दिये जाने में
कोई फर्क नहीं, सिवाय इसके कि
उस हालत में भीतर-भीतर रिसते हैं ज़ख्म.

बलात्कार किये जाने और
ट्रक से कुचल दिये जाने में
कोई फर्क नहीं, सिवाय इसके कि
उसके बाद मर्द पूछता है –मज़ा आया ?

बलात्कार किये जाने और
किसी ज़हरीले नाग के काटने में
कोई फर्क नहीं, सिवाय इसके कि
लोग पूछते हैं क्या तुमने छोटा स्कर्ट पहना था?
और भला क्यों निकली थी घर से अकेली?

बलात्कार किये जाने और
शीशा तोड़कर सर के बल निकलने में
और कोई फर्क नहीं, सिवाय इसके कि
तुम डरने लगती हो
मोटर गाड़ी से नहीं, बल्कि मर्द जात से

बलात्कारी तुम्हारे प्रेमी का भाई है
वह सिनेमाघर में बैठता है तुमसे सटकर पॉपकॉर्न खाता हुआ

बलात्कार पनपता है सामान्य पुरुष के कल्पनालोक में
जैसे कूड़े के ढेर पर गोबरैला
बलात्कार का भय एक शीतलहर की तरह बहता है
हर समय चुभता किसी औरत के कूबड़ पर

सनोबर के जंगल से गुजरती रेतीली सड़क पर
कभी अकेले नहीं टहलना
नहीं चढ़ना किसी निर्जन पहाड़ी पगडण्डी पर
बिना मुँह में चाकू दबाए
जब देख रही हो किसी मर्द को अपनी ओर आते

कभी मत खोलना दरवाज़ा किसी दस्तक पर
बिना हाथ में उस्तरा लिये
अहाते के अंधेरे हिस्से का भय
कार की पिछली सीट का भय 
भय खाली मकान का
छनछनाती चाभियों का गुच्छा जैसे साँप की चेतावनी
उसकी जेब में पड़ा चाकू इस इंतज़ार में है
कि धीरे से उतार दिया जाय मेरी पसलियों के बीच

उसकी मुट्ठी में बंद है नफ़रत
बलात्कारी की भूमिका में उतरने के लिये काफी है
कि क्या वह देख पाता है तुम्हारी देह को
छेदने वाली मशीन की नज़र से
दाहक गैस लैम्प निगाह से
अश्लील साहित्य और गन्दी फिल्मों की तर्ज़ पर

ज़रूरी है बस तुम्हारे शरीर से, तुम्हारी अस्मिता,
तुम्हारे स्व, तुम्हारी कोमल मांसलता से
नफ़रत करने भर की
यही काफी है कि तुम्हें नफ़रत है जिस चीज से,
डरती हो तुम उस शिथिल पराये मांस के साथ जो-जो करने से
उसी के लिये मजबूर किया जाना
संवेदनशून्य पहियों से सुसज्जित
किसी अपराजेय टैंक की तरह रौंदना,
अधिकार जमाना और सज़ा देना साथ-साथ,
चीरना-फाड़ना मज़ा लेना, जो विरोध करे उसे क़त्ल करना
भोगना मांसल देह काम-क्रीड़ा के लिये अनावृत

(मार्ज पियर्सी अमेरिकी उपन्यासकार, कवि और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। यह कविता विकल्पमंच से साभार ली गई है। विकल्पमंच के मुताबिक यह कविता “बलात्कार के ख़िलाफ़ नारीवादी संश्रय” नामक संगठन के समाचार पत्र – “रेड वार स्टिक्स” (अंक अप्रैल/मई 1975) में प्रकाशित हुई थी।)

इसे भी पढ़े : हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और...

Sunday Poem
crimes against women
Rape and Murder
sexual violence
sexual crimes
sexual harassment
patriarchal society
male dominant society
gender discrimination
gender justice
unsafe women
Indian culture

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

यूपी: बुलंदशहर मामले में फिर पुलिस पर उठे सवाल, मामला दबाने का लगा आरोप!

दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

जेएनयू में छात्रा से छेड़छाड़, छात्र संगठनों ने निकाला विरोध मार्च


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License