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राजनीति
...आओ, क्योंकि छिछला, निरुदेश्य और लक्ष्यहीन जीवन हमें स्वीकार नहीं
महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता कार्ल मार्क्स की 14 मार्च को पुण्यतिथि थी। 5 मई सन् 1818 को उनका जन्म ट्रायर, जर्मनी में हुआ था, जबकि मृत्यु 14 मार्च सन् 1883 को लंदन, ब्रिटेन में हुई। आज 'इतवार की कविता' में पढ़ते हैं उन्हीं की दो छोटी कविताएं
न्यूज़क्लिक डेस्क
15 Mar 2020
Karl Marx
फोटो साभार : सोशल मीडिया

कोई काम है ?

जिस नौजवान को कविताएं लिखने और

बहसों में शामिल रहना था

वो आज सड़कों पर लोगों से एक सवाल

पूछता फिर रहा है

महाशय, आपके पास क्या मेरे लिए

कोई काम है ?

वो नवयुवती जिसके हक़ में

जिंदगी की सारी खुशियां होनी चाहिए थी

इतनी सहमी-सहमी व इतनी नाराज़ क्यों है ?

असली इंसान की तरह जियेंगे

कठिनाइयों से रीता जीवन
मेरे लिए नहीं

नहीं, मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नहीं
मुझे तो चाहिए एक महान ऊंचा लक्ष्य
और उसके लिए
उम्र भर संघर्षों का अटूट क्रम

ओ कला! तू खोल
मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोशों के द्वार
मेरे लिए खोल
अपने प्रज्ञा और संवेगों के आलिंगन में
अखिल विश्व को बांध लूँगा मैं

आओ
हम बीहड़ और सुदूर यात्रा पर चलें
आओ, क्योंकि छिछला, निरुदेश्य और लक्ष्यहीन
जीवन हमें स्वीकार नहीं

हम ऊंघते, कलम घिसते हुए
उत्पीड़न और लाचारी में नहीं जियेंगे
हम आकांक्षा, आक्रोश, आवेग और
अभिमान से जियेंगे

असली इंसान की तरह जियेंगे


– कार्ल मार्क्स

इसे भी पढ़े : मैं हिन्दुस्तान की बेटी हूं... हर रंग में मैं मिलती हूं

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Sunday Poem
Karl Marx
Protest
CAA
NRC
Protest Against govt.

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