NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और...
इतवार की कविता :  मैं सोचता हूं और बारहा सोचता हूं/ कि आखिर क्या बात है कि प्राचीन सभ्यताओं के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश मिलती है/ और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मिलती हैं...।  
रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’
01 Dec 2019
Stop Rape

मोहनजोदड़ो की आखिरी सीढ़ी से
 

मैं साइमन
न्याय के कटघरे में खड़ा हूं
प्रकृति और मनुष्य मेरी गवाही दे!
मैं वहां से बोल रहा हूं जहां
मोहनजोदड़ो के तालाब के आखिरी सीढ़ी है
जिस पर एक औरत की जली हुई लाश पड़ी है
और तालाब में इंसानों की हड्डियां बिखरी पड़ी हैं
इसी तरह एक औरत की जली हुई लाश
आपको बेबीलोनिया में भी मिल जाएगी
और इसी तरह इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां
मेसोपोटामिया में भी मिल जाएँगी

मैं सोचता हूं और बारहा सोचता हूं
कि आखिर क्या बात है कि
प्राचीन सभ्यताओं के मुहाने पर
एक औरत की जली हुई लाश मिलती है
और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मिलती हैं
जिनका सिलसिला
सीथिया की चट्टानों से लेकर
सवाना के जंगलों तक फैला है.

एक औरत जो मां हो सकती है
बहन हो सकती है
बीवी हो सकती है
बेटी हो सकती है, मैं कहता हूं
तुम हट जाओ मेरे सामने से
मेरा खून कलकला रहा है
मेरा कलेजा सुलग रहा है
मेरी देह जल रही है
मेरी मां को, मेरी बहन को, मेरी बीवी को
मेरी बेटी को मारा गया है
मेरी पुरखिनें आसमान में आर्तनाद कर रही हैं
मैं इस औरत की जली हुई लाश पर
सिर पटक कर जान दे देता
अगर मेरी एक बेटी ना होती
तो और बेटी है कि कहती है
कि पापा तुम बेवजह ही
हम लड़कियों के बारे में इतना भावुक होते हो
हम लड़कियां तो लकड़ियां होती हैं
जो बड़ी होने पर चूल्हे में लगा दी जाती हैं.

और वे इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां
रोमन गुलामों की भी हो सकती हैं
और बंगाल के जुलाहों की भी
या अति आधुनिक वियतनामी, फिलिस्तीनी, इराकी
बच्चों की भी
साम्राज्य आखिर साम्राज्य ही होता है
चाहे वो रोमन साम्राज्य हो
चाहे वह ब्रिटिश साम्राज्य हो
या अतिआधुनिक अमेरिकी साम्राज्य हो
जिसका एक ही काम है कि-
पहाड़ों पर पठारों पर
नदी किनारे, सागर तीरे
मैदानों में
इंसानों की हड्डियों बिखेर देना-
जो इतिहास को तीन वाक्यों में
पूरा करने का दावा पेश करता है-
कि हम धरती पर शोले भड़का दिए
कि हमने धरती में शरारे भर दिए
कि हम ने धरती पर इंसानों की हड्डियाँ बिखर दीं
लेकिन मैं स्पार्टाकस का वंशज
स्पार्टाकस की प्रतिज्ञाओं के साथ जीता हूं
कि जाओ कह दो सीनेट से
हम सारी दुनिया के गुलामों के इकठ्ठा करेंगे
और एक दिन रोम आएंगे जरूर.

लेकिन हम कहीं नहीं जाएंगे
क्योंकि ठीक इसी समय
जब मैं यह कविता आपको सुना रहा हूं
लातिन अमरीकी मजदूर
महान साम्राज्य के लिए कब्र खोद रहा है
और भारतीय मजदूर उसके
पालतू चूहों के बिलों में पानी भर रहा है
एशिया से लेकर अफ्रीका तक घृणा की जो आग लगी है
वह आग बुझ नहीं सकती है दोस्त!
क्योंकि वो आग
एक औरत की जली हुई लाश की आग है
वह आग इंसानों की बिखरी हुई हड्डियों की आग है.

