NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
"दूर हूँ प्रश्न से, भक्त हूँ स्वप्न से, मैं नहीं जागता, मैं नहीं जागता..."
इतवार की कविता में आज पेश है इंदौर से ताल्लुक़ रखने वाले युवा कवि पुनीत शर्मा द्वारा लिखी हबीब जालिब की नज़्म "मैं नहीं जानता" की पैरोडी "मैं नहीं जागता"...
न्यूज़क्लिक डेस्क
25 Jul 2021
modi bhakt

सूट उसका भले लाख ही में सिले

देश सारा ही तिल तिल के क्यूँ न जले

चाहे लिंचर से जा के वो मिल ले गले

दूर हूँ प्रश्न से, 

भक्त हूँ स्वप्न से

मैं नहीं जागता, मैं नहीं जागता

 

देश छोटा है धर्म और सरकार से

और सरकार छोटी है बाज़ार से

मैं तो बुद्धि भी जोड़ आया आधार से

देश रोता रहे

लिंच होता रहे

मैं नहीं जागता, मैं नहीं जागता

 

डंडे शाखा पे खिलने लगे, तुम सहो

ठेले भजिए के चलने लगे, तुम सहो

पेंट संघी भी सिलने लगे, तुम सहो

चाहे दंगे चलें

चाकू नंगे चलें

मैं नहीं जागता, मैं नहीं जागता

 

तांगे के घोड़े जैसा है मेरा भी व्यू

कॉन्स्टिट्यूशन है क्या ये नहीं मुझको क्लू

सोने दो मुझको आख़िर जगाते हो क्यूँ

जल रहे हैं शहर

जानता हूँ मगर

मैं नहीं जागता, मैं नहीं जागता

- पुनीत शर्मा

Hindi poem
mob lynching
Modi government
Indian constitution
इतवार की कविता
मैं नहीं जानता
मैं नहीं जागता
भारतीय संविधान
मॉब लिंचिंग
मोदा सरकार

Related Stories

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

हिजाब बनाम परचम: मजाज़ साहब के नाम खुली चिट्ठी

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

इतवार की कविता: जश्न-ए-नौरोज़ भी है…जश्न-ए-बहाराँ भी है

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

इतवार की कविता: के मारल हमरा गांधी के गोली हो


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License