इतिहास में पहली स्त्री हत्या
उसके बेटे ने अपने बाप के कहने पर की
जमदग्नि ने कहा ओ परशुराम!
मैं तुमसे कहता हूं कि अपनी मां का वध कर दो
और परशुराम ने कर दिया
इस तरह पुत्र, पिता का हुआ
और पितृसत्ता आई
अब पिता ने अपने पुत्रों को मारा
जाह्नवी ने अपने पति से कहा
मैं तुमसे कहती हूं
मेरी संतानों को मुझ में डुबो दो
और राजा शांतनु ने अपनी संतानों को
गंगा में डुबो दिया
लेकिन शांतनु जाह्नवी का नहीं हुआ
क्योंकि राजा किसी का नहीं होता
लक्ष्मी किसी की नहीं होती
धर्म किसी का नहीं होता
लेकिन सब राजा के होते हैं
गाय भी, गंगा भी, गीता भी, और गायत्री भी

ईश्वर तो खैर!
राजा के घोड़ों की घास ही छिलता रहा
बढ़ा नेक था ईश्वर!
राजा का स्वामीभक्त!
अफसोस कि अब नहीं रहा
बहुत दिन हुए मर गया
और जब मरा तो
राजा ने उसे कफन भी नहीं दिया
दफन के लिए दो गज जमीन भी नहीं दी
किसी को नहीं पता
ईश्वर को कहां दफनाया गया है,
खैर ईश्वर मरा अंततोगत्वा
और उसका मरना ऐतिहासिक सिद्ध हुआ-
ऐसा इतिहासकारों का मत है
इतिहासकारों का मत यह भी है
कि राजा भी मरा अंततोगत्वा
उसकी रानी भी मरी
और उसका बेटा भी मर गया
राजा लड़ाई में मर गया
रानी कढ़ाई में मर गई
और बेटा, कहते हैं पढ़ाई में मर गया
लेकिन राजा का दिया हुआ धन रहा
धन वचन हुआ और बढ़ता गया
और फिर वही बात!
कि हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की
जली हुई लाश
और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां.

वह लाश जली नहीं है, जलाई गई है
ये हड्डियां बिखरी नहीं है, बिखेरी गई हैं
ये आग लगी नहीं है, लगाई गई है
ये लड़ाई छिड़ी नहीं है, छेड़ी गई है
लेकिन कविता भी लिखी नहीं है, लिखी गई है
और जब कविता लिखी जाती है
तो आग भड़क जाती है
मैं कहता हूं तुम मुझे इस आग से बचाओ मेरे दोस्तो!
तुम मेरे पूरब के लोगो! मुझे इस आग से बचाओ
जिनके सुंदर खेतों को तलवार की नोकों से जोता गया
जिनकी फसलों को रथों के चक्कों तले रौंदा गया
तुम पश्चिम के लोगो! मुझे इस आग से बचाओ
जिनकी स्त्रियों को बाजारों में बेचा गया
जिनके बच्चों को चिमनियों में झोंका गया
तुम उत्तर के लोगो! मुझे इस आग से बचाओ
जिनकी बस्तियों को दावाग्नि में झोंका गया
जिनके नावों को अतल जलराशियों में डुबोया गया
तुम वे सारे लोग मिलकर मुझे बचाओ
जिनके खून के गारे से
पिरामिड बने, मीनारें बनीं, दीवारें बनीं
क्योंकि मुझे बचाना उस औरत को बचाना है
जिसकी लाश
मोहनजोदड़ो के तालाब के आखिरी सीढ़ी पर
पड़ी है मुझको बचाना उन इंसानों को बचाना है
जिनकी हड्डियां
तालाब में बिखरी पड़ी हैं
मुझको बचाना अपने पुरखों को बचाना है
मुझको बचाना अपने बच्चों को बचाना है
तुम मुझे बचाओ मैं तुम्हारा कवि हूं

 

(रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ जनता के कवि हैं, जनकवि। उनका जन्म 3 दिसंबर, 1957 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के आहिरी फिरोजपुर गांव में हुआ और निधन 58 साल की कम उम्र में 8 दिसंबर 2015 को दिल्ली में हुआ। वे एक छात्र के रूप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से जुड़े और उनका ये जुड़ाव अंत तक रहा।)

इसे भी पढ़े: उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे

इसे भी पढ़े: इतवार की कविता : ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताएं

इसे भी पढ़े: इतवार की कविता : 'तुम अपने सरकार से ये कहना, ये लोग पागल नहीं हुए हैं!'

इसे भी पढ़े: इतवार की कविता : सस्ते दामों पर शुभकामनायें

Sunday Poem
crimes against women
Rape and Murder
sexual violence
sexual crimes
sexual harassment
patriarchal society
male dominant society
gender discrimination
gender justice
unsafe women
Indian culture

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

यूपी: बुलंदशहर मामले में फिर पुलिस पर उठे सवाल, मामला दबाने का लगा आरोप!

दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

जेएनयू में छात्रा से छेड़छाड़, छात्र संगठनों ने निकाला विरोध मार्च


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License